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अवसाद से घिरे बुजुर्गों को प्रेरणा देती है बालकृष्ण की कहानी, वृद्धाश्रम में रहते लिख डाली किताब

Inspirational Story In Hindi, Balkrishna Life Motivate Elderly: वृद्धाश्रम में परिवार से अलग रहने वाले बुजुर्ग तिरस्कृत और अकेलापन महसूस करते हुए अवसाद से घिर जाते हैं. ऐसे वृद्ध जनों के लिए बालकृष्ण मिर्जापुरी का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जो अपने में मस्त रहने और कविताएं सुनाने के लिए पहचानते जाते हैं. आइए जानें कौन हैं बालकृष्ण और बुजुर्गों के लिए क्या है उनका संदेश. Korba News, Motivational Stories in Hindi

Korba News
बालकृष्ण का जीवन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 6, 2023, 9:58 AM IST

Updated : Dec 9, 2023, 12:38 PM IST

बुजुर्गों को प्रेरणा देता है बालकृष्ण का जीवन

कोरबा: अक्सर लोग उम्र ढलने के बाद बुढ़ापे को निरस और अकेलेपन से भरा समय मानते हैं. इसलिए बहुत से लोग खासकर परिवार से अलग वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग तिरस्कृत और अकेलापन महसूस करते हैं. वे अवसाद से घिर जाते हैं. ऐसे वृद्धों के लिए बालकृष्ण मिर्जापुरी का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है. बालकृष्ण कोरबा के प्रशांति वृद्धाश्रम में रहते हैं. वह अपने में मस्त रहने और कविताएं सुनाने के लिए पहचानते जाते हैं.

बुढ़ापे का आनंद लेने की देते हैं सीख: कोरबा के प्रशांति वृद्धाश्रम प्रबंधन का मानना है कि बालकृष्ण के जीवन का अपना फलसफा है. जिंदगी की सेकंड इनिंग्स खेल रहे बालकृष्ण की उम्र 83 साल की है. उनकी खुशमिजाजी का उनके पास सीधा और सपाट जवाब रहता है. बालकृष्ण कहते हैं कि "वृद्धावस्था उतनी ही खूबसूरत है, जितने जवानी के दिन होते हैं. लोगों को बुढ़ापे का आनंद लेना चाहिए. जिम्मेदारियों से भागकर अलग होने के बजाय परिवार में सामंजस्य बिठाया जा सकता है, लेकिन तब भी जीवन खूबसूरत है."

चंद्रिका गीतमाला का प्रकाशन है अगला लक्ष्य: यहां कुछ समय बाद बालकृष्ण की एक महिला मित्र यहीं वृद्धाश्रम में उन्हें मिली थी, जिसका नाम चंद्रिका था. वह भी कुछ दिन पहले गुजर गयी. उनका मानना है कि वे उसकी मदद नहीं कर पाए. इसी बात की तकलीफ उन्हें खाये रहती हैं. इसलिए उन्होंने अपने कविता संग्रह का नाम चंद्रिका गीतमाला दिया है. चंद्रिका के नाम पर ही यह पुस्तक का नाम रखा गया है. बालकृष्ण वृद्धाश्रम में रहकर भी गीत लिखते हैं. उन्होंने एक किताब लिखी है, जो गीतों का संग्रह है. इसे उन्होंने चंद्रिका गीतमाला का नाम दिया है. बालकृष्ण को लिखने का शौक शुरू से ही था, लेकिन कोई रिकॉर्ड नहीं रखा. अब वृद्धावस्था में हैं तो किताब को तैयार कर लिया है. वे चाहते हैं कि यह किताब प्रकाशित हो. इस गीतमाला में प्रेम, रोमांस से लेकर देशभक्ति के गीत भी शामिल हैं. हर तरह की कविताएं इसमें शामिल हैं.

अनकही बातों और जीवन को कविताओं में पिरोया: बालकृष्ण वैसे तो खुशमिजाज हैं, लेकिन पत्नी की मौत का गम उन्हें आज भी है. बालकृष्ण कहते हैं, "कई बातें थी, जो हम पत्नी से नहीं कह पाए. लोग अपने में मस्त रहते हैं, लेकिन मेरी गारंटी है जीवन बीत जाने के बाद भी लोग अपनी पत्नी को ठीक तरह से नहीं समझ पाते, यह ठीक नहीं है." उनकी यादों और किस्सों को बालकृष्ण ने गीतों में पिरोया है.

कोरबा में 9 साल से रह रहे बालकृष्ण: बालकृष्ण वैसे तो मूलरीप से यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले हैं, लेकिन काफी पहले वह छत्तीसगढ़ आ गए थे. कुछ दिन सक्ति में रहे और फिर पिछले 9 साल से जिले के सर्वमंगला मंदिर परिसर में संचालित प्रशांति वृद्धाश्रम में ही वह निवासरत हैं. बालकृष्ण बताते हैं कि उनके परिवार में दोनों बेटों की आपस में नहीं बनती. दोनों बेटे मिर्जापुर में ही रहते हैं. वह, वहां सुखी हैं और वह यहां सुखी हैं. उन्हें किसी ने घर से निकला नहीं है, वे अपनी मर्जी से यहां आकर रहते हैं.

बच्चों के साथ सामंजस्य बिठाना है जरूरी: बालकृष्ण वृद्धों को यह संदेश देना चाहते हैं कि जब तक परिवार में वे रह रहें हैं, बच्चों के साथ सामंजस्य बिठा कर चलें. बच्चों को अपने अनुभव का लाभ दें. परिवार का कोई भी कार्यक्रम हो, उसमें वह शामिल रहें. बच्चों के पास अनुभव नहीं होता है, इसलिए अनुभव बांटना चाहिए. ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे कि परिवार में कलह उत्पन्न हो.

वृद्धाश्रम के अन्य बुजुर्गों से अलग हैं बालकृष्ण: प्रशांति वृद्धाश्रम के केयरटेकर वीरू यादव बताते हैं कि आश्रम में कई बुजुर्ग निवासरत हैं, लेकिन इनमें बालकृष्ण थोड़े अलग हैं. वह अपने में मस्त रहते हैं. कविताएं लिखते हैं और उन्हें संजोग कर रखते हैं. उन्हें लिखने का बेहद शौक है. हम चाहते हैं कि उनकी किताब छप जाए. समाज कल्याण विभाग से भी हमने बात की है. आश्रम में रहने वाले ज्यादातर बुजुर्ग अपने परिवार से दुखी हैं. वह कहीं ना कहीं अपने बच्चों से बेहद प्रताड़ित हैं. लेकिन बालकृष्ण अपनी मर्जी से ही यहां तक आए हैं.

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बुजुर्गों को प्रेरणा देता है बालकृष्ण का जीवन

कोरबा: अक्सर लोग उम्र ढलने के बाद बुढ़ापे को निरस और अकेलेपन से भरा समय मानते हैं. इसलिए बहुत से लोग खासकर परिवार से अलग वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग तिरस्कृत और अकेलापन महसूस करते हैं. वे अवसाद से घिर जाते हैं. ऐसे वृद्धों के लिए बालकृष्ण मिर्जापुरी का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है. बालकृष्ण कोरबा के प्रशांति वृद्धाश्रम में रहते हैं. वह अपने में मस्त रहने और कविताएं सुनाने के लिए पहचानते जाते हैं.

बुढ़ापे का आनंद लेने की देते हैं सीख: कोरबा के प्रशांति वृद्धाश्रम प्रबंधन का मानना है कि बालकृष्ण के जीवन का अपना फलसफा है. जिंदगी की सेकंड इनिंग्स खेल रहे बालकृष्ण की उम्र 83 साल की है. उनकी खुशमिजाजी का उनके पास सीधा और सपाट जवाब रहता है. बालकृष्ण कहते हैं कि "वृद्धावस्था उतनी ही खूबसूरत है, जितने जवानी के दिन होते हैं. लोगों को बुढ़ापे का आनंद लेना चाहिए. जिम्मेदारियों से भागकर अलग होने के बजाय परिवार में सामंजस्य बिठाया जा सकता है, लेकिन तब भी जीवन खूबसूरत है."

चंद्रिका गीतमाला का प्रकाशन है अगला लक्ष्य: यहां कुछ समय बाद बालकृष्ण की एक महिला मित्र यहीं वृद्धाश्रम में उन्हें मिली थी, जिसका नाम चंद्रिका था. वह भी कुछ दिन पहले गुजर गयी. उनका मानना है कि वे उसकी मदद नहीं कर पाए. इसी बात की तकलीफ उन्हें खाये रहती हैं. इसलिए उन्होंने अपने कविता संग्रह का नाम चंद्रिका गीतमाला दिया है. चंद्रिका के नाम पर ही यह पुस्तक का नाम रखा गया है. बालकृष्ण वृद्धाश्रम में रहकर भी गीत लिखते हैं. उन्होंने एक किताब लिखी है, जो गीतों का संग्रह है. इसे उन्होंने चंद्रिका गीतमाला का नाम दिया है. बालकृष्ण को लिखने का शौक शुरू से ही था, लेकिन कोई रिकॉर्ड नहीं रखा. अब वृद्धावस्था में हैं तो किताब को तैयार कर लिया है. वे चाहते हैं कि यह किताब प्रकाशित हो. इस गीतमाला में प्रेम, रोमांस से लेकर देशभक्ति के गीत भी शामिल हैं. हर तरह की कविताएं इसमें शामिल हैं.

अनकही बातों और जीवन को कविताओं में पिरोया: बालकृष्ण वैसे तो खुशमिजाज हैं, लेकिन पत्नी की मौत का गम उन्हें आज भी है. बालकृष्ण कहते हैं, "कई बातें थी, जो हम पत्नी से नहीं कह पाए. लोग अपने में मस्त रहते हैं, लेकिन मेरी गारंटी है जीवन बीत जाने के बाद भी लोग अपनी पत्नी को ठीक तरह से नहीं समझ पाते, यह ठीक नहीं है." उनकी यादों और किस्सों को बालकृष्ण ने गीतों में पिरोया है.

कोरबा में 9 साल से रह रहे बालकृष्ण: बालकृष्ण वैसे तो मूलरीप से यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले हैं, लेकिन काफी पहले वह छत्तीसगढ़ आ गए थे. कुछ दिन सक्ति में रहे और फिर पिछले 9 साल से जिले के सर्वमंगला मंदिर परिसर में संचालित प्रशांति वृद्धाश्रम में ही वह निवासरत हैं. बालकृष्ण बताते हैं कि उनके परिवार में दोनों बेटों की आपस में नहीं बनती. दोनों बेटे मिर्जापुर में ही रहते हैं. वह, वहां सुखी हैं और वह यहां सुखी हैं. उन्हें किसी ने घर से निकला नहीं है, वे अपनी मर्जी से यहां आकर रहते हैं.

बच्चों के साथ सामंजस्य बिठाना है जरूरी: बालकृष्ण वृद्धों को यह संदेश देना चाहते हैं कि जब तक परिवार में वे रह रहें हैं, बच्चों के साथ सामंजस्य बिठा कर चलें. बच्चों को अपने अनुभव का लाभ दें. परिवार का कोई भी कार्यक्रम हो, उसमें वह शामिल रहें. बच्चों के पास अनुभव नहीं होता है, इसलिए अनुभव बांटना चाहिए. ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे कि परिवार में कलह उत्पन्न हो.

वृद्धाश्रम के अन्य बुजुर्गों से अलग हैं बालकृष्ण: प्रशांति वृद्धाश्रम के केयरटेकर वीरू यादव बताते हैं कि आश्रम में कई बुजुर्ग निवासरत हैं, लेकिन इनमें बालकृष्ण थोड़े अलग हैं. वह अपने में मस्त रहते हैं. कविताएं लिखते हैं और उन्हें संजोग कर रखते हैं. उन्हें लिखने का बेहद शौक है. हम चाहते हैं कि उनकी किताब छप जाए. समाज कल्याण विभाग से भी हमने बात की है. आश्रम में रहने वाले ज्यादातर बुजुर्ग अपने परिवार से दुखी हैं. वह कहीं ना कहीं अपने बच्चों से बेहद प्रताड़ित हैं. लेकिन बालकृष्ण अपनी मर्जी से ही यहां तक आए हैं.

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Last Updated : Dec 9, 2023, 12:38 PM IST
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