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कोरबा लूटकांड: पुलिस को 9 अक्टूबर तक मिली आरोपी कैशियर की रिमांड, बाकी आरोपी फरार

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Published : Oct 7, 2020, 4:51 AM IST

Updated : Oct 7, 2020, 2:17 PM IST

सैनिक माइनिंग कैंप में कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी एसीबी/जीटीपी के दफ्तर में लूट के आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. पुलिस की जांच अब भी जारी है, कैशियर को 9 अक्टूबर तक रिमांड में लेकर पुलिस पूछताछ करने की बात कह रही है. इसके बाद ही लूट के सभी आरोपी और सवालों के जवाब मिल पाएंगे.

robbery in office of ACB
एसीबी के दफ्तर में लूट

कोरबा: एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सैनिक माइनिंग कैंप में कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी एसीबी/जीटीपी के दफ्तर में लूट के आरोपी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. पुलिस के अनुसार अब तक की जांच में कंपनी का कैशियर ही लूट का मास्टरमाइंड प्रतीत हो रहा है. जिससे आगे की पूछताछ के लिए पुलिस ने अदालत से आरोपी की रिमांड मांगी थी. अदालत ने पुलिस को कैशियर जवाहर लाल प्रसाद को 9 अक्टूबर तक रिमांड पर रखने की मंजूरी दे दी है. संभावना यही है कि आगे की पूछताछ में पुलिस मामले की तह तक पहुंचने में कामयाब हो सकेगी.

कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में रविवार की रात हुई लूट की वारदात में लगभग 20 से 30 लाख रुपए की लूट होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी. जिस पर एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. जांच के दौरान कंपनी के अंदर के लोगों की ही भूमिका संदिग्ध नजर आई. संदेह के आधार पर पुलिस ने कैशियर को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की. जिसमें कई तरह की बातें निकल कर सामने आई.

एसीबी के दफ्तर में लूट केस में पुलिस के हाथ खाली

पढ़ें-ACB कंपनी के सैनिक माइनिंग कैंप में 30 लाख की डकैती

संदेह के आधार पर ही पुलिस ने कैशियर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है. बार-बार बयान बदलने के कारण वारदात की तह तक पहुंच पाना फिलहाल पुलिस के लिए संभव नहीं हो पाया है. हालांकि पुलिस का दावा है कि वह इस केस के आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी.

उठ रहे कई सवाल

पुलिस को मौके पर से जिस अलमारी से चोरी होने की बात बताई गई, उस अलमारी को लॉक नहीं किया गया था. दफ्तर के भीतर दाखिल होने का जो रास्ता था, उसे भी सुनियोजित तरीके से चोरी करने वाले लोगों को बताया गया था. उपलब्ध सबूत के अनुसार जिस रास्ते से चोर कंपनी के दफ्तर में दाखिल हुए थे वहां से किसी अनजान का अंदर आना संभव नहीं है.

पढ़ें-युवक ने बनाई लूट की झूठी कहानी, 7 घंटे में पुलिस ने किया खुलासा

पुलिस को बताया गया था कि लूट की रकम लगभग 30 लाख हो सकती है. जिस रकम के बारे में बताया गया था, बैंक से जिस ट्रांजैक्शन की बात कही गई थी. उसी डेट पर कैशियर से बरामद की गई रकम को बैंक से निकाला गया था. मतलब यह हुआ कि जिस रकम को चोरी होना बताया गया था. वही रुपये कैशियर के घर से बरामद किए गए है. जिससे कि कैशियर पर शक गहरा होता गया.

1 किलो सोने का बिस्किट कहां से आया?

लूट की जांच के दौरान पुलिस ने कंपनी के 44 वर्षीय कैशियर जवाहरलाल प्रसाद को मामले का मास्टरमाइंड मान रही है. जिसके पास से 10 लाख 50 हजार रुपए पुलिस ने बरामद किए हैं. वही 50 लाख रुपए की कीमत का 1 किलो वजनी सोना भी पुलिस ने बरामद किया है. इसे लेकर पेंच फंस गया है. चर्चा यह भी है कि यह सोना जवाहरलाल के बजाय किसी और का है.

पढ़ें-व्यापारी से 95 हजार की लूट, रकम लेकर नौ दो ग्यारह हुए बदमाश

अब यह सोना किसका है?

सोना जवाहरलाल के पास कैसे आया? यह अब भी राज बना हुआ है. पुलिस भी इन सवालों के जवाब ढूंढ रही है. जिस जवाहर प्रसाद को पुलिस लूट का मास्टरमाइंड बता रही है, वह कंपनी में विगत 25 सालों से नौकरी कर रहा है और कंपनी के लिए बड़ी रकमों का लेन-देन करता रहा है.

ड्राइवर के साथ हुई मारपीट

लूट के दौरान कंपनी के दफ्तर में ड्राइवर के साथ मारपीट भी हुई है. यह मारपीट किसने की और लूट के आरोपी कौन हैं? इसके साथ ही एक सवाल यह भी है कि 20 से 30 लाख रुपये की भारी-भरकम रकम दफ्तर में रखने की क्या जरूरत थी. इन सभी सवालों के जवाब की तलाश पुलिस कर रही है. कंपनी की ओर से पुलिस को जो जानकारी दी गई है कि कर्मचारियों को पेमेंट करने के लिए अक्सर रकम कैश के तौर पर उपलब्ध रहती है. बहरहाल, पुलिस की जांच अब भी जारी है, कैशियर को 9 अक्टूबर तक रिमांड में लेकर पुलिस पूछताछ करने की बात कह रही है. इसके बाद ही लूट के सभी आरोपी और सवालों के जवाब मिल पाएंगे.

कोरबा: एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सैनिक माइनिंग कैंप में कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी एसीबी/जीटीपी के दफ्तर में लूट के आरोपी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. पुलिस के अनुसार अब तक की जांच में कंपनी का कैशियर ही लूट का मास्टरमाइंड प्रतीत हो रहा है. जिससे आगे की पूछताछ के लिए पुलिस ने अदालत से आरोपी की रिमांड मांगी थी. अदालत ने पुलिस को कैशियर जवाहर लाल प्रसाद को 9 अक्टूबर तक रिमांड पर रखने की मंजूरी दे दी है. संभावना यही है कि आगे की पूछताछ में पुलिस मामले की तह तक पहुंचने में कामयाब हो सकेगी.

कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में रविवार की रात हुई लूट की वारदात में लगभग 20 से 30 लाख रुपए की लूट होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी. जिस पर एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. जांच के दौरान कंपनी के अंदर के लोगों की ही भूमिका संदिग्ध नजर आई. संदेह के आधार पर पुलिस ने कैशियर को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की. जिसमें कई तरह की बातें निकल कर सामने आई.

एसीबी के दफ्तर में लूट केस में पुलिस के हाथ खाली

पढ़ें-ACB कंपनी के सैनिक माइनिंग कैंप में 30 लाख की डकैती

संदेह के आधार पर ही पुलिस ने कैशियर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है. बार-बार बयान बदलने के कारण वारदात की तह तक पहुंच पाना फिलहाल पुलिस के लिए संभव नहीं हो पाया है. हालांकि पुलिस का दावा है कि वह इस केस के आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी.

उठ रहे कई सवाल

पुलिस को मौके पर से जिस अलमारी से चोरी होने की बात बताई गई, उस अलमारी को लॉक नहीं किया गया था. दफ्तर के भीतर दाखिल होने का जो रास्ता था, उसे भी सुनियोजित तरीके से चोरी करने वाले लोगों को बताया गया था. उपलब्ध सबूत के अनुसार जिस रास्ते से चोर कंपनी के दफ्तर में दाखिल हुए थे वहां से किसी अनजान का अंदर आना संभव नहीं है.

पढ़ें-युवक ने बनाई लूट की झूठी कहानी, 7 घंटे में पुलिस ने किया खुलासा

पुलिस को बताया गया था कि लूट की रकम लगभग 30 लाख हो सकती है. जिस रकम के बारे में बताया गया था, बैंक से जिस ट्रांजैक्शन की बात कही गई थी. उसी डेट पर कैशियर से बरामद की गई रकम को बैंक से निकाला गया था. मतलब यह हुआ कि जिस रकम को चोरी होना बताया गया था. वही रुपये कैशियर के घर से बरामद किए गए है. जिससे कि कैशियर पर शक गहरा होता गया.

1 किलो सोने का बिस्किट कहां से आया?

लूट की जांच के दौरान पुलिस ने कंपनी के 44 वर्षीय कैशियर जवाहरलाल प्रसाद को मामले का मास्टरमाइंड मान रही है. जिसके पास से 10 लाख 50 हजार रुपए पुलिस ने बरामद किए हैं. वही 50 लाख रुपए की कीमत का 1 किलो वजनी सोना भी पुलिस ने बरामद किया है. इसे लेकर पेंच फंस गया है. चर्चा यह भी है कि यह सोना जवाहरलाल के बजाय किसी और का है.

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अब यह सोना किसका है?

सोना जवाहरलाल के पास कैसे आया? यह अब भी राज बना हुआ है. पुलिस भी इन सवालों के जवाब ढूंढ रही है. जिस जवाहर प्रसाद को पुलिस लूट का मास्टरमाइंड बता रही है, वह कंपनी में विगत 25 सालों से नौकरी कर रहा है और कंपनी के लिए बड़ी रकमों का लेन-देन करता रहा है.

ड्राइवर के साथ हुई मारपीट

लूट के दौरान कंपनी के दफ्तर में ड्राइवर के साथ मारपीट भी हुई है. यह मारपीट किसने की और लूट के आरोपी कौन हैं? इसके साथ ही एक सवाल यह भी है कि 20 से 30 लाख रुपये की भारी-भरकम रकम दफ्तर में रखने की क्या जरूरत थी. इन सभी सवालों के जवाब की तलाश पुलिस कर रही है. कंपनी की ओर से पुलिस को जो जानकारी दी गई है कि कर्मचारियों को पेमेंट करने के लिए अक्सर रकम कैश के तौर पर उपलब्ध रहती है. बहरहाल, पुलिस की जांच अब भी जारी है, कैशियर को 9 अक्टूबर तक रिमांड में लेकर पुलिस पूछताछ करने की बात कह रही है. इसके बाद ही लूट के सभी आरोपी और सवालों के जवाब मिल पाएंगे.

Last Updated : Oct 7, 2020, 2:17 PM IST
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