कोरबा: राम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर का सपना पूरा होने जा रहा है. राम भक्तों के पास राम मंदिर और कार सेवा से जुड़ी कई यादें हैं. इनमें से एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से जुड़ी हुई है. कोरबा में छत्तीसगढ़ के इकलौते ऐसे कारसेवक हैं, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने पेट पर गोली खाई थी. कोरबा के गेसराम चौहान को साल 1992 में अयोध्या में हुई भगदड़ के दौरान पेट पर बाईं तरफ गोली लगी थी.
अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास में शामिल होने के लिए गेसराम को भी निमंत्रण मिला. करीब 95 साल के गेसराम को जब राम मंदिर के शिलान्यास की सूचना मिली और उन्हें पता चला कि उन्हें भी इसके लिए आमंत्रित किया गया है, तो राम मंदिर बनने के लिए कई सालों से इंतजार करने वाले गेसराम की आंखों में खुशी के आंसू थे. उम्र ज्यादा होने की वजह से गेसराम अब ठीक से बात नहीं कर पाते, लेकिन रामलला के लिए बनाए जा रहे मंदिर को लेकर उन्होंने जय श्रीराम का जयकारा जरूर लगाया.
गेसराम को अयोध्या में लगी थी गोली
साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था. इस दौरान गंभीर विवाद हुआ था, तब गेसराम भी वहां मौजूद थे. वे छत्तीसगढ़ के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें 1992 की कारसेवा के दौरान पेट पर गोली लगी थी. वह 1990 में भी अयोध्या गए थे. जिले में RSS के प्रमुख पदाधिकारी किशोर बुटोलिया का भी दावा है कि गेसराम छत्तीसगढ़ के इकलौते ऐसे कारसेवक हैं, जिन्हें कारसेवा के दौरान पेट में बाईं तरफ गोली लगी थी. उस दौरान कोरबा जिले के और भी लोग वहां मौजूद थे, जिनमें जुड़ावन सिंह ठाकुर, किशोर बुटोलिया, राजेंद्र अग्रवाल सहित अन्य शामिल हैं. वर्तमान में यह सभी बीजेपी के कद्दावर नेता हैं.
जुड़ावन सिंह ठाकुर को ग्रामीण क्षेत्र का जिम्मा था. 30 अक्टूबर को सभी फैजाबाद पहुंच चुके थे. उसी दिन कारसेवकों पर पहली गोलीबारी हुई. इसके बाद 2 नवंबर को जब कारसेवकों का बड़ा जत्था आगे बढ़ा तो फिर से पुलिस और सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी, जिसमें गेसराम को गोली लगी.
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भीख तक मांगनी पड़ी
कार सेवक रहे गेसराम गुमनामी का जीवन जी रहे हैं. वह भीख मांग कर जीवनयापन कर रहे थे. उनके परिजनों ने भी उनकी देखभाल नहीं की. RSS के कुछ युवकों ने मिलकर उन्हें कोरबा में निराश्रितों के लिए संचालित 'अपना घर' सेवा आश्रम में पहुंचाया. यह आश्रम छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी चलाती है. गेसराम अब वहीं अपना जीवन गुजार रहे हैं. जब ETV भारत की टीम ने गेसराम से पूछा तो वह ठीक से कुछ बोल नहीं सके, उन्होंने बस जय श्रीराम के नारे लगाए और खुशी की वजह से रोने लगे.
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वनवास के दौरान देवपहरी से गुजरे थे श्रीराम
जिले से 5 से 7 कारसेवकों और आरएसएस के पदाधिकारियों का जत्था देवपहरी की मिट्टी लेकर अयोध्या के लिए रवाना होगा. जिनमें गेसराम का नाम भी शामिल है. ऐसी मान्यता है कि श्रीराम वनवास के दौरान भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ विश्राम के लिए रुके थे. कहा जाता है कि भगवान राम के पदचिन्ह यहां आज भी मौजूद हैं. इस स्थान का नाम देवपहरी भी राम के आगमन के बाद ही पड़ा. इसी मान्यता के कारण देवपहरी की मिट्टी भी राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के लिए मंगाई गई है. गेसराम यहां कि मिट्टी को लेकर कारसेवकों के साथ अयोध्या रवाना होंगे. देवपहरी में कलश यात्रा भी निकाली गई है, जहां गेसराम मुख्य अतिथि थे.