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जानें: 10 सालों में अब तक क्यों नहीं हुआ कोरबा में पीट लाइन का निर्माण - korba juction

रेलवे मामलों के जानकार राम किशन अग्रवाल बताते हैं कि कोरबा में पीट लाइन बन जाने से नई गाड़ियों का परिचालन शुरू करना पड़ेगा. इससे रेलवे को माल ढुलाई में दिक्कत होगी

जानें, 10 सालों में अब तक क्यों नहीं हुआ कोरबा में पिट लाइन का निर्माण
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Published : Apr 30, 2019, 12:00 AM IST

Updated : Apr 30, 2019, 10:21 AM IST

कोरबाः रेल बजट में स्वीकृति और धन राशि आवंटित होने के बाद कोरबा में 10 साल पहले पीट लाइन का निर्माण शुरू किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. रेलवे की इस लापरवाही के कारण यात्रियों को कई सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है.

इस पीट लाइन निर्माण की लागत अब 5 करोड़ रुपये से बढ़कर 35 करोड़ रुपये हो गई है. रेलवे का कहना था कोरबा से नई यात्री गाड़ी चलाने के लिए प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. गाड़ियों के रखरखाव और धुलाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बाद लोगों ने पीट लाइन निर्माण का प्रस्ताव रखा.

अबतक नहीं हुआ निर्माण
इसके बाद 2008-09 में अप्रूवल मिलने के बाद रेल बजट में 5 करोड़ की रकम पीट लाइन के लिए आवंटित की गई. इसके अनुसार पीट लाइन का काम 1 साल में पूरा होना था. इसके बाद साल 2012 में कागज पर पिट लाइन का काम पूरा दिखा दिया गया. जबकि आज की तारीख में भी पीट लाइन का काम अधूरा है और इसकी लागत अब 35 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है.

रेलवे कर रहा छल
इससे साफ जाहिर होता है कि रेलवे प्रबंधन कोरबा की जनता के साथ छल कर रहा है. इसे लेकर लगाई गई तीनों RTI का जवाब देते हुए रेलवे ने पीट लाइन के कार्य को पूर्ण बताया.

क्या कहते हैं जानकार
रेलवे मामलों के जानकार राम किशन अग्रवाल बताते हैं कि कोरबा में पीट लाइन बन जाने से नई गाड़ियों का परिचालन शुरू करना पड़ेगा. इससे रेलवे को माल ढुलाई में दिक्कत होगी. माल ढुलाई से रेलवे को अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. सवारी गाड़ियां शुरू होने से मालगाड़ी के परिचालन पर असर पड़ेगा और रेलवे के राजस्व में कमी आएगी.

कोरबाः रेल बजट में स्वीकृति और धन राशि आवंटित होने के बाद कोरबा में 10 साल पहले पीट लाइन का निर्माण शुरू किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. रेलवे की इस लापरवाही के कारण यात्रियों को कई सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है.

इस पीट लाइन निर्माण की लागत अब 5 करोड़ रुपये से बढ़कर 35 करोड़ रुपये हो गई है. रेलवे का कहना था कोरबा से नई यात्री गाड़ी चलाने के लिए प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. गाड़ियों के रखरखाव और धुलाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बाद लोगों ने पीट लाइन निर्माण का प्रस्ताव रखा.

अबतक नहीं हुआ निर्माण
इसके बाद 2008-09 में अप्रूवल मिलने के बाद रेल बजट में 5 करोड़ की रकम पीट लाइन के लिए आवंटित की गई. इसके अनुसार पीट लाइन का काम 1 साल में पूरा होना था. इसके बाद साल 2012 में कागज पर पिट लाइन का काम पूरा दिखा दिया गया. जबकि आज की तारीख में भी पीट लाइन का काम अधूरा है और इसकी लागत अब 35 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है.

रेलवे कर रहा छल
इससे साफ जाहिर होता है कि रेलवे प्रबंधन कोरबा की जनता के साथ छल कर रहा है. इसे लेकर लगाई गई तीनों RTI का जवाब देते हुए रेलवे ने पीट लाइन के कार्य को पूर्ण बताया.

क्या कहते हैं जानकार
रेलवे मामलों के जानकार राम किशन अग्रवाल बताते हैं कि कोरबा में पीट लाइन बन जाने से नई गाड़ियों का परिचालन शुरू करना पड़ेगा. इससे रेलवे को माल ढुलाई में दिक्कत होगी. माल ढुलाई से रेलवे को अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. सवारी गाड़ियां शुरू होने से मालगाड़ी के परिचालन पर असर पड़ेगा और रेलवे के राजस्व में कमी आएगी.

Intro:दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर अपने आर्थिक लाभ के लिए कोरबा के हजारों यात्रियों के हित पर लगातार कुठाराघात कर रहा है। कोरबा जिले से कोयला परिवहन से होने वाले भारी आर्थिक लाभ के कारण न केवल यात्री सुविधाओं की उपेक्षा की जा रही है बल्कि रेल बजट में स्वीकृति और धन राशि आवंटन के बावजूद यात्रियों के हित को नज़र अंदाज़ किया जा रहा है। इसका उदाहरण कोरबा में निर्माणाधीन पिट लाइन है। रेल बजट में स्वीकृति और धन राशि आवंटन के बाद पिट लाइन का निर्माण प्रारंभ कराया गया लेकिन 10 वर्ष बाद भी उसे पूर्ण नहीं किया जा सका है। रेलवे प्रबंधन की इस लापरवाही अथवा कोरबा के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये से एक ओर जहाँ कोरबा के लोग यात्री गाड़ियों की सुविधा विस्तार से वंचित हैं वहीं दूसरी ओर रेलवे को करोड़ों रुपयों का नुकसान पहुंच रहा है। पिट लाइन की लागत भी इस बीच 5 करोड़ रुपये से बढ़कर 35 करोड़ रुपये हो गया है।


Body:कोरबा औद्योगिक जिला जहाँ देश के विभिन्न प्रदेश और भाषा बोली के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। ये सभी कोरबा में स्थित तमाम उद्योगों में कार्यरत हैं। दूसरी तरफ कोरबा से हर वर्ष नौकरी और शिक्षा के लिए लोग बाहर जाते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर कई बार कोरबा के तमाम लोगों और क्षेत्रीय नेताओं ने जन आंदोलन किया। इस जन आंदोलन में लाठी चार्ज से लेकर जेल भरो आंदोलन तक का रूप देखने को मिला। इन सब के बावजूद कोरबा की उपेक्षा ही हुई है।
जब जब लोगों ने यात्री सुविधाओं और रेल विस्तार को लेकर आवाज़ बुलंद की तब तब रेलवे ने नई यात्री गाड़ी नहीं चलाने के नए नए कारण गिनाये। रेलवे ने कहा कि कोरबा से नई यात्री गाड़ी चलाने के लिए प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। गाड़ियों के रखरखाव और धुलाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद कोरबा के लोगों जन आंदोलन के तहत यहाँ पिट लाइन निर्माण का प्रस्ताव रखा। लोगों के प्रस्ताव पर विचार करते हुए 2005-06 के रेल बजट में पिट लाइन बनाने की मांग को मंजूरी मिल गई। इसमें कहा गया कि बिलासपुर-त्रिवेंद्रम एक्सप्रेस का कोरबा तक विस्तार किया जाएगा और इसके बाद पिट लाइन का काम शुरू होगा। तब तत्कालीन बिलासपुर जोन के DRM ने कहा था कि ज़मीन चिन्हांकन और अप्रूवल के बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा। इसके बाद 2008-09 में अप्रूवल मिलने के बाद रेल बजट में 5 करोड़ की रकम पिट लाइन के लिए आवंटित की गई। इसके अनुसार पिट लाइन का काम 1 साल में पूरा होना था। इसके बाद 2012 में पिट लाइन बिछा कर उसका उद्घाटन कर कागज़ में उसे पूर्ण दिखा दिया गया। जबकि आज की तारीख में भी पिट लाइन का काम अधूरा है और इसकी लागत अब 35 करोड़ पहुंच चुकी है। ये तस्वीरें बताती हैं कि पिट लाइन का काम अधूरा है और रेलवे प्रबंधन इसे पुर्ण बताकर पल्ला झाड़ रहा है। पिट लाइन का काम तब पूर्ण माना जाता है जब वहाँ पाइपलाइन की व्यवस्था और प्राइमरी मेंटेनेंस की सुविधा प्रदान की जाए। लेकिन यहाँ लाइन बिछा कर और सीमेंटेड कर छोड़ दिया गया है।
अब इसमें साफ जाहिर होता है कि रेलवे प्रबंधन कोरबा की जनता के साथ छल कर रहा है। इसका सबूत पेश करती है ये RTI का जवाब को रेलवे ने दिया है। दरअसल, रेलवे मामलों के जानकार राम किशन अग्रवाल द्वारा जो पिछले 3 बार RTI लगाई गई थी उसमें तीन अलग अलग जवाब पढ़ने को मिले।
7 सितम्बर 2016 को RTI ने जवाब में दिया कि जनवरी 2013 में पिट लाइन का कार्य पूरा कर लिया गया है। आगे लिखा है कि "इस सम्बंध में रेल प्रशासन द्वारा कब और क्या मार्गदर्शन रेलवे बोर्ड से मंगाया गया है जानकारी इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।" इस RTI का जवाब रेलवे ने महज दो में दिया। इसके बाद 15 सितम्बर 2016 के RTI के जवाब में कुछ और ही लिखा था। इसमें लिखा है कि " कोरबा में पिट लाइन के निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है कोचिंग रेकों के मेंटेनेंस हेतु कुछ अन्य आधारभूत संरचनाओं की आवश्यकता है।" इसके बाद 1 अप्रैल 2019 के RTI के जवाब में आया कि पिट लाइन का काम अप्रैल 2012 में पूर्ण कर लिया गया है। यहीं पर रेलवे की पोल खुलती है कि रेलवे किस तरह जनता को गुमराह कर रही है। एक RTI में जनवरी 2013 में काम पूर्ण करने की बात की गई है तो वहीं दूसरे RTI में अप्रैल 2012 में काम पूर्ण करने की बात कही गई है।
रेलवे मामलों के जानकार राम किशन अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि रेलवे प्रबंधन कोरबा के विकास को ग्रहण लगा रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोरबा में पिट लाइन बन जाने से नई गाड़ियों का परिचालन शुरू करना पड़ेगा और इससे रेलवे को माल ढुलाई में दिक्कत होगी। रेलवे को माल ढुलाई से अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है और कोरबा बिलासपुर जोन में सबसे राजस्व देने वाला स्टेशन है। जब सवारी गाड़ियां शुरू हो जाएंगी तो मालगाड़ी के परिचालन पर असर पड़ेगा और रेलवे के राजस्व में कमी आएगी। यही वजह है कि रेलवे लोगों की सुविधा तो ताक में रखकर अपना जेब भरने में ध्यान दे रही है।
बाइट- राम किशन अग्रवाल, रेलवे मामलों के जानकार और RTI एक्टिविस्ट


Conclusion:
Last Updated : Apr 30, 2019, 10:21 AM IST
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