कोरबा: इस साल 21 फरवरी यानी शुक्रवार को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिवलिंगों के दर्शन करा रहा है. इसी कड़ी में आज हम आपको पाली के उस प्राचीन मंदिर लेकर जाएंगे जिसका इतिहास 1200 साल पुराना है, जितना पुराना इसका इतिहास है उतना ही अटूट यहां आने वाले शिव भक्तों की आस्था है.
जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पाली का शिव मंदिर यहां के शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. लोगों का मानना है कि यहां आने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लोग बताते हैं कि इस मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं. शिवरात्रि के दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं.
राजा-महाराजाओं ने कराया था मंदिर का निर्माण
बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा-महराजाओं के समय में करवाया गया था. पड़ोसी जिलों से भी लोग प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन करने यहां आते हैं. भारतीय संस्कृति और यहां के राजा-महाराजाओं की गौरवशाली विरासत का ये प्राचीन शिव मंदिर जीता जागता प्रमाण है.
पाली महोत्सव की शुरुआत
4 से 5 साल पहले रायगढ़ के चक्रधर समारोह की तर्ज पर जिले में पाली महोत्सव की शुरुआत की गई थी. हर साल जिला प्रशासन की ओर से पाली महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है. पाली महोत्सव की शुरुआत महाशिवरात्रि के दिन से होती है. इस साल 21 और 22 फरवरी को पाली महोत्सव मनाया जाएगा. इस महोत्सव में खास प्रस्तुति देने के लिए लिए स्थानीय कलाकारों के साथ ही साथ प्रदेश के लोक कलाकारों को आमंत्रित किया गया है.
प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास
पाली के शिव मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से राष्ट्रीय धरोहर के तौर पर चिन्हित किया गया है. कोरबा से बिलासपुर कटघोरा मुख्य मार्ग पर बाई और नौकोनिहा तालाब के पश्चिम तट पर पुर्वाभिमुख नागर शैली में स्थित यह सप्तदेव शिव मंदिर है. इसका निर्माण 870 से 895 ईवी के बाणवंशीय शासक राजा विक्रमादित्य ने करवाया था. विभिन्न शासकों की ओर से प्राचीन शिव मंदिर पाली पर अपना आधिपत्य जमाने के और भी कई किस्से इतिहास में दर्ज हैं.