कोरबा : गुमशुदा बच्चों को सकुशल उनके घर तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ऑपरेशन मुस्कान चला रही Operation Muskaan In Chhattisgarh है. मकान के तहत नाबालिगों को उनके घर तक पहुंचाया जाता है. फिर चाहे उनके अपनी मर्जी से ही किसी के साथ क्यों ना हो गए हो. शिकायत मिलने पर पुलिस कार्रवाई करती है. ठीक इसी तरह जब किसी बालिग को उसकी मर्जी के बिना कहीं ले जाकर मजदूरी या अन्य कामों में लगा दिया जाता है. तब इसमें मानव तस्करी की धारा 370 आईओइसी के तहत कार्यवाही की जाती है. मानव तस्करी के बात करें तो बीते एक साल में सिर्फ एक ही मामला जिले में दर्ज हुआ है. जबकि ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस ने 150 नाबालिगों को अलग -अलग राज्य से बरामद किया है, जिन्हें सकुशल उनके परिवार को सौंपा गया Chhattisgarh police gave new life to missing child है.
साल 2022 के अंत में दिखी तेजी : पुलिस अधीक्षक कोरबा संतोष सिंह के निर्देश पर गुम हुए बालक बालिकाओं के बरामदगी के लिए 1 माह तक लगातार "ऑपरेशन मुस्कान" चलाया गया. अभियान के अंतर्गत एक माह में कुल 20 बालक-बालिकाओं को बरामद कर उनके परिजनों को सकुशल सौंपा गया है. अपने बच्चों को सकुशल वापस पाकर परिजनों की खुशियां लौटी है. पिछले दिनों लंबित गुम इंसान प्रकरणों की समीक्षा कर गुम हुए बच्चों के बरामदगी के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए. सभी थाना चौकी प्रभारियों ने अपने-अपने क्षेत्र से गुम हुए बालक बालिकाओं के तलाश के लिए विशेष अभियान चलाकर टीम भेजा. गुम बच्चों के मिलने के सभी संभावित स्थानों पर सघन खोजबीन की गई.1 माह तक लगातार चलाए गए अभियान में 20 बच्चों को बरामद करने में सफलता मिली. जिसमें 16 लड़कियां और 04 लड़कों को सकुशल बरामद कर परिजनों की सुपुर्द किया गया है.
अपनी मर्जी से भी चले जाते हैं नाबालिग : SP Korba Santosh Singh ने बताया कि '' अब मानव तस्करी के मामले बेहद कम आ रहे हैं. बीते साल धारा 370 का केवल एक ही प्रकरण दर्ज हुआ है. ज्यादातर मामले नाबालिगों से जुड़े हैं जो कई बार तो मजबूरी और ज्यादातर मामलों में प्रेम प्रसंग वाले मामले सामने आते हैं. नाबालिग बच्चियां शादी के झांसे में आकर चली जाती हैं. लेकिन शिकायत मिलने पर हम नाबालिग बच्चों को वापस लेकर आते हैं. फिर चाहे वह अपनी मर्जी से ही चला गया हो. हमने कई ऐसे नाबालिगों को भी सकुशल लाया है जिनके गुमशुदगी की रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हुई थी.
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पुलिस को क्या आती है परेशानी : विशेष अभियान के तहत जब गुम बच्चों की तलाश शुरू की गई. तो टीम को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कई मामलों में बच्चों ने ऐन वक्त पर अपना लोकेशन बदलकर, तो कई बच्चों ने गलत पता बताकर, गुमराह कर पुलिस को छकाया. लेकिन पुलिस टीम ने भी सुझबुझ, धैर्यता और दृढ़तापूर्वक काम करके बच्चों को बरामद किया. 15 बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के दूसरे जिलों से बरामद किया गया. वहीं 5 बच्चों को भारत के दूसरे राज्यों से बरामद करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
केस नंबर 1 - थाना कटघोरा में माह जून 2022 में दर्ज बालिका संजना (परिवर्तित नाम ) गुम थी. जिसका कहीं पता नहीं चल रहा था. जिसे लगातार पतासाजी की जा रही थी. मालूम हुआ की बालिका भटकते हुए जम्मू कश्मीर पहुंच गई थी. जम्मू कश्मीर में उसका संपर्क खोजकर उसे वापस लाया गया.
केस नंबर 2 - थाना बालको की गुम बालिका चांदनी (परिवर्तित नाम) जो माह जुलाई 2022 से अपने घर से बिना बताए चली गई थी. जिसका पता नहीं चल रहा था. जिसका पता लगाकर महाराष्ट्र के पुणे रेलवे स्टेशन से बरामद किया गया. उक्त बालिका का लोकेशन तमिलनाडु में आ रहा था. जो लगातार अपना लोकेशन बदल रही थी.पुलिस के पहुंचने के पहले ही किसी दूसरे स्थान पर चली जाती थी. लगभग 15 दिवस तक कई स्थानों पर रुककर बालिका का पता कर बरामद किया गया.
केस नंबर 3- थाना बालको में ही दर्ज एक अन्य गुम बालिका इशिका (परिवर्तित) नाम जो कि जनवरी 2022 से अपने घर में बिना बताए चली गई थी. जिसे हैदराबाद से बरामद किया गया.
केस नंबर 4-उरगा में मार्च 2022 में दर्ज गुम बालिका मधु (परिवर्तित नाम) जिसे काफी खोजबीन एवं मशक्कत के बाद गुजरात से बरामद किया गया.
केस नंबर5- थाना कोतवाली में दर्ज गुम 17 वर्षीय बालक आकाश(परिवर्तित नाम) जो सितंबर 2022 में घर में बिना बताए कहीं चला गया था. काफी समय बाद दिल्ली में होने का पता चला. पुलिस टीम जब दिल्ली पहुंची तो बालक टीम को छकाते हुए दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में होना बताकर एक दिन तक गुमराह किया और ट्रेन में सवार होकर अमृतसर चला गया. इसके बाद उसने मोबाइल बंद कर दिया. पुलिस टीम 6 दिन तक दिल्ली और अमृतसर में सघन अभियान चलाकर बालक को खोज निकाला.