कोरबा : केंदई वन परिक्षेत्र के लगभग 10 से 12 गांव हाथी प्रभावित हैं, फिर भी यहां सुरक्षा की दृष्टि से लापरवाही बरती जा रही है. हाथियों के उत्पात से होने वाली जनहानि के संबंध में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर से शिकायत की बात कही है.
जिले के पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड केंदई वन में हाथियों के उत्पात से ग्रामीण खासे परेशान हैं. लगभग डेढ़ साल से हाथियों का दल इस जंगल में विचरण कर रहा है. हाल ही में हुई घटना में हाथियों के दल ने 3 लोगों को रौंद दिया. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. ग्रामीणों का आरोप है कि वन अमला हाथियों के दल को ट्रेस नहीं कर पा रहा है.
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सुरक्षा की मांग
गांव के सरपंच, जनपद पंचायत सदस्यों और ग्रामीणों की मौजूदगी में बैठक की गई. ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर एजेंडा भी तैयार किया गया है. ग्रामीणों ने इस लापरवाही को कलेक्टर को अवगत कराने की योजना बनाई है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों का जीवन खतरे में है. उन्होंने कहा कि कलेक्टर सही निर्णय लेते हुए वन विभाग को निर्देशित करें, साथ ही जनहानि के लिए सुरक्षा प्रदान करें.
1987 में पहली बार छत्तीसगढ़ आए हाथी
छत्तीसगढ़ के पशु प्रेमी और जानवरों के जानकार नितिन सिंघवी बताते हैं कि पहली बार हाथी 1987 में अविभाजित छत्तीसगढ़ में पहुंचे थे. यह हाथी झारखंड और ओडिशा में हो रही माइनिंग के कारण छत्तीसगढ़ की जंगलों को ओर आये थे. इसके बाद से इन राज्यों से हाथियों का छत्तीसगढ़ आने का क्रम लगातार जारी रहा. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से अब तक बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से हाथी छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं.
छत्तीसगढ़ चौथे नंबर पर
- 3 साल में असम 274 लोगों की मौत
- ओडिशा में 243 लोगों की मौत
- झारखंड में 230 लोगों की मौत
- छत्तीसगढ़ में 204 लोगों की मौत
- पश्चिम बंगाल में 202 लोगों की मौत