दोनों ही गांव काफी सुदूर क्षेत्र में बसे हुए हैं, यहां के रहने वाले ग्रामीण पर्यावरण प्रेमी हैं. इसलिए पर्यावरण से छेड़छाड़ इन्हें कतई पसंद नहीं आ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि इससे आसपास का पर्यावरण प्रदूषित होगा और हमारे सामाजिक जीवन पर भी दूसरे लोगों की दखलंदाजी शुरू हो सकती है.
एसईसीएल खोले जाने के विरोध में ग्रामीणों ने चार महीने पहले कोरबा पूर्व कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक को ज्ञापन सौंपा था. शहरीकरण के प्रभाव में ग्रामीणों की सांस्कृतिक विरासत या उनकी परंपरा प्रभावित हो सकती है, जो गिदमुड़ी और पतुरिया डाड़ के ग्रामीणों को बर्दाश्त नहीं होगी. इसलिए वे लोग इसका विरोध कर रहे हैं.