कोरबा: एक दशक पहले जो कोरबा विदेशी मेहमानों का सबसे सुरक्षित और पसंदीदा स्थान हुआ करता था. अब उसी कोरबा से मेहमानों ने मुंह मोड़ लिया है. मौसम की बेरुखी से यहां आने वाले विदेशी पक्षी रूठ गए हैं. 17 हजार किलोमीटर का लंबा फासला तय कर साइबेरिया से कोरबा पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों की तादाद में 2010 के बाद से तेजी से कमी आई है. भारत में सलीम अली के जन्म दिन को राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में मनाया जाता है. सलीम ने पक्षियों से संबंधित कई पुस्तकें लिखी हैं, इसमें एक 'बर्ड्स ऑफ इंडिया' सबसे लोकप्रिय पुस्तक है.
शोध से पता चला है कि लगभग एक दशक पहले पक्षियों की 15 प्रजाति कोरबा में प्रणय और प्रजनन के लिए आते थे, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 15 से घटकर महज 5 रह गई है. जानकार बताते हैं, हवा में फैले प्रदूषण के कारण पक्षी अपना रास्ता भटक रहे हैं और अपने घर वापस नहीं जा पाते हैं. इसी कारण विदेशी पक्षी फिर से यहां लौट कर नहीं आते हैं. प्रदूषण के कारण विदेशी पक्षियों के साथ स्थानीय पक्षियों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है.
2010 के बाद से आई गिरावट
हर साल सारस प्रजाति का साइबेरियन ओपन बिल्ड स्टोर्क बर्ड्स बरसात के ठीक बाद कोरबा के कनकेश्वर धाम कनकी पहुंचते थे. यहां कुछ दिन रहने के बाद साइबेरियन पक्षी प्रजनन के बाद अपने परिवार के साथ वापस साइबेरिया लौट जाते थे, लेकिन 2010 के बाद से कोरबा आने वाले साइबेरियन पक्षियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है.
प्रदूषण सबसे बड़ा कारण
जिला विज्ञान सभा की सदस्य और केन कॉलेज में प्राणी शास्त्र की सहायक प्राध्यापक प्रोफेसर निधि सिंह बताती हैं, 2009 से 2018 के बीच हुए रिसर्च में जो डाटा सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि पहले कोरबा आने वाली पक्षियों की संख्या में भारी कमी आई है. पहले 15 से 16 प्रजाति के प्रवासी पक्षी कोरबा आते थे, जिसकी संख्या अब महज 5 रह गई है. इसका कारण मौसम में लगातार हो रहे बदलाव हैं. मौसम में बदलाव के कारण गर्मी ज्यादा हो गई है और सर्दी देरी से आ रही है. निधि सिंह बताती हैं, ज्यादातर प्रवासी पक्षी बत्तख परिवार से होते हैं, जो पानी के आसपास ही रहना पसंद करते हैं. बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण जिले के ज्यादातर जलाशय प्रदूषित हो चुके हैं, जिसका असर पक्षियों पर पड़ रहा है.
देवदूत है यह पक्षी
कनकी धाम के मुख्य पुरोहित पुरुषोत्तम बताते हैं, जैसे हमारी 17 पीढ़ी यहां निवास करती आई हैं, उसी तरह से इन पक्षियों के लिए भी यह पुश्तैनी निवास है. हर साल यह बरसात की शुरुआत में कनकी आते हैं और मंदिर के आसपास के ही 8 से 10 पेड़ों पर घोंसला बनाकर निवास करते हैं. पुरुषोत्तम कहते हैं, ये पक्षी कभी मंदिर परिसर के बाहर नहीं जाते हैं, इसलिए हमलोग इन्हें देवदूत मानते हैं. पुरुषोत्तम बताते हैं, जिस साल पक्षियों की तादाद जब ज्यादा होती है, गांव के लिए शुभ माना जाता है. इनकी संख्या के बढ़ने से गांव में फसल की पैदावार भी अच्छी होती है, प्रवासी पक्षी फसलों में लगने वाले कीट-पतंगों से भी फसल की रक्षा करते हैं.
कई प्रजाती के पक्षी करते हैं प्रवास
वैसे तो कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के रूप में है, जिसे अब प्रदूषण के प्रतिबिंब के तौर पर भी देखा जाने लगा है. हालांकि कोरबा के जंगलों में जैव विविधता अभी भी बाकी शहरों के मुकाबले ठीक है. इसके कारण ही प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां इस ओर खींचे चले आते हैं. कनकी में साइबेरिया से ओपन बिल्ड स्टोर्क हर साल यहां आने वाला पक्षी है. इसके अलावा पाकिस्तान और श्रीलंका से एशियन विल स्टे और ब्लैक आइबिस कनकी में आते रहते हैं. साइबेरियन ग्रीन गूस जो कि बत्तख परिवार से है यह भी कॉफी पॉइंट के आसपास फैले जंगलों में दिखते हैं. ग्रेट क्रेस्टेड ग्रैब, ग्रेगेनी, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉटन पिग्मी गूस, टफ्टेड डक, ऑस्प्रे, ब्लैक रेडस्टार्ट, यूरेशियन स्टिंक प्रमुख पक्षियों की प्रजातियां हैं, जो हर वर्ष कोरबा प्रवास पर आते हैं.
विश्व में 17वां सबसे प्रदूषित शहर कोरबा
पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने के मामले में छत्तीसगढ़ के 2 शहरों का बेहद बुरा हाल है. रायगढ़ और कोरबा दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण फैलाने के मामले में कोरबा विश्व में 17वें पायदान पर है. कोरबा से निकलने वाले प्रदूषण का असर पूरे छत्तीसगढ़ पर पड़ रहा है. ग्रीनपीस उपग्रह डाटा के विश्लेषण में दावा किया गया है कि परिवहन और औद्योगिक क्लस्टर देश के सबसे खराब नाइट्रोजन ऑक्साइड (N2O) हॉटस्पॉट के हालात पैदा कर रहे हैं. इनमें कोरबा जिला विश्व भर के शहरों में से 17वें नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक कोयला आधारित बिजली संयंत्र इस तरह के प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है. ग्रीनपीस से जारी एयर पॉल्यूशन ग्लोबल सिटीजन रैंकिंग में बताया गया है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहर भारत में है, इसमें छत्तीसगढ़ का कोरबा भी शामिल है.