कोरबा: केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi) के कोरबा दौरे के ठीक 1 दिन पहले 12 अक्टूबर को SECL के उच्चाधिकारियों के मीटिंग में कोयला सप्लाई को लेकर रणनीति (Strategy for Coal Supply) तैयार की गई थी. बैठक के बाद 12 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी हुआ था. जिसमें किस पावर प्लांट और एसईसीएल के उपभोक्ताओं (SECL Consumers) को कितना कोयला दिया जाना है. इस संबंध में एक सर्कुलर रेलवे को जारी किया गया था. सर्कुलर के अंत में एक नोट भी लिखा गया था. जिसमें उल्लेख किया गया था कि नॉन पावर सेक्टर के उपभोक्ताओं को अगली सूचना तक सप्लाई कैंसिल भी की जा सकती है. जब यह सर्कुलर नॉन पावर सेक्टर के इंडस्ट्रीज तक पहुंचा, तब हड़कम मच गया.
लेकिन कोयला मंत्री (Coal Minister) के दौरे के बाद 14 अक्टूबर को SECL प्रबंधन सामने आया और कहा कि इस सर्कुलर की गलत व्याख्या की गई है. पॉवर और नॉन पावर सेक्टर सभी को SECL समान रूप से कोयले की आपूर्ति करेगा. SECL के सभी उपभोक्ता उसके लिए एक समान हैं.
क्या लिखा सर्कुलर में
SECL ने रेलवे के सीनियर डीओएम को संबोधित पत्र में उल्लेख किया है कि यह 19 ऐसे पावर प्लांट और संस्थानों के सूची है. जहां कोयला संकट की स्थिति है और यहां कोयले का स्टॉक निर्धारित मात्रा से कम है. 19 संस्थानों में कोरबा के पावर प्लांट डीएसपीएम, लैंको पताड़ी सहित अकलतरा टीपीएस व एनटीपीसी के भी संस्थान शामिल हैं. SECL ने इन संस्थानों को (-)100 एमएम और (-)250 एमएम के कुल 28 और 25 रेक कोयला प्रति दिन सप्लाई करने के निर्देश दिए.
इसी सर्कुलर के अंत में एक नोट भी लिखा गया, जिसमें साफ तौर पर यह उल्लेखित किया गया है कि नॉन पावर सेक्टर के संस्थानों को अगली सूचना तक कोयला सप्लाई निलंबित की जा सकती है. लेकिन यह नहीं कहा है कि सप्लाई निलंबित की जाती है या सप्लाई नहीं की जाएगी. SECL के अफसर इसी बात पर जोर देकर कह रहे हैं कि सर्कुलर की गलत व्याख्या की गई है.
कोयला मंत्री स्वीकार चुके हैं कोयला संकट की बात
1 दिन पहले 13 अक्टूबर को कोरबा के खदानों के निरीक्षण के बाद कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने पहली बार यह बात स्वीकार की कि कोयला संकट है. उन्होंने यह भी कहा कि इस संकट से जल्द ही उबर जाएंगे और परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी. SECL के इस सर्कुलर के बाद कोयला संकट की बात से इंकार नहीं किया जा सकता. SECL ने कोयला सप्लाई बंद करने के कोई आदेश से भले ही ना दिए हों, लेकिन इस सर्कुलर के जारी होते ही नॉन पावर सेक्टर की इंडस्ट्रीज में हड़कंप मच गया है.
नॉन पावर इंडस्ट्रीज हैं कौन?
देश में कोयले का उत्खनन सीधे तौर पर विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. यह कोयले का सर्वोच्च प्राथमिकता वाला उपयोग है, कोयला का सबसे बड़ा योगदान कोयले से बिजली बनाने में होता है. यह पावर प्लांट को सप्लाई होता है. SECL की तरफ से देशभर में कोयला सप्लाई की जाती है.
अब स्टील उद्योग एलमुनियम उद्योग जैसे कुछ बड़े उद्योग भी हैं, जो अपने ही परिसर में कैपटिव पावर प्लांट लगाते हैं और एल्मुनियम, स्टील जैसे उत्पादों के दौरान जरूरत पड़ने वाली बिजली का उत्पादन खुद करते हैं. इस बिजली को वह सरकार को नहीं भेजते वह खुद ही अपने उपयोग के लिए बिजली का निर्माण करते हैं. जिसके लिए उन्हें कोयले कि आवश्यकता होती है.
इसी तरह देश में कई छोटे उद्योग भी संचालित हैं, जो नॉन पावर सेक्टर की श्रेणी में आते हैं. वह अपनी जरूरत के लिए ही बिजली उत्पादन करते हैं. कोरोना काल के बाद देश की इकोनॉमी तेजी से बूम कर रही है. ऐसे कई उद्योग संचालित हैं, जिन्हें लक्ष्य के अनुरूप कोयला चाहिए, ताकि वह पूरी क्षमता से कार्य कर अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ कर सकें. ऐसे में SECL के सर्कुलर से ऐसे सभी उद्योगों के बीच हड़कंप जैसी स्थिति है. हालांकि SECL प्रबंधन ने बेहद स्पष्ट किया है कि वह सभी उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से कोयले की आपूर्ति करेंगे.
सूचना गलत और भ्रामक
वहीं SECL बिलासपुर मुख्यालय के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्र (Public Relations Officer Sanish Chandra) ने कहा है कि SECL के लिए पावर या नॉन पावर सेक्टर एक जैसे ही हैं. SECL अपने सभी उपभोक्ताओं को कोयला सप्लाई करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. यदि ऐसी कोई सूचना कहीं से भी आई है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि नॉन पावर सेक्टर को कोयले की सप्लाई नहीं होगी, तो वह पूरी तरह से भ्रामक और निराधार है. एसईसीएल अपने सभी उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से कोयले की आपूर्ति करता रहेगा.