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कोरबा सरकारी अस्पताल में निजी एम्बुलेंस, ऊंची कीमत वसूलने वाले दलालों पर डीन की सख्ती

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Published : Jul 25, 2022, 10:06 PM IST

कोरबा सरकारी अस्पताल में निजी एम्बुलेंस के संचालक पोस्टमार्टम के लिए परिजन से शव छोड़ने के बहाने मोटी रकम की वसूली जा रही है. इसको लेकर डीन सख्त हो गया है.

Korba Hospital
कोरबा अस्पताल

कोरबा: जिला अस्पताल सह सम्बद्ध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर रैकेट के संचालित होने की खबरें ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी. काफी हद तक इसमें लगाम लगा था. अब एक बार फिर रेफरल रैकेट की शिकायतें अस्पताल प्रबंधन को मिली हैं. जिस पर डीन में सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है. डीन चेंबर से बाहर निकले और अस्पताल के पीछे खड़े निजी एंबुलेंस चालकों को कड़े लहजे में समझाया. उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस की सक्रियता नहीं दिखनी चाहिए.

ऊंची कीमत वसूलने वाले दलालों पर डीन की सख्ती

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के 5 लाख सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल से 56 विभागों में कामकाज ठप

इस तरह होता है पूरा खेल: जिला अस्पताल के पीछे पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को झांसे में लेकर शव छोड़ने के बहाने मोटी रकम की वसूली जा रही है. निजी एंबुलेंस के संचालकों को विभागीय अधिकारियों ने जमकर फटकार लगाई है. एंबुलेंस संचालकों अपनी वाहन पीछे लगाने के बजाए अस्पताल के सामने लगाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि सरकार ने पोस्टमार्टम के बाद शव घर तक छोड़ने के लिए मुक्तांजलि वाहन की मुफ्त सुविधा मुहैया कराई है. लिहाजा योजना का लाभ उठाए और दलालों के चक्कर में ना पड़ें.

दुखी परिजनों से जमकर वसूले जाते हैं पैसे: जिला अस्पताल के पीछे निजी एंबुलेंस के संचालकों ने मृतकों के परिजनों को लूटने का एक धंधा बना लिया था. पोस्टमार्टम के लिए जब भी कोई लाश पीएम कक्ष के पास पहुंचती. तब ये लोग सक्रीय होकर लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. शव छोड़ने के बहाने मोटी रकम की वसूली करते हैं. जब अधिकारियों ने उन्हें फटकार लगाई है, तो निश्चित ही उनकी मनमानी पर लगाम लगने की संभावना है.

मरीजों से लेकर लाश तक के लिए दलाल सक्रिय: कोरबा मेडिकल कॉलेज सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. जिले भर से यहां मरीज आते हैं. कई बार इलाजरत मरीजों को निजी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एजेंट घूमते रहते हैं. रेफरल रैकेट पर सख्त कार्रवाई भी हुई थी. कुछ महीने पहले ही रेफरल रैकेट के झांसे में आकर एक आदिवासी महिला की जान चली गई थी. जिसके बाद रेफरल रैकेट पर काफी हद तक लगाम लगा था. इसी तरह जब इलाज के दौरान जिला अस्पताल में किसी मरीज की मौत होती है. तब उसके शव को घर तक पहुंचाने के लिए भी निजी वाहन चालक लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. अस्पताल में मरीज को रेफर करा कर ले जाने से लेकर लाश को घर पहुंचाने तक के लिए दलाल सक्रिय रहते हैं. अब अधिकारियों की नजर इस पर पढ़ चुकी है और सख्त निर्देश भी दिए गए हैं.

कड़े निर्देश दिए गए हैं: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. अविनाश मेश्राम ने बताया कि "मरीजों के शव को घर पहुंचाने के लिए ऊंचे दाम पर निजी एंबुलेंस अस्पताल परिसर में सक्रिय हैं. इन्हें अस्पताल के भीतर प्रवेश नहीं करने की बात कही गई है. साथ ही यहां जो सरकारी एंबुलेंस हैं, उसे अस्पताल के सामने मौजूद रहने को रखा गया है. जो इसमें मिलीभगत कर दलाली करते हैं. उन्हें फटकार भी लगाई गई है. ऐसी परिस्थितियों पर हाल हाल में लगाम लगाएंगे.

कोरबा: जिला अस्पताल सह सम्बद्ध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर रैकेट के संचालित होने की खबरें ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी. काफी हद तक इसमें लगाम लगा था. अब एक बार फिर रेफरल रैकेट की शिकायतें अस्पताल प्रबंधन को मिली हैं. जिस पर डीन में सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है. डीन चेंबर से बाहर निकले और अस्पताल के पीछे खड़े निजी एंबुलेंस चालकों को कड़े लहजे में समझाया. उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस की सक्रियता नहीं दिखनी चाहिए.

ऊंची कीमत वसूलने वाले दलालों पर डीन की सख्ती

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इस तरह होता है पूरा खेल: जिला अस्पताल के पीछे पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को झांसे में लेकर शव छोड़ने के बहाने मोटी रकम की वसूली जा रही है. निजी एंबुलेंस के संचालकों को विभागीय अधिकारियों ने जमकर फटकार लगाई है. एंबुलेंस संचालकों अपनी वाहन पीछे लगाने के बजाए अस्पताल के सामने लगाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि सरकार ने पोस्टमार्टम के बाद शव घर तक छोड़ने के लिए मुक्तांजलि वाहन की मुफ्त सुविधा मुहैया कराई है. लिहाजा योजना का लाभ उठाए और दलालों के चक्कर में ना पड़ें.

दुखी परिजनों से जमकर वसूले जाते हैं पैसे: जिला अस्पताल के पीछे निजी एंबुलेंस के संचालकों ने मृतकों के परिजनों को लूटने का एक धंधा बना लिया था. पोस्टमार्टम के लिए जब भी कोई लाश पीएम कक्ष के पास पहुंचती. तब ये लोग सक्रीय होकर लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. शव छोड़ने के बहाने मोटी रकम की वसूली करते हैं. जब अधिकारियों ने उन्हें फटकार लगाई है, तो निश्चित ही उनकी मनमानी पर लगाम लगने की संभावना है.

मरीजों से लेकर लाश तक के लिए दलाल सक्रिय: कोरबा मेडिकल कॉलेज सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. जिले भर से यहां मरीज आते हैं. कई बार इलाजरत मरीजों को निजी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एजेंट घूमते रहते हैं. रेफरल रैकेट पर सख्त कार्रवाई भी हुई थी. कुछ महीने पहले ही रेफरल रैकेट के झांसे में आकर एक आदिवासी महिला की जान चली गई थी. जिसके बाद रेफरल रैकेट पर काफी हद तक लगाम लगा था. इसी तरह जब इलाज के दौरान जिला अस्पताल में किसी मरीज की मौत होती है. तब उसके शव को घर तक पहुंचाने के लिए भी निजी वाहन चालक लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. अस्पताल में मरीज को रेफर करा कर ले जाने से लेकर लाश को घर पहुंचाने तक के लिए दलाल सक्रिय रहते हैं. अब अधिकारियों की नजर इस पर पढ़ चुकी है और सख्त निर्देश भी दिए गए हैं.

कड़े निर्देश दिए गए हैं: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. अविनाश मेश्राम ने बताया कि "मरीजों के शव को घर पहुंचाने के लिए ऊंचे दाम पर निजी एंबुलेंस अस्पताल परिसर में सक्रिय हैं. इन्हें अस्पताल के भीतर प्रवेश नहीं करने की बात कही गई है. साथ ही यहां जो सरकारी एंबुलेंस हैं, उसे अस्पताल के सामने मौजूद रहने को रखा गया है. जो इसमें मिलीभगत कर दलाली करते हैं. उन्हें फटकार भी लगाई गई है. ऐसी परिस्थितियों पर हाल हाल में लगाम लगाएंगे.

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