कोरबा: चारों तरफ धुआं-धुआं सा, ये कुहासा या फॉग नहीं है बल्कि ये प्रदूषण की भयावह स्थिति है. बारहों महीने यहां ऐसा ही नजारा रहता है. धूल भरी आंधी सी चलती है. इससे यहां रहने वाले और व्यवसाय चलाने लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. इस धूल और डस्ट से परेशान लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं.
शहर से लगे हुए कुसमुंडा नगर की हालत बद से बदतर होती जा रही है. प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग नगर छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए हैं. लोगों का कहना है कि यहां रहना मौत को जल्द आमंत्रण देने जैसा हो गया है. हजारों-लाखों की पूंजी लगाकर यहां व्यवसाय शुरू करने वाले कितने की लोग यहां से पलायन कर चुके हैं. करीब 25 प्रतिशत दुकानों पर हमेशा के लिए ताला जड़ गया है.
दरअसल, कुसमुंडा में कोयले की खदान है. इस वजह से चौबीसों घंटे यहां भारी गाड़ियों का आना-जाना रहता है. रोजाना 2000 से अधिक गाड़ियां यहां से गुजरती हैं. स्थिति में सुधार के लिए यहां कई बार आंदोलन और धरना प्रदर्शन हो चुके हैं. लेकिन शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में लोग यहां अस्थमा और चर्म रोग से पीड़ित हो रहे हैं. मजबूरी ऐसी है कि लोग बड़ी संख्या में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.