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कोरबा: नहीं थम रहा हाथियों का उत्पात, दहशत में जीने को मजबूर लोग

वन अमला गांव के लोगों के साथ हाथियों से निपटने के लिए जुटा हुआ है. कुछ ग्रामीणों की मानें तो हाथियों के डर से कुछ लोग पिछले तीन -चार रातों से सो तक नही सके हैं. हाथों में मशाल लिए रात भर हाथियों को गांव में उत्पात मचाने से रोक रहे हैं.

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Published : Jan 8, 2020, 11:21 PM IST

Roaming elephants
हाथियों का आतंक

कोरबा: जिले के लोग पिछले कुछ सालों से हाथियों के उत्पात का दंश झेल रहे हैं. बीते कुछ दिनों से जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर फुलसर गांव और उसके आस पास के जंगलों में लगभग 43 हाथियों के दल ने डेरा डाल रखा है. जो आए दिन आस पास के ग्रामीण इलाकों में जमकर उत्पात मचा रहे हैं.

हाथियों का आतंक

वन अमला गांव के लोगों के साथ हाथियों से निपटने के लिए जुटा हुआ है. कुछ ग्रामीणों की मानें तो हाथियों के डर से कुछ लोग पिछले तीन -चार रातों से सो तक नहीं सके हैं. हाथों में मशाल लिए रात भर हाथियों को गांव में उत्पात मचाने से रोक रहे हैं. हाथी लगातार क्षेत्र में जान-माल का नुकसान कर रहे हैं. फसलों ले लेकर ग्रामीणों के घरों तक नुकसान पहुंचा रहे हैं.

पढ़ें: भौंरा खेलकर अपने बचपन में खो गए सीएम भूपेश, बच्चे से कहा- Thank You

टीचर ने की ट्रांसफर की मांग
कटघोरा की रहने वाली एक दिव्यांग महिला टीचर जो फुलसर गांव में बच्चों को पढ़ाती हैं. हाथी बीती रात टीचर के घर आ धमके थे. जिसके बाद टीचर ने जैसे-तैसे अपनी और अपने 5 साल के बच्चे की जान बचाई . हाथियों ने यहां जन-जीवन को प्रभावित कर दिया है. महिला टीचर ने प्रशासन से ट्रांसफर की मांग की है. हाथियों के उत्पात से कोरबा के लोग काफी डरे हुए और परेशान हैं

कोरबा: जिले के लोग पिछले कुछ सालों से हाथियों के उत्पात का दंश झेल रहे हैं. बीते कुछ दिनों से जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर फुलसर गांव और उसके आस पास के जंगलों में लगभग 43 हाथियों के दल ने डेरा डाल रखा है. जो आए दिन आस पास के ग्रामीण इलाकों में जमकर उत्पात मचा रहे हैं.

हाथियों का आतंक

वन अमला गांव के लोगों के साथ हाथियों से निपटने के लिए जुटा हुआ है. कुछ ग्रामीणों की मानें तो हाथियों के डर से कुछ लोग पिछले तीन -चार रातों से सो तक नहीं सके हैं. हाथों में मशाल लिए रात भर हाथियों को गांव में उत्पात मचाने से रोक रहे हैं. हाथी लगातार क्षेत्र में जान-माल का नुकसान कर रहे हैं. फसलों ले लेकर ग्रामीणों के घरों तक नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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टीचर ने की ट्रांसफर की मांग
कटघोरा की रहने वाली एक दिव्यांग महिला टीचर जो फुलसर गांव में बच्चों को पढ़ाती हैं. हाथी बीती रात टीचर के घर आ धमके थे. जिसके बाद टीचर ने जैसे-तैसे अपनी और अपने 5 साल के बच्चे की जान बचाई . हाथियों ने यहां जन-जीवन को प्रभावित कर दिया है. महिला टीचर ने प्रशासन से ट्रांसफर की मांग की है. हाथियों के उत्पात से कोरबा के लोग काफी डरे हुए और परेशान हैं

Intro:एंकर:-

आज हम आपको ऐसी खबर से रूबरू करने जा रहे हैं। जिसमें लगभग 5 गांवों के ग्रामीण रतजगा कर हाथियों को दूर भगाने एक प्रयास करते नजर आए, बीते 8 दिनों से दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों के ग्रामीणों व वन अमले में दहशत व भय का माहौल बना हुआ है...........


Body:आज हमारी न्यूज़ टीम जिला मुख्यालय कोरबा से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे फुलसर गांव में पहुंचा है, रात का समय है और ठंड का मौसम, यहां के लोग और आसपास के लगभग कई गांवों के ग्रामीण आपको स्क्रीन पर रात में हाथों में मशाल लेकर भ्रमण करते नजर आ रहे हैं। और वन अमला भी हाथों में टॉर्च व हूटर लेकर पूरी तरह मुस्तैद नजर आ रहे हैं, क्योंकि यहां हाथियों का दल विचरण कर रहे हैं, इनकी की संख्या लगभग 43 है, जो दो-दो, तीन-तीन की संख्या में बैठे हुए हैं, और गांव में जमकर उत्पात मचा रहे हैं। वन कर्मियों ने हमें सतर्कता बरतते हुए कवरेज करने की बात कहते हुए अपने साथ इस घर में ले आए, यहां कुछ ही देर पहले हाथी अरहर बाड़ी में पहुंचे हुए थे,और अरहर की फसल को बर्बाद करते हुए दीवाल को भी तोड़ दिया। इसके बाद कुछ ही दूर एक घर में दोनों हाथी जा धमके और घर में रहने वाली महिला बाहर आ गई, वन विभाग और ग्रामीण घर के अंदर जाकर हाथी को भगाने का प्रयास किया, और हाथी जंगल की ओर चले गए और हमारे कैमरे में भी कैद हो गए। यह दंतैल हांथी है। जो बहुत ही गुस्सैल होते हैं, जैसे ही हाथी नजदीक आए वन अमला व ग्रामीण हाथी को भगाने मशाल सायरन व हूटर के माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने जैसे कई उपाय बताए जा रहे थे। ग्रामीण भाईचारा का परिचय देते हुए एक दूसरे के साथ खड़े हुए नजर आए, ठंड का मौसम है और पहाड़ी क्षेत्र लिहाजा यहां पारा भी 6-7 डिग्री पर आ पहुंचा है, लोग अलाव का सहारा लेते हुए अपने घर के बाहर पहरा दे रहे हैं। आज यहां वन अमला के सीसीएफ अनिल सोनी, कटघोरा डीएफओ व कई अधिकारी हाथी के मूमेंट पर नजर रखे हुए थे। हाथियों को गांव से दूर भगाने व ग्रामीणों को सुरक्षा देने पूरे अधिकारी रात भर गांव में पहरा दे रहे थे। निश्चित ही वन विभाग का सहयोग पाकर ग्रामीण अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हुए नजर आए और लोगों का कहना है कि फॉरेस्ट विभाग का साथ उन्हें शुरू से ही मिल रहा है जब से हाथियों ने दस्तक दी है...

Conclusion:बाईट:-
1. अनिल सोनी ( सी सी एफ. वनविभाग बिलासपुर )

2. ग्रामीण ( ग्राम फुलसर )
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