कोरबा: सड़क हादसे में घायल होने के बाद युवक को न्यू कोरबा हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. जिसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. युवक ने वीडियो बनाकर अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए थे. अब मामले में नया मोड़ आ गया है. युवक ने रविवार को एक और वीडियो बनाकर बयान जारी किया और कहा कि मुझे अस्पताल प्रबंधन से ठीक-ठाक इलाज मिल रहा है. एक्सीडेंट होने के बाद मैं कोरोना पॉजिटिव डिटेक्ट हुआ, जिसकी वजह से मैं भयभीत था और इसलिए ऐसा वीडियो बना दिया था. लेकिन अब मुझे ठीक इलाज मिल रहा है.
इस केस में अस्पताल प्रबंधन भी सामने आया और होम क्वॉरेंटाइन में चल रहे न्यू कोरबा हॉस्पिटल के संचालक डॉ. शोभराज चंदानी ने वीडियो बयान जारी कर कहा है कि सड़क हादसे के बाद युवक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव मिली, जिसका कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा था. उसके परिजनों से कहा गया कि आवश्यक खर्च वहन करने की जरूरत नहीं है और युवक को घर ले जाकर देख-रेख करें, होम आइसोलेशन में रखें.
डॉक्टर ने बताया, युवक से कहा गया था कि जब वह कोरोना निगेटिव होगा तब पैर की सर्जरी कर देंगे, लेकिन परिजनों ने घर पर सुविधा नहीं होने के कारण उसे अस्पताल में रखने की बात कही. मामले को अनावश्यक तूल दिया गया. युवक से भी बात की गई है, जिसने घबराहट में ऐसा वीडियो जारी करने की बात कही है. अस्पताल प्रबंधन की अपील है कि किसी भी मामले की गहराई में जाए बिना किसी मामले को वायरल न करें. इससे कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं.
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दरअसल, 3 दिन पहले सड़क हादसे में घायल युवक को न्यू कोरबा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जिसका नियमों के तहत कोरोना टेस्ट भी किया गया. दूसरी बार किए गए टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव आई. गुस्साए युवक ने इसे अस्पताल प्रबंधन द्वारा पैसे ऐंठने का हथकंडा बताते हुए एक वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. जिसपर बड़ी संख्या में लोगों के नकारात्मक कमेंट आने लगे.
अस्पताल प्रबंधन ने की थी शिकायत
जिसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने इसे अपने खिलाफ षड्यंत्र बताकर छवि खराब करने के लिए भ्रामक जानकारी फैलाने की बात कही. अस्पताल प्रबंधन ने इस घटना की लिखित शिकायत पुलिस से की थी.
रैपिड टेस्ट किट भी संदेह के दायरे
रैपिड टेस्ट किट कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से ही संदेह के दायरे में रहा है. मौजूदा मामले में भी रैपिड टेस्ट किट की भूमिका बेहद संदिग्ध है. युवक की जांच रैपिड टेस्ट किट से की गई थी और यह किट प्रशासन की ओर से अस्पतालों को प्रदान किया गया है. इस किट से पहली बार किए गए टेस्ट में मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आई. जबकि कुछ देर बाद दोबारा टेस्ट करने से रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई.