कोरबा: शुक्रवार को कुसमुंडा खदान से प्रभावित भू विस्थापितों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया. विस्थापित बड़ी तादाद में कलेक्ट्रेट पहुंचे. उन्होंने एसईसीएल प्रबंधन, जिला प्रशासन पर रोजगार संबंधी मांगों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. भू विस्थापितों का कहना है कि वह अपनी जमीनों के अधिग्रहण के 43 साल बाद भी रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मांग पूरी नहीं हुई तो वह कोल इंडिया के स्थापना दिवस के दिन बड़ा आंदोलन करेंगे.
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छत्तीसगढ़ किसान सभा के पदाधिकारी और माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि ''आज का प्रदर्शन केवल सांकेतिक है. हम कलेक्टर को ज्ञापन देकर चरणबद्ध आंदोलन की सूचना देने आए हैं. चूंकि जमीन अधिग्रहण के दौरान जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए प्रशासन को भी हमारी मांगों पर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए, जो उन्होंने पूरी नहीं की है.''
प्रशांत झा का यह भी कहना है कि ''एसईसीएल द्वारा हमारे आंदोलनों को कुचलने का प्रयास किया जाता है. लेकिन हमारी मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं होती. यही वजह है कि भू विस्थापित आज भी आंदोलन कर रहे हैं. हम पिछले लगभग 1 साल से महाप्रबंधक कार्यालय कुसमुंडा के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.''
चरणबद्ध आंदोलन की दी चेतावनी : भू विस्थापितों ने कहा कि आज का प्रदर्शन सांकेतिक है. आने वाले दिनों में चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी है. 17 अक्टूबर को कलेक्टोरेट का महाघेराव करेंगे. इसके बाद भी यदि मांगें पूरी नहीं हुई तो 4 नवंबर को कोल इंडिया का स्थापना दिवस है. उसी दिन कुसमुंडा और गेवरा के महाप्रबंधक कार्यालय में घुसकर भूख हड़ताल करेंगे.
जल्द से जल्द दिया जाए रोजगार : कुसमुंडा खदान से प्रभावित रेशम लाल यादव भी कलेक्ट्रेट घेराव करने पहुंचे थे. यादव का कहना है कि ''पिता की जमीन का अधिग्रहण 80 के दशक में किया गया था. लेकिन रोजगार आज तक नहीं दिया गया है. मेरी तरह और भी भू विस्थापित हैं, जिनकी रोजगार संबंधी मांगें पूरी नहीं हुई है. हम चाहते हैं कि हमें जल्द से जल्द रोजगार दिया जाए. मेरी तरह ही 102 भू विस्थापित लगातार संघर्ष कर रहे हैं.''