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Korba Manikpur Pokhri Mine: कोरबा का मानिकपुर पोखरी खदान बनेगा ईको पर्यटन स्थल, SECL ने किया एलान - नगर निगम कोरबा

Korba Manikpur Pokhri Mine छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल को लेकर एक अच्छी खबर है. SECL ने कोरबा के मानिकपुर पोखरी ओपन कास्ट कोयला खदान को ईको टूरिज्म के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है.

Korba Manikpur Pokhri Mine
मानिकपुर पोखरी खदान बनेगा ईको पर्यटन स्थल
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Published : Jul 9, 2023, 10:08 PM IST

Updated : Jul 10, 2023, 6:23 AM IST

कोरबा: कोरबा की पहचान छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी के तौर पर है. लेकिन अब इस शहर की पहचान पर्यटन केंद्र के रूप में भी बन रही है. इस प्रयास में कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल भी जुड़ गई है. कोरबा में पर्यटन सेंटर को विस्तार देने की कवायद में एक बड़ी बात सामने आई है. एसईसीएल ने मानिकपुर पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान को लेकर बड़ा फैसला किया है. इस पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान को इको टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित किया जाएगा. इसे विकसित करने का फैसला एसईसीएल ने लिया है.

सूरजपुर में भी इस तरह की परियोजना की गई विकसित: इससे पहले सूरजपुर में भी इस तरह की परियोजना डेवलप की गई है. सूरजपुर के केनापारा में बंद खदान को एसईसीएल ने इको टूरिज्म साइट के रूप में विकसित किया है. यहां आज नौकायन और अन्य गतिविधियों का आनंद लेने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र भी ट्वीट के जरिये इस पर्यटन स्थल की सराहना कर चुके हैं. तब, यह राज्य का इस तरह का पहला प्रोजेक्ट था. अब मानिकपुर पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान इस तरह का दूसरा प्रोजेक्ट होगा. इस बात की जानकारी रविवार को एसईसीएल प्रबंधन की तरफ से दी गई है.

"नगर निगम कोरबा के साथ मिलकर मानिकपुर पोखरी खदान को इको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. इस कार्य में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी. कंपनी ने इस कार्य के लिए कोरबा कलेक्टर को 5.60 करोड़ रुपये पहले जारी कर दिए हैं"- सनीश चंद्रा, एसईसीएल के प्रवक्ता

मानिकपुर पोखरी खदान का इतिहास जानिए: मानिकपुर पोखरी खदान कोरबा की सबसे पुरानी और पहली खदानों में से एक है. यहां साल 1966 में माइनिंग का काम शुरू हुआ था. करीब 24 साल तक खुदाई होने के बाद अब वहां भूजल का स्रोत पता चला है. यहां पानी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि इस खदान को बंद करने का फैसला लिया गया. अब यह खदान एक तरह से झील का स्वरूप ले चुकी है. यह करीब 8 हेक्टेयर से भी ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है.

मानिकपुर पोखरी खदान में ये सुविधाएं होंगी विकसित: एसईसीएल के अधिकारी ने बताया कि "मानिकपुर पोखरी खदान में अब पर्यटकों के लिए नौकायान, प्लोटिंग रेस्टोरेंट, कैफेटेरिया, उद्यान जैसी सुविधाएं तैयार की जाएगी. इसके अलावा यहां सेल्फी जोन, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, रेपेलिंग दीवार, जिपलाइन, रोलर कोस्टर और म्यूजिकल फाउंटेन बनाया जाएगा." इस प्रोजेक्ट के डेवलप होने से कोरबा में रोजगार के साधन बढ़ेंगे. लोगों को नौकरी मिलेगी और आजीविका के नए स्रोत पैदा होंगे.

"कोरबा में देश ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी खदाने हैं. कोल इंडिया देश भर में बंद खदानों को इकोटूरिज्म स्थलों में बदलने की योजना पर काम कर रहा है. जिसकी वजह से इस तरह खदानें पर्यटन स्थल के रूप में विकसति हो सके"- सनीश चंद्रा, एसईसीएल के प्रवक्ता

SPECIAL: छत्तीसगढ़ में लव-कुश की जन्म स्थली मातागढ़ तुरतुरिया को बनाया जाएगा इको-टूरिज्म स्पॉट
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एसईसीएल के एलान के बाद अब कोरबा वासियों को इस तरह के प्रोजेक्ट के पूरे होने का इंतजार है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़वासियों को इसके पूरे होने का इंतजार है. जिससे प्रदेश का पर्यटन क्षेत्र और समृद्ध हो सके.

कोरबा: कोरबा की पहचान छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी के तौर पर है. लेकिन अब इस शहर की पहचान पर्यटन केंद्र के रूप में भी बन रही है. इस प्रयास में कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल भी जुड़ गई है. कोरबा में पर्यटन सेंटर को विस्तार देने की कवायद में एक बड़ी बात सामने आई है. एसईसीएल ने मानिकपुर पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान को लेकर बड़ा फैसला किया है. इस पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान को इको टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित किया जाएगा. इसे विकसित करने का फैसला एसईसीएल ने लिया है.

सूरजपुर में भी इस तरह की परियोजना की गई विकसित: इससे पहले सूरजपुर में भी इस तरह की परियोजना डेवलप की गई है. सूरजपुर के केनापारा में बंद खदान को एसईसीएल ने इको टूरिज्म साइट के रूप में विकसित किया है. यहां आज नौकायन और अन्य गतिविधियों का आनंद लेने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र भी ट्वीट के जरिये इस पर्यटन स्थल की सराहना कर चुके हैं. तब, यह राज्य का इस तरह का पहला प्रोजेक्ट था. अब मानिकपुर पोखरी ओनप कास्ट कोयला खदान इस तरह का दूसरा प्रोजेक्ट होगा. इस बात की जानकारी रविवार को एसईसीएल प्रबंधन की तरफ से दी गई है.

"नगर निगम कोरबा के साथ मिलकर मानिकपुर पोखरी खदान को इको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. इस कार्य में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी. कंपनी ने इस कार्य के लिए कोरबा कलेक्टर को 5.60 करोड़ रुपये पहले जारी कर दिए हैं"- सनीश चंद्रा, एसईसीएल के प्रवक्ता

मानिकपुर पोखरी खदान का इतिहास जानिए: मानिकपुर पोखरी खदान कोरबा की सबसे पुरानी और पहली खदानों में से एक है. यहां साल 1966 में माइनिंग का काम शुरू हुआ था. करीब 24 साल तक खुदाई होने के बाद अब वहां भूजल का स्रोत पता चला है. यहां पानी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि इस खदान को बंद करने का फैसला लिया गया. अब यह खदान एक तरह से झील का स्वरूप ले चुकी है. यह करीब 8 हेक्टेयर से भी ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है.

मानिकपुर पोखरी खदान में ये सुविधाएं होंगी विकसित: एसईसीएल के अधिकारी ने बताया कि "मानिकपुर पोखरी खदान में अब पर्यटकों के लिए नौकायान, प्लोटिंग रेस्टोरेंट, कैफेटेरिया, उद्यान जैसी सुविधाएं तैयार की जाएगी. इसके अलावा यहां सेल्फी जोन, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, रेपेलिंग दीवार, जिपलाइन, रोलर कोस्टर और म्यूजिकल फाउंटेन बनाया जाएगा." इस प्रोजेक्ट के डेवलप होने से कोरबा में रोजगार के साधन बढ़ेंगे. लोगों को नौकरी मिलेगी और आजीविका के नए स्रोत पैदा होंगे.

"कोरबा में देश ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी खदाने हैं. कोल इंडिया देश भर में बंद खदानों को इकोटूरिज्म स्थलों में बदलने की योजना पर काम कर रहा है. जिसकी वजह से इस तरह खदानें पर्यटन स्थल के रूप में विकसति हो सके"- सनीश चंद्रा, एसईसीएल के प्रवक्ता

SPECIAL: छत्तीसगढ़ में लव-कुश की जन्म स्थली मातागढ़ तुरतुरिया को बनाया जाएगा इको-टूरिज्म स्पॉट
बस्तर में ईको टूरिज्म को बढ़ाने कलेक्टर ने ली अधिकारियों की बैठक, दिए ये दिशा-निर्देश
Kenapara Tourist Places of Surajpur केनापारा कोयला खदान बना पर्यटन स्थल, केंद्र ने भी की तारीफ

एसईसीएल के एलान के बाद अब कोरबा वासियों को इस तरह के प्रोजेक्ट के पूरे होने का इंतजार है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़वासियों को इसके पूरे होने का इंतजार है. जिससे प्रदेश का पर्यटन क्षेत्र और समृद्ध हो सके.

Last Updated : Jul 10, 2023, 6:23 AM IST
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