कोरबा: गर्मी शुरू होते ही प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ गई है. इधर तकनीकी खराबी के चलते NTPC के उत्पादन में 50 फीसदी तक की कमी आ गई है. बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही उत्पादन में कमी आना पॉवर प्लांट प्रबंधन के लिए चिंता का विषय है. एनटीपीसी में तकनीकी खराबी के कारण उत्पादन लगभग आधा हो गया है. हालांकि जानकार इसे जल्द दुरुस्त कर लिए जाने के बात भी कह रहे हैं.
4500 मेगावाट तक पहुंची मांग
वर्तमान में प्रदेश में बिजली की मांग बढ़कर 4500 मेगावाट के करीब पहुंच गई है. इस बीच एनटीपीसी प्लांट की दो इकाईयों से उत्पादन नहीं होने से प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. एनटीपीसी से 2600 मेगावाट बिजली उत्पादन की जाती है. 1 दिन पहले उत्पादन घट गया है. एनटीपीसी से 1340 मेगावाट कम बिजली का उत्पादन हो रहा है. तकनीकी दिक्कतों के कारण एनटीपीसी की 210 मेगावाट की एक यूनिट पहले से ही बंद है. अब अन्य यूनिट से भी उत्पादन नहीं होने से बिजली प्रदाय करने में दिक्कतें आ रही हैं.
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यूनिट नंबर दो और चार भी उत्पादन से बाहर
वर्तमान में एनटीपीसी की 210-210 मेगावाट की यूनिट क्रमांक 2 और 4 भी उत्पादन से बाहर हो गई है. इनसे भी बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है. प्रबंधन का कहना है कि दोनों इकाईयों में ट्यूब लीकेज का फॉल्ट आया है, जिसके कारण फिलहाल उत्पादन नहीं हो रहा है. जिसका सुधार कार्य जारी है और जल्द ही इसे ठीक कर लिया जाएगा.
इधर राज्य शासन की डीएसपीएम प्लांट में भी 210 मेगावाट की एक यूनिट तकनीकी कारणों से बंद रखी गई है. प्रबंधन का कहना है कि रखरखाव के लिए 210 मेगावाट की एक यूनिट को बंद किया गया है, जिसके कारण इससे भी उत्पादन नहीं हो पा रहा है.
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2600 मेगावाट बिजली की गई विड्रॉल
एक दिन पहले प्रदेश में बिजली की मांग 4500 मेगावाट तक पहुंच गई थी, जबकि प्रदेशभर के पॉवर प्लांटों से उत्पादन लगभग इससे आधा ही हो रहा था. जिसके कारण सेंट्रल सेक्टर से 2600 मेगावाट बिजली विड्रॉल की जा रही थी, ताकि प्रदेश में बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रहे.