कोरबा: सोशल मीडिया पर आपने कई बार बड़ी तोंद के साथ ड्यूटी करते पुलिस जवानों के मजाकिया वीडियो देखे होंगे. लोग इस तरह के वीडियो शेयर कर चुटकी लेते हैं, लेकिन कोरबा जिले में तैनात एक ऐसे पुलिस के जवान भी हैं जिन्होंने बड़ी तोंद को मात देकर अपने शरीर का कायाकल्प कर दिया है.
जिले के मानिकपुर चौकी में पदस्थ एएसआई विभव तिवारी जिन्होंने अपना 48 किलो वजन कम कर पुलिस महकमे के समक्ष एक उदाहरण पेश किया है. वजन घटाने के इस कठिन परिश्रम के बाद अब पूरा पुलिस विभाग उनकी तारीफ कर रहा है. हाल ही में बिलासपुर संभाग के आईजी रतनलाल डांगी जब जिले के प्रवास पर रहे थे. तब उन्होंने विभव तिवारी को 2000 रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया था.
आईजी से ली प्रेरणा और वजन घटाया
विभव तिवारी कहते हैं कि उन्होंने वजन घटाने की प्रेरणा आईजी रतनलाल डांगी से ली. आईजी डांगी खुद सेहत को लेकर काफी ध्यान रखते हैं. फिटनेस को लेकर उनके कई वीडियो सोशल मीडिया में काफी पसंद किए गए हैं. विभव तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी समय मिला और लगातार मेहनत के बाद उन्होंने अपना वजन घटाया. उन्होंने बताया कि 'इसमें काफी मेहनत लगी है, लेकिन धीरे-धीरे कठिन परिश्रम शुरू किया और लगातार प्रयास करने से सफलता मिली. जिले के पुलिस कप्तान भी फिटनेस को लेकर काफी सीरियस हैं. मेरा वजन 150 किलो से ज्यादा था जोकि अब 102 हो गया है. मैंने अपना 48 किलो वजन कम किया है'.
सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा IG रतनलाल डांगी का फिटनेस वीडियो
रोज 2 घंटे चलता हूं पैदल
विभव तिवारी ने बताया कि 'वजन घटाने के इस प्रक्रिया में कसरत के साथ ही मैं रोज 2 घंटे पैदल चलता हूं, जिससे मुझे काफी फायदा मिला. केवल पैदल चलने भर से ही मेरे वजन में काफी कमी आई. इसके साथ दिनचर्या को नियंत्रित किया. खानपान में भी काफी कंट्रोल लाया. अब मैं सिर्फ घर का खाना ही खाता हूं. बाहर का कुछ नहीं खाता, जिससे वजन घटाने में सहायता मिली. पहले जहां से जो भी मिल जाए खा लिया करता था. पुलिस की नौकरी होने के कारण रूटीन बेहद खराब था, लेकिन अब कड़ाई से नियमित दिनचर्या का पालन कर रहा हूं'.
आईजी का पुरस्कार जीवन की सबसे बड़ी पूंजी
वजन घटाने के बाद विभव तिवारी कहते हैं कि 'अब मन प्रफुल्लित रहता है. थकान कम होती है, पहले सांस जल्दी भर आती थी. ट्रैफिक में रहने के दौरान बड़ी तोंद के साथ भी मैं काफी मेहनत करता था, लेकिन अब मुझे काफी अच्छा महसूस होता है. हाल ही में जब आईजी साहब जिले के प्रवास पर आए थे. तब उन्होंने मुझे 2000 रुपए का नकद पुरस्कार दिया था. यह मेरे लिए जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है'.