कोरबा : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को देश का आम बजट पेश किया है. इस बजट को लेकर कोरबा के मजदूरों ने मिली जुली प्रतिक्रिया पेश की है. किसी ने इस बजट को लोकलुभावन बताया तो किसी ने मजदूर और किसान विरोधी बताया. कोरबा में बिजली उपभोक्ताओं को एक से अधिक वितरण कंपनियों के विकल्प के साथ ही असंगठित मजदूरों के पोर्टल वाली घोषणा खास चर्चा में है. इसे लेकर भी लोगों ने ETV भारत के समक्ष अपनी बात रखी.
मजदूर नेता दीपक का कहना है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का पोर्टल बनाया जाना खुशी की बात है. इससे असंगठित मजदूरों को संबल मिलेगा. लेकिन इस घोषणा पर अमल हो तब बात बनेगी. वर्तमान सरकार घोषणाएं तो करती है लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं करती है. इसलिए जब इस योजना का क्रियान्वयन होगा तभी यह समझ आएगा कि यह कितनी कारगर साबित होती है.
मजदूर विरोधी बजट
युवा नेता पंकज सोनी का कहना है कि वर्तमान बजट बीजेपी सरकार के पिछले बजट की तरह ही मजदूर विरोधी है. इसमें आम आदमी के लिए कुछ नहीं है. सिर्फ खोखली घोषणा है. किसानों का आंदोलन चरम पर है. लेकिन सरकार ने किसानों पर ध्यान नहीं दिया. उनके विषय पर किसी तरह की घोषणा नहीं की गई है. इससे यह साबित होता है कि यह बजट मजदूर विरोधी है.
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विकल्प से निजी करण को मिलेगा बढ़ावा
बिजली कर्मचारी जनता यूनियन के प्रांतीय सचिव किशन अग्रवाल का कहना है कि बिजली उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी चुनने का मौका देना मतलब निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा. वर्तमान परिवेश में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल से बेहतर विकल्प उपभोक्ताओं को कोई भी नहीं दे सकता है. बजट में कुछ बेहतर प्रावधान भी किए गए हैं. यदि उनका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन होगा तब यह बजट ठीक तरह से कारगर साबित होगा.
मजदूरों के लिए किए गए हैं बेहतर प्रावधान
एमआईसी मेंबर और पार्षद फूलचंद सोनवाने का कहना है कि मजदूरों के पोर्टल के साथ ही मिनिमम वेज पॉलिसी बनाने की बात कही गई है. इससे मजदूरों के दिन निश्चित तौर पर बदलेंगे. यदि मजदूरों के मिनिमम वेज का निर्धारण हो जाए तो यह बेहतर काम होगा. लेकिन यह सरकार सिर्फ कहती है, काम नहीं करती है.