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कोरबा: श्रमिक संगठनों ने मिलकर किया कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध - कोरबा में कमर्शियल माइनिंग का विरोध

कोरबा में कोल सेक्टर को निजी किए जाने का विरोध किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग का फैसला लिया है. कोरबा के खदान भी लिस्ट में शामिल हैं. ऐसे में श्रमिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.

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कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध
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Published : Jul 2, 2020, 5:14 PM IST

कोरबा: केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग के फैसले का प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है. कोरबा में इसका विरोध करते हुए श्रमिक संगठन हड़ताल पर चले गए हैं. गुरुवार को हड़ताल के पहले दिन कई श्रमिक संगठन एकजुट दिखे. बता दें कि कोरबा जिले में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 12 कोयला खदानें हैं. लगभग सभी खदानों में विरोध देखा गया है. यहां श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता और मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन कोयला खदानों से लेकर SECL कार्यलय तक किया गया. बता दें केंद्रीय कोयला मंत्री ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कमर्शियल माइनिंग को लेकर सोमवार को संबोधित किया था. जिसमें उन्होंने कमर्शियल माइनिंग को देशहित में बताया है. लेकिन इसका संगठनों पर कोई असर देखने को नहीं मिला है.

कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध

प्रदर्शन के दौरान एटक, इंटक, HMS, बीजेपी का श्रमिक संगठन BMS भी इस हड़ताल में शामिल हुई है. लगभग सभी मुख्य श्रमिक संगठन इस मुद्दे पर साथ आ गए हैं. इसका कामकाज पर भी असर देखने को मिलेगा. बता दें बीजेपी के श्रमिक संगठन ने भी केंद्र सरकार के इस नीति का विरोध किया है. इस दौरान मजदूरों को खदान जाने से रोका गया. साथ कई अधिकारियों से भी काम-काज रोकने की अपील की गई है.

कोरबा के 4 खदान लिस्ट में शामिल
कोरबा जिले के मानिकपुर खदान, गेवरा, दीपका और कुसमुंडा सभी स्थानों पर हड़ताल असर देखने को मिला. मानिकपुर खदान के पास SECL महाप्रबंधक कार्यालय के सामने कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. बता दें कि केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग के लिए देशभर के 41 कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए लिस्ट में शामिल किया था. जिसमें कोरबा के गेवरा और कुसमुंडा देश के सबसे बड़े खदानों में शामिल हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार की लिस्ट में श्यांग कोल ब्लॉक को भी शामिल किया गया है, जो अब तक शुरू भी नहीं हो सका है. लेकिन मजदूर संगठनों को यह मंजूर नहीं है. फिलहाल 3 दिनों के लिए हड़ताल घोषित की गई है.

पढ़ें: नक्सल प्रभावित आलदंड गांव का हाल, 12 साल की बीमार बच्ची 5 किमी पैदल चलकर पहुंची अस्पताल
निर्णय वापस लेने तक जारी रहेगा प्रदर्शन
श्रमिक संगठन के नेताओं ने बताया कि वह कमर्शियल माइनिंग का का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. हम निजी हाथों में कोल ब्लॉक को नहीं जाने देंगे. उनका कहना है कि केंद्र सरकार का यह फैसला कोल क्षेत्र को बर्बाद करने वाला है. निजी हाथों में जाते ही मजदूरों का शोषण भी होगा जिसका हम सभी विरोध कर रहे हैं. फिलहाल केंद्र को अपनी मंशा जाहिर करने के लिए 3 दिनों का हड़ताल जारी है. फैसला वापस नहीं होने की सूरत में मजदूर यूनियनों ने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

कोरबा: केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग के फैसले का प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है. कोरबा में इसका विरोध करते हुए श्रमिक संगठन हड़ताल पर चले गए हैं. गुरुवार को हड़ताल के पहले दिन कई श्रमिक संगठन एकजुट दिखे. बता दें कि कोरबा जिले में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 12 कोयला खदानें हैं. लगभग सभी खदानों में विरोध देखा गया है. यहां श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता और मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन कोयला खदानों से लेकर SECL कार्यलय तक किया गया. बता दें केंद्रीय कोयला मंत्री ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कमर्शियल माइनिंग को लेकर सोमवार को संबोधित किया था. जिसमें उन्होंने कमर्शियल माइनिंग को देशहित में बताया है. लेकिन इसका संगठनों पर कोई असर देखने को नहीं मिला है.

कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध

प्रदर्शन के दौरान एटक, इंटक, HMS, बीजेपी का श्रमिक संगठन BMS भी इस हड़ताल में शामिल हुई है. लगभग सभी मुख्य श्रमिक संगठन इस मुद्दे पर साथ आ गए हैं. इसका कामकाज पर भी असर देखने को मिलेगा. बता दें बीजेपी के श्रमिक संगठन ने भी केंद्र सरकार के इस नीति का विरोध किया है. इस दौरान मजदूरों को खदान जाने से रोका गया. साथ कई अधिकारियों से भी काम-काज रोकने की अपील की गई है.

कोरबा के 4 खदान लिस्ट में शामिल
कोरबा जिले के मानिकपुर खदान, गेवरा, दीपका और कुसमुंडा सभी स्थानों पर हड़ताल असर देखने को मिला. मानिकपुर खदान के पास SECL महाप्रबंधक कार्यालय के सामने कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. बता दें कि केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग के लिए देशभर के 41 कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए लिस्ट में शामिल किया था. जिसमें कोरबा के गेवरा और कुसमुंडा देश के सबसे बड़े खदानों में शामिल हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार की लिस्ट में श्यांग कोल ब्लॉक को भी शामिल किया गया है, जो अब तक शुरू भी नहीं हो सका है. लेकिन मजदूर संगठनों को यह मंजूर नहीं है. फिलहाल 3 दिनों के लिए हड़ताल घोषित की गई है.

पढ़ें: नक्सल प्रभावित आलदंड गांव का हाल, 12 साल की बीमार बच्ची 5 किमी पैदल चलकर पहुंची अस्पताल
निर्णय वापस लेने तक जारी रहेगा प्रदर्शन
श्रमिक संगठन के नेताओं ने बताया कि वह कमर्शियल माइनिंग का का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. हम निजी हाथों में कोल ब्लॉक को नहीं जाने देंगे. उनका कहना है कि केंद्र सरकार का यह फैसला कोल क्षेत्र को बर्बाद करने वाला है. निजी हाथों में जाते ही मजदूरों का शोषण भी होगा जिसका हम सभी विरोध कर रहे हैं. फिलहाल केंद्र को अपनी मंशा जाहिर करने के लिए 3 दिनों का हड़ताल जारी है. फैसला वापस नहीं होने की सूरत में मजदूर यूनियनों ने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

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