कोरबा: कोरबा को बिजली उत्पादन के लिए प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है. यहां पैदा की गई बिजली से कई राज्य रोशन होते हैं. सीएसईबी पश्चिम में भी बिजली का उत्पादन होता है. पावर प्लांट में इंजीनियर्स के साथ ही तकनीकी कर्मचारी हैं. शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल कॉलोनी के लाल मैदान का दशहरा मशहूर है. यहां जिले का 105 फीट का सबसे ऊंचा रावण बनाया जा रहा है. चुनिंदा स्थानों पर ही 105 फीट ऊंचा रावण बनाया जाता है. यह रावण इसलिए और खास है, क्योंकि इसे विद्युत मंडल के इंजीनियरों की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी बनाते हैं. जिसके कारण इसे टेक्निकल रावण की संज्ञा दी जाती है. यह परंपरा 1985 में शुरू हुई थी. यह अब भी बदस्तूर जारी है. फिलहाल कर्मचारी इस रावण के विशाल पुतले को फाइनल टच देने में लगे हुए हैं. korba latest news
पावर हाउस से निकले स्क्रैप से तैयार होता है रावण: राम इकबाल सिंह कहते हैं कि "पावर प्लांट के पावर हाउस से निकले स्क्रैप से इस रावण का ढांचा तैयार किया जाता है. फिटर, वेल्डर और इलेक्ट्रीशियन जैसे तकनीकी कर्मचारी इसमें अपना कौशल दिखाते हैं. रावण की आंख में लाल लाइट फिट किया जाता है, जिससे आंख लाल दिखती है. रावण अपना सिर घुमाता है. उसकी तलवार चमकती है. वह मुंह से धुआं भी छोड़ता हुआ ठहाका लगाता है. यह लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होता है. इस वर्ष हम ज्यादा उत्साह से रावण का निर्माण कर रहे हैं. उम्मीद है कि दशहरा के दिन दोपहर तक हम इसे खड़ा करके पूरी तरह से तैयार कर लेंगे."
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लीवर के जरिए घूमता है रावण का सिर: रावण के निर्माण में लगे सीएसईबी के तकनीकी कर्मचारी डोरीराम चंद्रा ने बताया कि "हम रावण के पैर के नीचे एक मोटरेज्ड लीवर फिट करते हैं. जिसमें थ्री फेस बिजली कनेक्शन देते हैं. इसका दूसरा सिरा 105 फीट ऊपर रावण के सिर से जोड़ देते हैं. फिर नीचे से हम इसे ऑपरेट करके रावण के सिर को दाएं और बाएं दिशा में घुमाते हैं. जिससे लोग काफी रोमांचित हो उठते हैं. रावण की तलवार और सिर में लाइटिंग की व्यवस्था भी रहती है. इसलिए इस रावण का प्रदेश भर में खासा आकर्षण है. पिछली बार हमने 2019 में रावण का निर्माण किया था. कोरोना के कारण पिछले 2 साल तक रावण का निर्माण नहीं हुआ. जिसके कारण लोगों को बेसब्री से लाल मैदान के इस रावण का इंतजार है. इस वर्ष दोगुनी ऊर्जा के साथ मेहनत कर रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार लगभग 40 से 50 हजार की भीड़ लाल मैदान में जुटेगी."
इंजीनियरिंग और आध्यात्मिकता का परिणाम है लाल मैदान का रावण: रावण बनाने की यह अनोखी परंपरा 80 के दशक में शुरू हुई थी. यह अब भी जारी है. इंजीनियर की देखरेख में तकनीकी कर्मचारियों ने अपनी कारीगरी का कौशल रावण में झोंक दिया है. इन इंजीनियरों की मेहनत से ही कोरबा में टेक्निकल रावण तैयार किया जाता है. असत्य पर सत्य की जीत के पर्व दशहरा पर कोरबा का यह टेक्निकल रावण इंजीनियरिंग और अध्यात्म का एक अनोखा उदाहरण है.