कोरबा: दर्री के HTPS प्लांट के सामने बसे हंसदेव नदी के डुबान क्षेत्र में डंप की गई जहरीली राख नदी में घुलने लगी है. एक दिन पहले हुई बारिश ने सीएसईबी और सिंचाई विभाग की पोल खोल कर रख दी है.
ऑफिसरों और ठेकेदार के मिलीभगत से HTPS प्लांट के सामने हसदेव नदी पर बने दर्री बराज के डुबान क्षेत्र की जमीन पर बड़े पैमाने पर राख डंप की गई है. सिंचाई विभाग ने पहले राख डंप करने की अनुमति नहीं देने की बात कही, लेकिन बाद में मामले में लीपा-पोती करते हुए कहा कि उक्त भूमि को 1980 के दशक में HTPS प्लांट निर्माण के समय ही आवंटित कर दी गई थी.
एसडीओ ने सीएसईबी और ठेकेदार को क्लीन चिट दिया
नदी के डुबान क्षेत्र में राख डंप करने की बात पर सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता पीके वासनिक ने नोटिस जारी करने की बात कही और एसडीओ के माध्यम से जांच प्रक्रियाधीन होने का हवाला भी दिया, लेकिन सिंचाई विभाग के एसडीओ शिव नारायण साय ने जांच के पहले ही सीएसईबी और ठेकेदार को क्लीन चिट दे दिया है.
सीएसएबी को 80 के दशक में दी गई थी जमीन
सिंचाई विभाग के एसडीओ का कहना है कि जमीन 80 के दशक में सीएसएबी को दे दी गई थी इसलिए वे यहां राख डंप कर सकते हैं. जब उनसे ETV भारत ने सवाल किया कि राख नदी में घुल सकती है, तब उन्होंने साफ तौर पर इंकार करते हुए कहा कि नदी की धारा दूसरी तरफ है, इसलिए राख के नदी में घुलने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
मिट्टी का कटाव होते ही सामने आई अफसरों और ठेकेदार की लापरवाही
बता दें ठेकेदार की ओर से करोड़ों का ठेका लाखों में लिया गया है. इस कारण काम में लापरवाही बरती गई है. यही कारण है कि बारिश की वजह से मिट्टी का कटाव होने लगा है और राख नदी में घुल रही है. इस बात की जानकारी अफसरों व ठेकेदार तक जब पहुंची, तो उन्होंने आनन-फानन में सोमवार को मिट्टी के कटाव वाले स्थान पर पहुंचकर मरम्मत शुरू कर दी, लेकिन उनकी यह मरम्मत सफल नहीं हो पाई क्योंकि जब बरसात हुई तो बड़े पैमाने पर जहरीली राख हसदेव नदी में घुलने लगी. इससे नदी प्रदूषित हो सकती है और दर्री बराज पर आगे चलकर संकट उत्पन्न हो सकता है.