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कोल इंडिया देगी 16 करोड़, सृष्टि को स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी से बचाने विदेश से आयात होगी इंजेक्शन

पलामू की सृष्टि रानी को नयी जिंदगी देने के लिए कोल इंडिया आगे आया है. दो साल की मासूम बच्ची को बचाने के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाना है. इसके लिए कंपनी ने आर्थिक सहायता मंजूर कर ली है. सृष्टि को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी है. सृष्टि के पिता छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 3:54 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 10:26 PM IST

Srishti is on ventilator for last 10 months
बीते 10 महीने से वेंटीलेटर पर है सृष्टि

कोरबा/पलामूः ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही झारखंड के पलामू की रहनेवाली दो साल की सृष्टि रानी को नयी जिंदगी देने के लिए कोल इंडिया आगे आया है. मासूम बच्ची को लगने वाले इंजेक्शन के लिए कंपनी ने 16 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की है. सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि ने ईटीवी भारत को फोन के जरिए इसकी जानकारी दी. सृष्टि के पिता छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने कोल इंडिया के साथ मीडिया और दूसरे मददगारों को धन्यवाद दिया है.

एसईसीएल के जनसम्पर्क अधिकारी सनीश चंद्र

ये भी पढ़ें- सलामत रहे सृष्टि: गंभीर बीमारी से जूझ रही है 14 महीने की मासूम, आपकी एक मदद से बच सकती है जिंदगी

सृष्टि करीब 10 महीने से वेंटीलेटर पर है. ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) एक दुर्लभ बीमारी है. इसके इलाज के लिए यूएस से इंजेक्शन मंगाया जाता है, जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपए है. टैक्स में राहत के बाद इसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए हो जाती है. उम्मीद है कि दो से तीन हफ्ते के भीतर सृष्टि को यह इंजेक्शन लग जाएगी.

ये है पूरा मामला

एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है. अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है. इसका इलाज बेहद महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपये है. अब कोल इंडिया ने अपने परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है.

इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना नहीं था संभव

एसईसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “सतीश जैसे कर्मी द्वारा अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था. कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है. जो इस धारणा पर कार्य करते हैं कि कर्मी और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी पूंजी हैं और उनकी जिंदगी बचाना संस्थान का प्राथमिक कार्य है।”

विदेश से आयात कर सृष्टि को लगेगी इंजेक्शन

गौरतलब है कि एसईसीएल की यह पहल ऐसे समय में आई है, जब देशभर में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत कर्मी बिजली बनाने के लिए कोयले की बढ़ती मांग के मद्देनजर जरूरी सप्लाई सुनिश्चित किये जाने के लिए दिन-रात अनवरत कार्य में जुटे हैं. बता दें कि सृष्टि रानी के इलाज के लिए विदेश से आयात कर 16 करोड़ रुपये का ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन दिया जाना है. दिल्ली एम्स में इलाज के बाद सृष्टि फिलहाल अपने पिता के गृहग्राम झारखंड में है, जहां उसे पोर्टेबल वेंटिलेटर पर रखा गया है.

कोल इंडिया ने की मदद

सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में काम करते हैं. सृष्टि के चाचा दीपक कुमार ने बताया कि कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल की ओर से 16 करोड़ की सहायता राशि की स्वीकृति का पत्र बुधवार को एसईसीएल पहुंचा है. बताया जा रहा है कि किसी एक व्यक्ति के लिए इलाज के लिए यह कंपनी की ओर से अब तक का सबसे बड़ा अनुदान है. सृष्टि के पिता ने मदद के लिए कोल इंडिया को धन्यवाद दिया है.

सृष्टि के परिजन

ये भी पढ़ें- गंभीर बीमारी से जूझ रही है 14 महीने की मासूम, 22 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है जान

सृष्टि को बचाना है

सृष्टि के दादा प्रभु शंकर बताया कि सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ था. दो महीने तक सबकुछ सामान्य था. एक दिन अचानक सृष्टि की तबीयत खराब हो गई. उसके हाथ पैर ने काम करना बंद कर दिया. जून 2020 में पिता बच्ची को लेकर रायपुर के एक न्यूरोलॉजिस्ट के पास पहुंचे. इसके बाद दिसंबर महीने में उसे वेल्लूर ले जाया गया, जहां सृष्टि को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप वन बीमारी से पीड़ित होने का पता चला.

ये भी पढ़ें-सृष्टि को बचाना हैः स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी बीमारी से है पीड़ित, देशवासियों से मदद की गुहार

सृष्टि के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग भी की जा रही थी लेकिन अब तक मात्र 40 लाख रुपये ही जुट पाए. एसईसीएल के कर्मियों ने भी मदद की गुहार लेते हुए कंपनी को पत्र लिखा था. इसके बाद एसईसीएल ने कोल इंडिया को प्रस्ताव भेजा, जिसे अब मंजूर कर लिया गया है सृष्टि देश की दूसरी बच्ची है, जिसे 16 करोड़ का इंजेक्शन लगेगा. इससे पहले इसी तरह की बीमारी से जूझ रही मुंबई की एक बच्ची तीरा कामथ के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद इस इंजेक्शन का इंतजाम हुआ था.

कोरबा/पलामूः ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही झारखंड के पलामू की रहनेवाली दो साल की सृष्टि रानी को नयी जिंदगी देने के लिए कोल इंडिया आगे आया है. मासूम बच्ची को लगने वाले इंजेक्शन के लिए कंपनी ने 16 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की है. सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि ने ईटीवी भारत को फोन के जरिए इसकी जानकारी दी. सृष्टि के पिता छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने कोल इंडिया के साथ मीडिया और दूसरे मददगारों को धन्यवाद दिया है.

एसईसीएल के जनसम्पर्क अधिकारी सनीश चंद्र

ये भी पढ़ें- सलामत रहे सृष्टि: गंभीर बीमारी से जूझ रही है 14 महीने की मासूम, आपकी एक मदद से बच सकती है जिंदगी

सृष्टि करीब 10 महीने से वेंटीलेटर पर है. ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) एक दुर्लभ बीमारी है. इसके इलाज के लिए यूएस से इंजेक्शन मंगाया जाता है, जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपए है. टैक्स में राहत के बाद इसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए हो जाती है. उम्मीद है कि दो से तीन हफ्ते के भीतर सृष्टि को यह इंजेक्शन लग जाएगी.

ये है पूरा मामला

एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है. अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है. इसका इलाज बेहद महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपये है. अब कोल इंडिया ने अपने परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है.

इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना नहीं था संभव

एसईसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “सतीश जैसे कर्मी द्वारा अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था. कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है. जो इस धारणा पर कार्य करते हैं कि कर्मी और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी पूंजी हैं और उनकी जिंदगी बचाना संस्थान का प्राथमिक कार्य है।”

विदेश से आयात कर सृष्टि को लगेगी इंजेक्शन

गौरतलब है कि एसईसीएल की यह पहल ऐसे समय में आई है, जब देशभर में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत कर्मी बिजली बनाने के लिए कोयले की बढ़ती मांग के मद्देनजर जरूरी सप्लाई सुनिश्चित किये जाने के लिए दिन-रात अनवरत कार्य में जुटे हैं. बता दें कि सृष्टि रानी के इलाज के लिए विदेश से आयात कर 16 करोड़ रुपये का ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन दिया जाना है. दिल्ली एम्स में इलाज के बाद सृष्टि फिलहाल अपने पिता के गृहग्राम झारखंड में है, जहां उसे पोर्टेबल वेंटिलेटर पर रखा गया है.

कोल इंडिया ने की मदद

सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में काम करते हैं. सृष्टि के चाचा दीपक कुमार ने बताया कि कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल की ओर से 16 करोड़ की सहायता राशि की स्वीकृति का पत्र बुधवार को एसईसीएल पहुंचा है. बताया जा रहा है कि किसी एक व्यक्ति के लिए इलाज के लिए यह कंपनी की ओर से अब तक का सबसे बड़ा अनुदान है. सृष्टि के पिता ने मदद के लिए कोल इंडिया को धन्यवाद दिया है.

सृष्टि के परिजन

ये भी पढ़ें- गंभीर बीमारी से जूझ रही है 14 महीने की मासूम, 22 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है जान

सृष्टि को बचाना है

सृष्टि के दादा प्रभु शंकर बताया कि सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ था. दो महीने तक सबकुछ सामान्य था. एक दिन अचानक सृष्टि की तबीयत खराब हो गई. उसके हाथ पैर ने काम करना बंद कर दिया. जून 2020 में पिता बच्ची को लेकर रायपुर के एक न्यूरोलॉजिस्ट के पास पहुंचे. इसके बाद दिसंबर महीने में उसे वेल्लूर ले जाया गया, जहां सृष्टि को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप वन बीमारी से पीड़ित होने का पता चला.

ये भी पढ़ें-सृष्टि को बचाना हैः स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी बीमारी से है पीड़ित, देशवासियों से मदद की गुहार

सृष्टि के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग भी की जा रही थी लेकिन अब तक मात्र 40 लाख रुपये ही जुट पाए. एसईसीएल के कर्मियों ने भी मदद की गुहार लेते हुए कंपनी को पत्र लिखा था. इसके बाद एसईसीएल ने कोल इंडिया को प्रस्ताव भेजा, जिसे अब मंजूर कर लिया गया है सृष्टि देश की दूसरी बच्ची है, जिसे 16 करोड़ का इंजेक्शन लगेगा. इससे पहले इसी तरह की बीमारी से जूझ रही मुंबई की एक बच्ची तीरा कामथ के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद इस इंजेक्शन का इंतजाम हुआ था.

Last Updated : Nov 18, 2021, 10:26 PM IST
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