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इस स्कूल में खुद ही क्लासरुम की सफाई करने को मजबूर हैं छात्र-छात्राएं

माध्यमिक शाला सोहागपुर में चपरासी नहीं है. इस वजह से छात्र-छात्राएं न सिर्फ खुद ही क्लासरूम की साफ-सफाई करते हैं, बल्कि क्लासरूम में ताला भी खुद ही बंद करते हैं और खोलते हैं.

Bad education system in Korba govt schools
माध्यमिक शाला सोहागपुर
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Published : Feb 8, 2020, 4:55 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 6:00 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए सरकार चाहे लाख कोशिश कर ले, प्रदेश में एजुकेशन का स्टेटस लगातार गिरता ही जा रहा है. सिस्टम स्कूलों की हालत सुधारने के भले ही लाख दावे करता हो, लेकिन इन विद्यालयों की मौजूदा हालात बेहद ही चिंताजनक है, बात करें जिले के सोहागपुर के माध्यमिक शाला की, तो यह स्कूल सरकार के सभी दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है. यहां बच्चे स्कूल का ताला खोलने से लेकर साफ-सफाई तक का काम खुद ही करते हैं. वजह पूछने पर स्कूल के शिक्षक ने स्कूल में चपरासी नहीं होने की बात कही है.

सफाई करने को मजबूर छात्र-छात्राएं

स्कूल पहुंचते ही छात्र-छात्राएं हर दिन, पहले ताला खोलते हैं और इसके बाद वो अपने-अपने क्लासरूम की सफाई करते हैं और फिर कलम-किताब लेकर पढ़ाई करते हैं. छात्रों ने बताया कि ये काम वह हर दिन करते हैं. इस स्कूल में कुल 169 बच्चे पढ़ाई करते हैं.

खुद ही करते हैं क्लासरूम की सफाई

स्कूल के शिक्षक का कहना है कि स्कूल में चपरासी नहीं होने की वजह से साफ-सफाई का काम बच्चों को खुद ही करना पड़ता है और इस वजह से वो अपनी क्लास में झाड़ू लगाकर बैठते हैं.

कोरबा: छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए सरकार चाहे लाख कोशिश कर ले, प्रदेश में एजुकेशन का स्टेटस लगातार गिरता ही जा रहा है. सिस्टम स्कूलों की हालत सुधारने के भले ही लाख दावे करता हो, लेकिन इन विद्यालयों की मौजूदा हालात बेहद ही चिंताजनक है, बात करें जिले के सोहागपुर के माध्यमिक शाला की, तो यह स्कूल सरकार के सभी दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है. यहां बच्चे स्कूल का ताला खोलने से लेकर साफ-सफाई तक का काम खुद ही करते हैं. वजह पूछने पर स्कूल के शिक्षक ने स्कूल में चपरासी नहीं होने की बात कही है.

सफाई करने को मजबूर छात्र-छात्राएं

स्कूल पहुंचते ही छात्र-छात्राएं हर दिन, पहले ताला खोलते हैं और इसके बाद वो अपने-अपने क्लासरूम की सफाई करते हैं और फिर कलम-किताब लेकर पढ़ाई करते हैं. छात्रों ने बताया कि ये काम वह हर दिन करते हैं. इस स्कूल में कुल 169 बच्चे पढ़ाई करते हैं.

खुद ही करते हैं क्लासरूम की सफाई

स्कूल के शिक्षक का कहना है कि स्कूल में चपरासी नहीं होने की वजह से साफ-सफाई का काम बच्चों को खुद ही करना पड़ता है और इस वजह से वो अपनी क्लास में झाड़ू लगाकर बैठते हैं.

Intro:अफसर कार्यालय में बैठकर चाहे जो वादे कर ले लेकिन धरातल की सच्चाई यही है कि सरकारी स्कूल की बदहाली दूर नहीं हो रही मौजूदा मामला जिले के माध्यमिक शाला सोहागपुर का है यहां बच्चे खुद ही स्कूल का ताला खोलकर पहले झाड़ू लगाते है और रूटीन के वह सभी काम करते हैं जिन्हें की किसी चपरासी द्वारा किया जाना चाहिए जिसके बाद ही सरकारी स्कूल के बच्चे हाथ में कलम थाम कर शिक्षा ग्रहण करते हैंBody:सरकार द्वारा शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए किए जाने वाले प्रयासों का असर धरातल पर नहीं दिखता। इसीलिए तो जिन मासूम बच्चों के हाथों में कलम और पुस्तक होनी चाहिए उन बच्चों के हाथ में झाड़ू है। और वह पढ़ाई की जगह सरकारी विद्यालयों में झाड़ू लगाकर सफाई कर रहे हैं। ग्रामीण अंचल के सरकारी स्कूल में सुबह स्कूल पहुंचते ही छात्र-छात्राओं को सबसे पहले अपनी कक्षाओं में झाड़ू लगाने का काम करना पड़ रहा है।Conclusion:छात्रों ने बताया कि जैसे ही सुबह स्कूल आते हैं तो पहले स्कूल के दरवाजे को वह खुद खोलते हैं। उसके बाद अपने-अपने क्लासरूम को झाड़ू लगाते हैं। सोहागपुर के शासकीय माध्यमिक शाला स्कूल में 169 बच्चे दर्ज हैं। इस संबंध में स्कूल के शिक्षक रामाधार बिझवार ने बताया कि हमारे माध्यमिक शाला में चपरासी नहीं है। इसी वजह से बच्चे अपने क्लास को झाड़ू लगा कर बैठते हैं।
बाइट - रामाधार बिझवार ( शिक्षक )
बाइट- स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे
Last Updated : Feb 8, 2020, 6:00 PM IST
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