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बहुप्रतीक्षित लेमरू हाथी रिजर्व से नहीं होगा किसी भी गांव का विस्थापन: वन मंत्री मोहम्मद अकबर

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने अपना बयान देकर ये बात साफ कर दी है कि कोरबा में प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा.

minister mohhamad akbar statement on lemru elephant reserve
वन मंत्री मोहम्मद अकबर
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Published : Oct 8, 2020, 1:28 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 2:46 PM IST

कोरबा: जिले में प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस बात की जानकारी दी है. बता दें कि जिले में हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने के लिए सालों पहले कोरबा वन मंडल सहित रायगढ़ क्षेत्र के वनों को शामिल कर लेमरु एलीफेंट रिजर्व की कार्य योजना तैयार की गई थी. मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. वन मंत्री ने यह साफ किया कि लेमरू एलिफेंट रिजर्व से एक भी गांव का विस्थापन नहीं होगा.

korba lemru elephant reserve
कोरबा वनमंडल कार्यालय

उन्होंने विस्थापन की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि न तो कोई गांव विस्थापित होगा, न ही किसी के निजी और सामूहिक वनाधिकार पर कोई प्रभाव पड़ेगा. एलिफेंट रिजर्व से मानव-हाथी संघर्ष की आशंका को भी उन्होंने निराधार बताया और कहा कि इसके विपरीत हाथी रिजर्व मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने में मदद करेगा. मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा कि भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों और वनवासियों के सभी के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है. कोई भी कार्य उनके हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा.

'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है गठन

मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन 'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है, जिसके तहत न कोई गांव विस्थापित होगा और न ही किसी भी तरह निजी वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार पर इसका प्रभाव पड़ेगा. रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों को हेबीटेट विकास की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी, जिससे मानव हाथी संघर्ष पर नियंत्रण अधिक बेहतर होगा.

मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में मिली सहायता

अकबर ने इस तरह की सूचनाओं को गुमराह करने वाला बताया. उन्होंने बताया कि एलीफेंट रिजर्व से हाथी एक ही क्षेत्र में एकत्रित किए जाएंगे. इस तरह का कोई भी कार्य कभी नहीं किया जाता. हाथी लंबी दूरी तय करने वाला प्राणी है और वह हमेशा एक जगह नहीं रहता है. 2011 में तमोरा पिंगला और सेमरसोत दोनों सरगुजा सर्कल और बादलखोल रायगढ़ सर्कल में एलीफेंट रिजर्व का गठन किया गया था और पिछले दस सालों में वहां मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में सहायता मिली है. उक्त क्षेत्र अभ्यारण है, जबकि लेमरू का गठन संरक्षण रिजर्व के रूप में किया जा रहा है.

पढ़ें- दोस्ती से कम होगा द्वन्द्व: लापरवाही और हक की लड़ाई में एक-दूसरे की जान लेते मानव और हाथी

वन मंत्री ने बताया कि वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत जो संरक्षण रिजर्व गठित किया जाता है, वहां कोई विस्थापन नहीं होता और निजी भूमि पर यह धारा लागू नहीं होती. शासकीय भूमि पर भी समस्त प्रकार के वन अधिकार, लघुवनोपज संग्रहण आदि बरकरार रहते हैं. अकबर ने आगे कहा कि रिजर्व क्षेत्र में आने पर भविष्य में इस क्षेत्र में कोई खनन परियोजना के लिए विस्थापन नहीं होगा.

कोरबा: जिले में प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस बात की जानकारी दी है. बता दें कि जिले में हाथी और मानव के बीच द्वंद्व को रोकने के लिए सालों पहले कोरबा वन मंडल सहित रायगढ़ क्षेत्र के वनों को शामिल कर लेमरु एलीफेंट रिजर्व की कार्य योजना तैयार की गई थी. मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. वन मंत्री ने यह साफ किया कि लेमरू एलिफेंट रिजर्व से एक भी गांव का विस्थापन नहीं होगा.

korba lemru elephant reserve
कोरबा वनमंडल कार्यालय

उन्होंने विस्थापन की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि न तो कोई गांव विस्थापित होगा, न ही किसी के निजी और सामूहिक वनाधिकार पर कोई प्रभाव पड़ेगा. एलिफेंट रिजर्व से मानव-हाथी संघर्ष की आशंका को भी उन्होंने निराधार बताया और कहा कि इसके विपरीत हाथी रिजर्व मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने में मदद करेगा. मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा कि भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों और वनवासियों के सभी के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है. कोई भी कार्य उनके हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा.

'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है गठन

मंत्री अकबर ने जोर देकर कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन 'सरंक्षण रिजर्व' के रूप में किया जा रहा है, जिसके तहत न कोई गांव विस्थापित होगा और न ही किसी भी तरह निजी वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार पर इसका प्रभाव पड़ेगा. रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों को हेबीटेट विकास की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी, जिससे मानव हाथी संघर्ष पर नियंत्रण अधिक बेहतर होगा.

मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में मिली सहायता

अकबर ने इस तरह की सूचनाओं को गुमराह करने वाला बताया. उन्होंने बताया कि एलीफेंट रिजर्व से हाथी एक ही क्षेत्र में एकत्रित किए जाएंगे. इस तरह का कोई भी कार्य कभी नहीं किया जाता. हाथी लंबी दूरी तय करने वाला प्राणी है और वह हमेशा एक जगह नहीं रहता है. 2011 में तमोरा पिंगला और सेमरसोत दोनों सरगुजा सर्कल और बादलखोल रायगढ़ सर्कल में एलीफेंट रिजर्व का गठन किया गया था और पिछले दस सालों में वहां मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में सहायता मिली है. उक्त क्षेत्र अभ्यारण है, जबकि लेमरू का गठन संरक्षण रिजर्व के रूप में किया जा रहा है.

पढ़ें- दोस्ती से कम होगा द्वन्द्व: लापरवाही और हक की लड़ाई में एक-दूसरे की जान लेते मानव और हाथी

वन मंत्री ने बताया कि वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत जो संरक्षण रिजर्व गठित किया जाता है, वहां कोई विस्थापन नहीं होता और निजी भूमि पर यह धारा लागू नहीं होती. शासकीय भूमि पर भी समस्त प्रकार के वन अधिकार, लघुवनोपज संग्रहण आदि बरकरार रहते हैं. अकबर ने आगे कहा कि रिजर्व क्षेत्र में आने पर भविष्य में इस क्षेत्र में कोई खनन परियोजना के लिए विस्थापन नहीं होगा.

Last Updated : Oct 8, 2020, 2:46 PM IST
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