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गौठान से गायें गायब, चरवाहों ने भी छोड़ा काम, सीएम ने किया था लोकार्पण

जिले में 4 जून को मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित गौठान की हालत खराब हो चुकी है. यहां कार्यरत सभी चरवाहों ने काम छोड़ दिया है. गौठान में एक भी गायें मौजूद नहीं हैं. रखवाली कर रहा चपरासी भी जल्द ही काम छोड़ने की फिराक में है.

गौठान.
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Published : Aug 9, 2019, 8:15 AM IST

Updated : Aug 9, 2019, 1:16 PM IST

कोरबा : मुख्यमंत्री भूपेश बधेल द्वारा लोकार्पित गौठान अब शोपीस बनकर रह गया है. केराझरिया गांव में 43 लाख खर्च कर बनाए गए गौठान में अब कोई झांकने भी नहीं आता. लोकार्पण के बाद से किसी भी अधिकारी ने इस गौठान की सुध नहीं ली.

गौठान से गायब हुई गायें

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 जून को पाली के केराझरिया गांव में गौठान का लोकार्पण किया था, लेकिन दो माह बाद अब इस गौठान में न तो गायें हैं और न गायों को चराने के लिए चरवाहे मौजूद हैं. चारा उपलब्ध नहीं होने से गाय यहां से नदारद हैं. वहीं चरवाहों को पेमेंट नहीं मिलने से उन्होंने काम छोड़ दिया है. आलम यह है कि बरसात के मौसम में गौठान में पानी भर गया है.

दरअसल, इस गौठान में 309 गायें रखी जानी थी. इन्हें प्रशासन द्वारा नियुक्त 4 चरवाहों द्वारा चारा खिलाया जाना था और गायों को चराने के लिए ले जाना था. गौठान में नियुक्त चरवाहे मनहरण सिंह ने बताया कि एक महीने में दो राउंड चारा खिलाया गया, लेकिन इसके बाद सरपंच को फंड नहीं मिलने से गायों को चारा उपलब्ध नहीं हो सका. चरवाहों को इन 6 महीनों में सिर्फ 5 हजार रुपये मजदूरी मिली है.

चरवाहे गायों को चराने के लिए मालिकों से 1 हजार रुपये प्रति जोड़ी की मांग कर रहे थे. कुछ किसानों ने रकम दे दी, लेकिन कुछ ने ये कह कर मना कर दिया कि उन्हें सरकार से फंड मिल रहा है. कुल मिलाकर फंड की कमी और चरवाहों को पेमेंट नहीं मिलने से सभी चरवाहों ने भी काम छोड़ दिया है.

गौठान की रखवाली कर रहे चपरासी लीखम सिंह ने बताया कि उसे भी 6 महीने से मजदूरी नहीं मिली है. शुरुआत में 5 हजार रुपये मजदूरी मिली. वे बीते 6 महीने से 2 शिफ्ट में रखवाली कर रहे हैं. प्रशासन की अनदेखी से मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित गौठान उपेक्षा की मार झेल रहा है.

कोरबा : मुख्यमंत्री भूपेश बधेल द्वारा लोकार्पित गौठान अब शोपीस बनकर रह गया है. केराझरिया गांव में 43 लाख खर्च कर बनाए गए गौठान में अब कोई झांकने भी नहीं आता. लोकार्पण के बाद से किसी भी अधिकारी ने इस गौठान की सुध नहीं ली.

गौठान से गायब हुई गायें

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 जून को पाली के केराझरिया गांव में गौठान का लोकार्पण किया था, लेकिन दो माह बाद अब इस गौठान में न तो गायें हैं और न गायों को चराने के लिए चरवाहे मौजूद हैं. चारा उपलब्ध नहीं होने से गाय यहां से नदारद हैं. वहीं चरवाहों को पेमेंट नहीं मिलने से उन्होंने काम छोड़ दिया है. आलम यह है कि बरसात के मौसम में गौठान में पानी भर गया है.

दरअसल, इस गौठान में 309 गायें रखी जानी थी. इन्हें प्रशासन द्वारा नियुक्त 4 चरवाहों द्वारा चारा खिलाया जाना था और गायों को चराने के लिए ले जाना था. गौठान में नियुक्त चरवाहे मनहरण सिंह ने बताया कि एक महीने में दो राउंड चारा खिलाया गया, लेकिन इसके बाद सरपंच को फंड नहीं मिलने से गायों को चारा उपलब्ध नहीं हो सका. चरवाहों को इन 6 महीनों में सिर्फ 5 हजार रुपये मजदूरी मिली है.

चरवाहे गायों को चराने के लिए मालिकों से 1 हजार रुपये प्रति जोड़ी की मांग कर रहे थे. कुछ किसानों ने रकम दे दी, लेकिन कुछ ने ये कह कर मना कर दिया कि उन्हें सरकार से फंड मिल रहा है. कुल मिलाकर फंड की कमी और चरवाहों को पेमेंट नहीं मिलने से सभी चरवाहों ने भी काम छोड़ दिया है.

गौठान की रखवाली कर रहे चपरासी लीखम सिंह ने बताया कि उसे भी 6 महीने से मजदूरी नहीं मिली है. शुरुआत में 5 हजार रुपये मजदूरी मिली. वे बीते 6 महीने से 2 शिफ्ट में रखवाली कर रहे हैं. प्रशासन की अनदेखी से मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित गौठान उपेक्षा की मार झेल रहा है.

Intro:मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित गौठान अब शोपीस बनकर रह गया है। ग्राम केराझरिया में 19 लाख खर्च कर निर्मित गौठान में अब कोई झांकने भी नहीं आता है। एक बार पीठ थपथपा कर लोकार्पण के बाद से किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने इस गौठान की सुध नहीं ली।


Body:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 जून को पाली विकासखंड के ग्राम केराझरिया में गौठान का लोकार्पण किया था। लेकिन दो महीने बाद अब उस गौठान में ना तो गायें हैं और ना गायों को चराने के लिए चरवाहे मौजूद हैं। चारा उपलब्ध नहीं होने की वजह से गाय वहां से नदारद हैं और चरवाहों को पेमेंट नहीं मिलने से उन्होंने काम छोड़ दिया है। अब आलम यह है कि बरसात के मौसम में गौठान में पानी भरने लगा है।
दरअसल इस गठान में 309 गाएं रखी जानी थी, जिन्हें प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए 4 चरवाहों द्वारा चारा खिलाया जाना था और गायों को चराने के लिए ले जाना था। इस गौठान में नियुक्त चरवाहे मनहरण सिंह ने बताया कि एक महीने में दो राउंड चारा खिलाया गया लेकिन इसके बाद सरपंच को पैसे नहीं मिलने से गायों को चारा उपलब्ध नहीं हो सका। इसके अलावा चरवाहों को इन 6 महीनों में सिर्फ 5 हज़ार रुपए मजदूरी मिली है, जिसके बाद से इनके भी हाथ खाली हैं। स्थिति ऐसी उतपन्न हो गई थी कि चरवाहे गायों को चराने के लिए किसानों से 1 जोड़ा गाय को चराने के लिए 1000 रुपए मांग रहे थे। कुछ भले किसानों ने पैसे दे दिए लेकिन कुछ किसानों ने चरवाहों से यह कह मना कर दिया कि उनको सरकार से पैसा मिल रहा है इसलिए हम पैसे नहीं देंगे। कुल मिलाकर पैसे और पेमेंट नहीं मिलने से 10 दिन पहले चरवाहों ने भी काम छोड़ दिया है।


Conclusion:इस गौठान की रखवाली कर रहे चपरासी लीखम सिंह ने बताया कि उसे भी 6 महीने से मजदूरी नहीं मिली है। शुरुआत में 5 हज़ार रुपए मजदूरी मिली जिसके बाद से अभी तक वो भी अगले पेमेंट की राह देख रहे हैं। लीखम सिंह बताते हैं कि बीते 6 महीने से वे 2 शिफ्ट में रखवाली का काम कर रहे हैं। कुछ दिन और वे अपने पेमेंट का इंतज़ार करेंगे, अगर नहीं मिला तो काम छोड़ देंगे। कुल मिलाकर प्रशासन की अनदेखी से मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित गौठान उपेक्षा की मार झेल रहा है। लोकार्पण के बाद से ओर पलट कर ना देखना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है और साथ ही किसानों के साथ हुए छल की तस्वीर उजागर करता है।

बाइट- लखीम सिंह, गौठान के चौकीदार
बाइट- मनहरण सिंह, चरवाहा
Last Updated : Aug 9, 2019, 1:16 PM IST
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