कोरबा: पुलिसकर्मियों पर कई आरोप लगते रहते हैं, जिनमें से कुछ बेहद संगीन, तो कुछ प्रायोजित भी होते हैं. कारण चाहे जो भी हो, लेकिन ऐसी कई शिकायतें महकमे में लंबित रह जाती है. कोरबा जिले में भी पिछले एसपी के कार्यकाल के दौरान कई गंभीर शिकायतें पेंडिंग हैं. जिले में नवपदस्थ एसपी संतोष सिंह (korba sp santosh singh) ने ऐसे सभी विभागीय जांच वाले मामलों की समीक्षा की है. यह भी कहा कि "जिन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध शिकायत की गई है, उसमें गुण दोष के आधार पर यदि तथ्य सही पाए गए, तो कार्रवाई जरूर होगी. ऐसे में सवाल यह है कि जो फाइलें लंबे समय से दबी हुई है. क्या उनके खुलने के बाद दागी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिरेगी? (Departmental inquiry file will open in Korba Police Department)
कोरबा जिले में ट्रैफिक डीएसपी जैसे संवेदनशील पद पर डीएसपी शिवचरण सिंह परिहार पदस्थ हैं. पिछले वर्ष अक्टूबर के अंत में जब भोजराम पटेल जिले के एसपी थे. तब ट्रक चालकों ने प्रत्येक ट्रक से 500 रूपये महीना उगाही का आरोप लगाया था. लिखित शिकायत में कहा गया था कि कोयले के परिवहन में लगे ट्रकों को उरगा रेलवे फाटक के पास रुकवा कर पुलिस लाइन में खड़ा किया गया. ट्रांसपोर्टर ने आरोप लगाया था कि ट्रैफिक डीएसपी प्रति ट्रक 500 महीना बांधने का दबाव बना रहे हैं. ऐसे में उनके पास 70 से 75 ट्रक मौजूद हैं, जिनका 40 हजार महीने का खर्चा बढ़ जाएगा. हालांकि इस अनैतिक डिमांड के आरोप पर ट्रैफिक डीएसपी ने इनकार किया था. कहा था कि "नियम विरुद्ध काम करते हुए पाए जाने पर ट्रक वाले अनर्गल आरोप लगा रहे हैं."
मामले ने तब काफी सुर्खियां बटोरी थी, जब ट्रक संचालकों ने एकजुट होकर एसपी से इसकी शिकायत की थी. तब एसपी भोजराम पटेल ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दिए थे. एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा को जांच का जिम्मा देकर 7 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा था. लेकिन इस प्रकरण में क्या हुआ? यह 7 महीने बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल सका है.
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केस-2: शिक्षक से 4 लाख की डिमांड करने वाले सब इंस्पेक्टर पुनः बहाल, ठोस कार्रवाई नहीं :
पिछले एसएपी के कार्यकाल में ही जिले के उरगा थाना अंतर्गत तत्कालीन सब इंस्पेक्टर आरएल सहरिया पर शिक्षक उत्तरा टंडन ने 4 लाख रुपये नहीं देने पर हत्या के केस में फंसा देने संबंधित शिकायत की थी. शिक्षक ने प्रेसवार्ता का भी आयोजन किया था, तब जाकर सब इंस्पेक्टर को एसपी ने लाइन अटैच किया था. लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई. शिक्षक ने आरोप लगाया था कि 2019 में उनके बेटी की शादी हुई थी. तब डांस करते वक्त एक युवक की गिरकर मौत हो गई थी. अचानक 2021 में हमें थाने बुलाया गया और एसआई डहरिया द्वारा कहा गया कि "हिंट कर रहा हूं, लेकिन तुम समझ नहीं रहे हो. 15 नवंबर 2021 को फिर से थाने बुलाया गया, फिर 16 नवंबर को भी बुलाया गया और कहा गया कि जो तुम्हारी बेटी की शादी में डांस करते हुए गिर गया था. उसके पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई है. तुम्हारे बेटे पर 302 का केस बनाया जाएगा, वह जेल चला जाएगा. तुम्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे और तुम बर्बाद हो जाओगे.
इस तरह शिक्षक ने शिकायत कि लगातार परेशान किया गया और 4 लाख रुपये की डिमांड की गई. शिक्षक ने इस पूरे मामले की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी पेनड्राइव में पुलिस को दिया था. एसआई को लाइन अटैच किया गया, लेकिन ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है. इन प्रकरण की जांच का जिम्मा सीएसपी योगेश साहू को सौंपा गया था.
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इसी तरह के कई अन्य मामले हैं विचाराधीन : खाकी पर दाग लगने के इस तरह के कई मामले विचाराधीन हैं. जिनमें जांच करने के आदेश दे दिए गए, लेकिन जांच पूरी नहीं हो सकी. फिर चाहे आरक्षक द्वारा एक्सीडेंट के मामले को निपटाने के लिए डिमांड का मामला हो या फिर करतला थाने में कस्टोडियल डेथ के लिए टीआई को लाइन अटैच करने के बाद फिर बहाल करने का मामला हो. पुलिस महकमे में इस तरह के कई विभागीय जांच वाले मामले एसपी के कार्यालय में लंबित हैं. जिन्हें या तो बंद कर दिया गया है या फिर इसकी कोई जानकारी नहीं है. गंभीर शिकायतों के बाद भी दागी अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर जमे रहते हैं.
नए एसपी ने कहा "सभी विभागीय जांच की कर रहे हैं समीक्षा : कई मामले ऐसे हैं जो बरसों पुराने हैं. लेकिन कुछ ऐसे गंभीर मामले हैं, जो जिले के पूर्व एसपी भोजन पटेल के कार्यकाल के हैं. ऐसी दबी हुई फाइलों को फिर से खोलने की बात जिले के नवपदस्थ एसपी संतोष सिंह (korba sp santosh singh) ने कही है. उन्होंने कहा है कि "क्राइम मीटिंग में हमने विभागीय जांच के मामलों की समीक्षा की है. इनमें जो भी जांच अधिकारी हैं, उन्हें जल्द से जल्द जांच पूरा करने और प्रकरणों का निपटारा करने के निर्देश दिए हैं. मामले में जिस तरह के तथ्य पाए जाएंगे, उस तरह की कार्रवाई की जाएगी.