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SPECIAL: धूल ने जीना किया मुश्किल, पलायन को मजबूर लोग - कोरबा

शहर से लगे हुए कुसमुंडा नगर की हालत बद से बदतर होती जा रही है. प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग नगर छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए हैं.

इस धुएं ने जीना किया मुश्किल, पलायन को मजबूर लोग
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Published : Jun 11, 2019, 10:24 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 11:28 PM IST

कोरबा: चारों तरफ धुआं-धुआं सा, ये कुहासा या फॉग नहीं है बल्कि ये प्रदूषण की भयावह स्थिति है. बारहों महीने यहां ऐसा ही नजारा रहता है. धूल भरी आंधी सी चलती है. इससे यहां रहने वाले और व्यवसाय चलाने लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. इस धूल और डस्ट से परेशान लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं.

धूल ने जीना किया मुश्किल, पलायन को मजबूर लोग

शहर से लगे हुए कुसमुंडा नगर की हालत बद से बदतर होती जा रही है. प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग नगर छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए हैं. लोगों का कहना है कि यहां रहना मौत को जल्द आमंत्रण देने जैसा हो गया है. हजारों-लाखों की पूंजी लगाकर यहां व्यवसाय शुरू करने वाले कितने की लोग यहां से पलायन कर चुके हैं. करीब 25 प्रतिशत दुकानों पर हमेशा के लिए ताला जड़ गया है.

दरअसल, कुसमुंडा में कोयले की खदान है. इस वजह से चौबीसों घंटे यहां भारी गाड़ियों का आना-जाना रहता है. रोजाना 2000 से अधिक गाड़ियां यहां से गुजरती हैं. स्थिति में सुधार के लिए यहां कई बार आंदोलन और धरना प्रदर्शन हो चुके हैं. लेकिन शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में लोग यहां अस्थमा और चर्म रोग से पीड़ित हो रहे हैं. मजबूरी ऐसी है कि लोग बड़ी संख्या में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

कोरबा: चारों तरफ धुआं-धुआं सा, ये कुहासा या फॉग नहीं है बल्कि ये प्रदूषण की भयावह स्थिति है. बारहों महीने यहां ऐसा ही नजारा रहता है. धूल भरी आंधी सी चलती है. इससे यहां रहने वाले और व्यवसाय चलाने लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. इस धूल और डस्ट से परेशान लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं.

धूल ने जीना किया मुश्किल, पलायन को मजबूर लोग

शहर से लगे हुए कुसमुंडा नगर की हालत बद से बदतर होती जा रही है. प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग नगर छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए हैं. लोगों का कहना है कि यहां रहना मौत को जल्द आमंत्रण देने जैसा हो गया है. हजारों-लाखों की पूंजी लगाकर यहां व्यवसाय शुरू करने वाले कितने की लोग यहां से पलायन कर चुके हैं. करीब 25 प्रतिशत दुकानों पर हमेशा के लिए ताला जड़ गया है.

दरअसल, कुसमुंडा में कोयले की खदान है. इस वजह से चौबीसों घंटे यहां भारी गाड़ियों का आना-जाना रहता है. रोजाना 2000 से अधिक गाड़ियां यहां से गुजरती हैं. स्थिति में सुधार के लिए यहां कई बार आंदोलन और धरना प्रदर्शन हो चुके हैं. लेकिन शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में लोग यहां अस्थमा और चर्म रोग से पीड़ित हो रहे हैं. मजबूरी ऐसी है कि लोग बड़ी संख्या में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

Intro:EXCLUSIVE
आपने नौकरी के लिए, व्यापार के लिए, मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को पलायन करते देखा होगा। लेकिन एक ऐसा नगर है जहाँ लोग धूल और डस्ट से अपनी जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।


Body:शहर से लगे हुए कुसमुंडा नगर की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। यहाँ के लोग प्रदूषण से पीड़ित हैं। प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोग नगर छोड़ कर जाने को मजबूर हो गए हैं। यहाँ के लोगों का साफ कहना है कि अब इस नगर में रहना मौत को जल्द आमंत्रण देने जैसा हो गया है। यहीं जन्मे और पले बढ़े लोग भी मन मारकर यहाँ से पलायन करने को मजबूर हैं। अपनी सारी पूंजी बेचकर नए सिरे से दूसरे जगह बसने को तैयार हैं। लोगों का साफ कहना है कि अगर यही हाल रहा तो एक दिन नगर में कोई नहीं बचेगा।
दरअसल, कुसमुंडा में कोयले की खदान है। या वजह से भारी गाड़ियों का आवागमन 24 घण्टे लगा रहता है। रोज़ाना 2000 से अधिक गाड़ियां यहाँ से गुजरती हैं। बीते कई सालों से यहाँ आंदोलन से लेकर धरना प्रदर्शन तक किया जा चुका है लेकिन शासन प्रशासन दोनों इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सड़क दुर्घटनाएं होना यहाँ आम बात हो गई है। दवाई दुकान के संचालक भी बताते हैं कि उनके पास सबसे अधिक मरीज अस्थमा और सांस के बीमारी की दवाई लेने आते हैं। पलायन के उदाहरण के तौर पर लगभग 25% दुकानों में हमेशा के लिए ताला जड़ गया है। अब लोगों का एक ही सवाल है कि जियें तो जियें कैसे।

बाइट- ओम गभेल, नगरवासी
बाइट- राजेश पटेल, केमिस्ट


Conclusion:
Last Updated : Jun 11, 2019, 11:28 PM IST
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