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छत्तीसगढ़ के 105 फीट लंबे टेक्निकल रावण से मिलिए, इंजीनियर्स मिलकर करते हैं तैयार - छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल कॉलोनी

korba latest news कोरबा में सरप्लस राज्य छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा में बिजली के उत्पादन के साथ दशहरा में टेक्निकल रावण तैयार किया जाता है. यह राज्य का इकलौता रावण है, जिसका निर्माण छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के इंजीनियर्स की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी करते हैं. यह रावण न सिर्फ अपने 10 सर घुमाकर लोगों को देखता है, बल्कि आंख तरेरकर लोगों को डराता भी है और मुंह से धुआं भी निकालता है.

technical Ravana of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का टेक्निकल रावण
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Published : Oct 3, 2022, 6:38 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 11:02 PM IST

कोरबा: कोरबा को बिजली उत्पादन के लिए प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है. यहां पैदा की गई बिजली से कई राज्य रोशन होते हैं. सीएसईबी पश्चिम में भी बिजली का उत्पादन होता है. पावर प्लांट में इंजीनियर्स के साथ ही तकनीकी कर्मचारी हैं. शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल कॉलोनी के लाल मैदान का दशहरा मशहूर है. यहां जिले का 105 फीट का सबसे ऊंचा रावण बनाया जा रहा है. चुनिंदा स्थानों पर ही 105 फीट ऊंचा रावण बनाया जाता है. यह रावण इसलिए और खास है, क्योंकि इसे विद्युत मंडल के इंजीनियरों की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी बनाते हैं. जिसके कारण इसे टेक्निकल रावण की संज्ञा दी जाती है. यह परंपरा 1985 में शुरू हुई थी. यह अब भी बदस्तूर जारी है. फिलहाल कर्मचारी इस रावण के विशाल पुतले को फाइनल टच देने में लगे हुए हैं. korba latest news

छत्तीसगढ़ का टेक्निकल रावण
क्यों खास है लाल मैदान का रावण: रावण का निर्माण करने वाली टीम को लीड कर रहे राम इकबाल सिंह कहते हैं कि "यह छत्तीसगढ़ का एक टेक्निकल रावण है. अन्य जिलों में भी रावण का निर्माण होता है. बस्तर दशहरा भी काफी मशहूर है. लेकिन इस रावण की तरह टेक्निकल रावण का निर्माण और कहीं नहीं होता. इसकी ऊंचाई भी 105 फीट है. हमने इसकी शुरुआत 80 के दशक में की थी. हमें अधिकारियों से और सहयोग मिला. इंजीनियर की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी लगभग 15 से 20 दिनों में इस रावण का निर्माण पूरा कर लेते हैंं."

पावर हाउस से निकले स्क्रैप से तैयार होता है रावण: राम इकबाल सिंह कहते हैं कि "पावर प्लांट के पावर हाउस से निकले स्क्रैप से इस रावण का ढांचा तैयार किया जाता है. फिटर, वेल्डर और इलेक्ट्रीशियन जैसे तकनीकी कर्मचारी इसमें अपना कौशल दिखाते हैं. रावण की आंख में लाल लाइट फिट किया जाता है, जिससे आंख लाल दिखती है. रावण अपना सिर घुमाता है. उसकी तलवार चमकती है. वह मुंह से धुआं भी छोड़ता हुआ ठहाका लगाता है. यह लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होता है. इस वर्ष हम ज्यादा उत्साह से रावण का निर्माण कर रहे हैं. उम्मीद है कि दशहरा के दिन दोपहर तक हम इसे खड़ा करके पूरी तरह से तैयार कर लेंगे."

यह भी पढ़ें: रायपुर में रावण: बांसटाल के 100 परिवार 50 सालों से बना रहे रावण


लीवर के जरिए घूमता है रावण का सिर: रावण के निर्माण में लगे सीएसईबी के तकनीकी कर्मचारी डोरीराम चंद्रा ने बताया कि "हम रावण के पैर के नीचे एक मोटरेज्ड लीवर फिट करते हैं. जिसमें थ्री फेस बिजली कनेक्शन देते हैं. इसका दूसरा सिरा 105 फीट ऊपर रावण के सिर से जोड़ देते हैं. फिर नीचे से हम इसे ऑपरेट करके रावण के सिर को दाएं और बाएं दिशा में घुमाते हैं. जिससे लोग काफी रोमांचित हो उठते हैं. रावण की तलवार और सिर में लाइटिंग की व्यवस्था भी रहती है. इसलिए इस रावण का प्रदेश भर में खासा आकर्षण है. पिछली बार हमने 2019 में रावण का निर्माण किया था. कोरोना के कारण पिछले 2 साल तक रावण का निर्माण नहीं हुआ. जिसके कारण लोगों को बेसब्री से लाल मैदान के इस रावण का इंतजार है. इस वर्ष दोगुनी ऊर्जा के साथ मेहनत कर रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार लगभग 40 से 50 हजार की भीड़ लाल मैदान में जुटेगी."


इंजीनियरिंग और आध्यात्मिकता का परिणाम है लाल मैदान का रावण: रावण बनाने की यह अनोखी परंपरा 80 के दशक में शुरू हुई थी. यह अब भी जारी है. इंजीनियर की देखरेख में तकनीकी कर्मचारियों ने अपनी कारीगरी का कौशल रावण में झोंक दिया है. इन इंजीनियरों की मेहनत से ही कोरबा में टेक्निकल रावण तैयार किया जाता है. असत्य पर सत्य की जीत के पर्व दशहरा पर कोरबा का यह टेक्निकल रावण इंजीनियरिंग और अध्यात्म का एक अनोखा उदाहरण है.

कोरबा: कोरबा को बिजली उत्पादन के लिए प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है. यहां पैदा की गई बिजली से कई राज्य रोशन होते हैं. सीएसईबी पश्चिम में भी बिजली का उत्पादन होता है. पावर प्लांट में इंजीनियर्स के साथ ही तकनीकी कर्मचारी हैं. शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल कॉलोनी के लाल मैदान का दशहरा मशहूर है. यहां जिले का 105 फीट का सबसे ऊंचा रावण बनाया जा रहा है. चुनिंदा स्थानों पर ही 105 फीट ऊंचा रावण बनाया जाता है. यह रावण इसलिए और खास है, क्योंकि इसे विद्युत मंडल के इंजीनियरों की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी बनाते हैं. जिसके कारण इसे टेक्निकल रावण की संज्ञा दी जाती है. यह परंपरा 1985 में शुरू हुई थी. यह अब भी बदस्तूर जारी है. फिलहाल कर्मचारी इस रावण के विशाल पुतले को फाइनल टच देने में लगे हुए हैं. korba latest news

छत्तीसगढ़ का टेक्निकल रावण
क्यों खास है लाल मैदान का रावण: रावण का निर्माण करने वाली टीम को लीड कर रहे राम इकबाल सिंह कहते हैं कि "यह छत्तीसगढ़ का एक टेक्निकल रावण है. अन्य जिलों में भी रावण का निर्माण होता है. बस्तर दशहरा भी काफी मशहूर है. लेकिन इस रावण की तरह टेक्निकल रावण का निर्माण और कहीं नहीं होता. इसकी ऊंचाई भी 105 फीट है. हमने इसकी शुरुआत 80 के दशक में की थी. हमें अधिकारियों से और सहयोग मिला. इंजीनियर की देखरेख में तकनीकी कर्मचारी लगभग 15 से 20 दिनों में इस रावण का निर्माण पूरा कर लेते हैंं."

पावर हाउस से निकले स्क्रैप से तैयार होता है रावण: राम इकबाल सिंह कहते हैं कि "पावर प्लांट के पावर हाउस से निकले स्क्रैप से इस रावण का ढांचा तैयार किया जाता है. फिटर, वेल्डर और इलेक्ट्रीशियन जैसे तकनीकी कर्मचारी इसमें अपना कौशल दिखाते हैं. रावण की आंख में लाल लाइट फिट किया जाता है, जिससे आंख लाल दिखती है. रावण अपना सिर घुमाता है. उसकी तलवार चमकती है. वह मुंह से धुआं भी छोड़ता हुआ ठहाका लगाता है. यह लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होता है. इस वर्ष हम ज्यादा उत्साह से रावण का निर्माण कर रहे हैं. उम्मीद है कि दशहरा के दिन दोपहर तक हम इसे खड़ा करके पूरी तरह से तैयार कर लेंगे."

यह भी पढ़ें: रायपुर में रावण: बांसटाल के 100 परिवार 50 सालों से बना रहे रावण


लीवर के जरिए घूमता है रावण का सिर: रावण के निर्माण में लगे सीएसईबी के तकनीकी कर्मचारी डोरीराम चंद्रा ने बताया कि "हम रावण के पैर के नीचे एक मोटरेज्ड लीवर फिट करते हैं. जिसमें थ्री फेस बिजली कनेक्शन देते हैं. इसका दूसरा सिरा 105 फीट ऊपर रावण के सिर से जोड़ देते हैं. फिर नीचे से हम इसे ऑपरेट करके रावण के सिर को दाएं और बाएं दिशा में घुमाते हैं. जिससे लोग काफी रोमांचित हो उठते हैं. रावण की तलवार और सिर में लाइटिंग की व्यवस्था भी रहती है. इसलिए इस रावण का प्रदेश भर में खासा आकर्षण है. पिछली बार हमने 2019 में रावण का निर्माण किया था. कोरोना के कारण पिछले 2 साल तक रावण का निर्माण नहीं हुआ. जिसके कारण लोगों को बेसब्री से लाल मैदान के इस रावण का इंतजार है. इस वर्ष दोगुनी ऊर्जा के साथ मेहनत कर रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार लगभग 40 से 50 हजार की भीड़ लाल मैदान में जुटेगी."


इंजीनियरिंग और आध्यात्मिकता का परिणाम है लाल मैदान का रावण: रावण बनाने की यह अनोखी परंपरा 80 के दशक में शुरू हुई थी. यह अब भी जारी है. इंजीनियर की देखरेख में तकनीकी कर्मचारियों ने अपनी कारीगरी का कौशल रावण में झोंक दिया है. इन इंजीनियरों की मेहनत से ही कोरबा में टेक्निकल रावण तैयार किया जाता है. असत्य पर सत्य की जीत के पर्व दशहरा पर कोरबा का यह टेक्निकल रावण इंजीनियरिंग और अध्यात्म का एक अनोखा उदाहरण है.

Last Updated : Oct 3, 2022, 11:02 PM IST
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