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सब्जियों के दाम आसमान पर, व्यापारियों को हो रहा नुकसान

इस बार ज्यादा बारिश होने से सब्जी व्यापारियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बाजारों में सब्जियों के दाम बढ़ने से इसका असर अब लोगों की जेब पर पड़ रहा है.

Prices of vegetables increased
सब्जियों के दाम बढ़े
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Published : Sep 5, 2020, 6:57 AM IST

कोरबा: कुछ समय पहले तक जो सब्जियां लोगों को अधिकतम 30 प्रति किलो की दर से मिलती थी, अब वो तीन से चार गुना ज्यादा दाम पर बिक रही है. सब्जी व्यापारी इसका कारण ज्यादा बारिश को मान रहे हैं.

सब्जियों के दाम बढ़े

जिन भाजियो की पूछ-परख पहले नहीं के बराबर थी, अब वही लाल भाजी ज्यादा कीमत पर लोगों को मिल रही है. कोरबा के सब्जी मंडी में सबसे सस्ता आलू है जो की 40 रुपये किलो है. सबसे महंगी शिमला मिर्च है जो 120 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है. दूसरी सब्जियां भी 100 रुपये के आसपास पहुंच गई हैं. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों ने सब्जियों के उपयोग के बारे में सोचना बंद कर दिया है.

SPECIAL: आसमानी आफत ने बढ़ाई धरतीपुत्रों की चिंता, बैंगन और धान की फसल बर्बाद

मांग के मुकाबले सप्लाई कम

सब्जी कारोबारी बताते हैं कि सब्जियों की मांग के हिसाब से सप्लाई नहीं हो रही है. ऐसे में सब्जियों की कीमत आसमान पर है. दूसरे सामानों की तरह सब्जियों पर भी अर्थशास्त्र का वह नियम लागू हो रहा है, जिसके मुताबिक किसी भी सामान की मांग ज्यादा होने और उपलब्धता का स्तर कम होने पर उसकी कीमतें बढ़ जाती हैं. जबकि बाजार में सामान उपलब्ध होने से उसका रेट गिर जाता है. सब्जियों के भाव बढ़ने से अब शॉपिंग मार्ट और दुकानों में राजमा और चना जैसे विकल्प की मांग एकाएक बढ़ गई है.

कोरबा: कुछ समय पहले तक जो सब्जियां लोगों को अधिकतम 30 प्रति किलो की दर से मिलती थी, अब वो तीन से चार गुना ज्यादा दाम पर बिक रही है. सब्जी व्यापारी इसका कारण ज्यादा बारिश को मान रहे हैं.

सब्जियों के दाम बढ़े

जिन भाजियो की पूछ-परख पहले नहीं के बराबर थी, अब वही लाल भाजी ज्यादा कीमत पर लोगों को मिल रही है. कोरबा के सब्जी मंडी में सबसे सस्ता आलू है जो की 40 रुपये किलो है. सबसे महंगी शिमला मिर्च है जो 120 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है. दूसरी सब्जियां भी 100 रुपये के आसपास पहुंच गई हैं. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों ने सब्जियों के उपयोग के बारे में सोचना बंद कर दिया है.

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मांग के मुकाबले सप्लाई कम

सब्जी कारोबारी बताते हैं कि सब्जियों की मांग के हिसाब से सप्लाई नहीं हो रही है. ऐसे में सब्जियों की कीमत आसमान पर है. दूसरे सामानों की तरह सब्जियों पर भी अर्थशास्त्र का वह नियम लागू हो रहा है, जिसके मुताबिक किसी भी सामान की मांग ज्यादा होने और उपलब्धता का स्तर कम होने पर उसकी कीमतें बढ़ जाती हैं. जबकि बाजार में सामान उपलब्ध होने से उसका रेट गिर जाता है. सब्जियों के भाव बढ़ने से अब शॉपिंग मार्ट और दुकानों में राजमा और चना जैसे विकल्प की मांग एकाएक बढ़ गई है.

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