कोरबा: कलेक्ट्रेट में शिकायत करने पहुंचे कर्मचारियों का आरोप है कि "हमने शिकायत एनटीपीसी प्रबंधन से भी की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद हम कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे हैं. पैसे वापस नहीं करने के कारण हमें अभी नौकरी से भी निकाल दिया गया है.
कर्मचारियों ने की शिकायत: कलेक्ट्रेट में शिकायत करने पहुंचे कर्मचारियों ने अपने शिकायत पत्र में उल्लेख किया है कि "हम सभी एनटीपीसी परियोजना में लगभग 9 वर्षों से शिफ्ट में ठेकाकर्मी के तौर पर काम कर रहे हैं. अक्टूबर 2022 के पहले ठेका कंपनी के मुंशी को बैंक खाते में पेमेंट मिलने के बाद गूगल पे और नगद प्रति कर्मचारी 5500 और 6300 रुपये तक पैसे वापस किए हैं. इसका प्रमाण स्क्रीनशॉट के तौर पर हमारे पास मौजूद है.
पैसे वापस नहीं करने पर काम से निकाल दिया: कर्मचारियों का कहना है कि "जब हमने पैसे वापस करना बंद कर दिया, तो हमारे गेटपास का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है. हमें काम से निकाल दिया गया है. कंस्ट्रक्शन कंपनी में हम आईटी ऑपरेटर हैं. जिन्हें शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार ₹671 प्रतिदिन की दर से मेहनताने का भुगतान किया जाना चाहिए. लेकिन ठेकेदार इसकी गणना ₹470 प्रति दिवस के आधार पर करता है. अंतर की राशि का वापस मांगा जाता है."
ठेकेदार पर ठोस कार्रवाई की मांग: कर्मचारियों का कहना है कि "सरकारी नियमों और मापदंडों को पूरा करने दिखावे के लिए बैंक खाते में फुल रेट से पेमेंट किया जाता है. लेकिन बाद में पैसे वापस ले लिए जाते हैं. पैसे वापसी का विरोध करने पर नौकरी पर संकट पैदा हो गया है. बड़ी तादाद में मजदूरों को काम से निकाल दिया गया है. ठेकेदार पर ठोस कार्रवाई करते हुए हमें नौकरी पर वापस रखे जाने की गुहार लेकर हम कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे हैं."
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पैसे ट्रांसफर होने के बाद एनटीपीसी नहीं है जवाबदेह: एनटीपीसी कोरबा की जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा का कहना है कि "एनटीपीसी इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि न्यूनतम मजदूरी भुगतान के लिए निर्धारित नियमों का पालन किया जाए. हम इस बात की भी मॉनिटरिंग करते हैं कि निर्धारित दरों के अनुसार मजदूरों को पैसों का भुगतान किया जा रहा है. वह उनके बैंक खाते में दिख रही है या नहीं. अब खाते में पैसे हस्तांतरित करने के बाद यदि वह ठेकेदार को इसे वापस कर दें, तब एनटीपीसी इसके लिए जवाबदेह नहीं है.
सुनवाई के बाद होगी कार्रवाई: जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा का कहना है कि "हालांकि इस तरह की शिकायतें हमें भी मिली है. जिस पर हमने संज्ञान लिया है. जो स्क्रीनशॉट कर्मचारियों ने हमें उपलब्ध कराएं हैं. वह सभी एक से डेढ़ वर्ष पुराने भी है. हमने भी अपने स्तर पर इस बात की शिकायत लेबर कमिश्नर से की है. जहां सुनवाई चल रही है. सुनवाई के बाद ही इस विषय में कोई कार्रवाई या निर्णय लिया जा सकता है."