कोरबा: छ्त्तीसगढ़ की कोरबा, यहां मौजूद कोयला खदानों, विद्युत संयंत्र की वजह से देशभर में जानी जाती है. इन संयंत्रों का देश के विकास में अहम योगदान रहा है. लेकिन देश को मजबूती देने वाले इन संयंत्रों के मजदूरों का कितना विकास हुआ, शायद ही कोई इस बारे में सोंचता होगा. ये वही मेहनतकश मजदूर हैं, जो अपने पसीने से सींचकर संयंत्र को खड़ा करते हैं. आज ईटीवी भारत की टीम ने इन मजदूर से मुलाकात कर उनकी जनप्रतिनिधियों से क्या अपेक्षाएं हैं? यह जानने की कोशिश की है.
मजदूर हितैशी विधायक का इंतेजार: कोरबा के ट्रेड यूनियन से जुड़े मजदूरों का कहना है कि आने वाले चुनाव में जीतने वाले विधायक मजदूरों के दर्द को समझें, उनकी परेशानियों को मुद्दा बनाएं. ताकि मजदूरों के माली हालत में बदलाव लाया जा सके. नियम तो बने हैं, लेकिन उद्योग उनका पालन नहीं करते. इसके कारण मजदूरों के जीवन स्तर में बदलाव नहीं आता. इसलिए ऐसे जनप्रतिनिधि चुनकर आएं, जो मजदूर हितैशी हों. जो ट्रेड यूनियन को मजबूत करने की दिशा में काम करें.
श्रमिकों के मूलभूत सुविधाओं का मुद्दा उठाया: ट्रेड यूनियन से जुड़े मजदूरों के लीडर संजीव शर्मा ने कहा, "हम सभी श्रमिक यही चाहते हैं कि जो श्रमिकों की मूलभूत सुविधाएं, जो वेतन से जुड़े मुद्दे हैं, उन्हें फोकस किया जाए. हमारी अपेक्षाएं जनप्रतिनिधियों से रहती है कि श्रमिकों के लाभ और अधिकारों को उन्हें दिलवाया जा सके. इस दिशा में जो प्रतिनिधि काम करेंगे, उन्हें हम सहयोग करते हैं. हम उन्हीं को ही अपना विधायक चुनेंगे. मजदूरों के कई मुद्दे हैं, जिन्हें जनप्रतिनिधियों के सपोर्ट की जरूरत पड़ती है."
"आने वाले जनप्रतिनिधि से यही उम्मीद है कि हमारी मेडिकल की जो सुविधा है, जो मूलभूत अधिकार है. वह हमें दिया जाए, उनका ध्यान रखा जाए. हमारी कई वेतन संबंधी मांग है. सुविधाओं को लेकर मांगे हैं, जो सालों से लंबित है. इन्हें पूरा किया जाना चाहिए." - रवींद्र यादव, इलेक्ट्रिशियन, बालको पावर प्लांट
मजदूरों की लंबित पड़ी हैं कई मांगें: कोरबा के पावर प्लांट में काम करने वाले मजदूरों ने तय कर लिया है कि इस बार जो मजदूरों का विकास करेगा, जो मजदूरों के हित में काम करेगा, उसे ही हम वे सभी जीतने में मदद करेंगे. पावर प्लांट में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे श्रमिक मजदूरों की बहुत सारी मांगें लंबित पड़ी हुई है. उन्हें उम्मीद है कि जो भी प्रतिनिधि यहां से चुनकर आएं, वह इन मुद्दों पर विशेष फोकस करें.
मजदूर हितों को लेकर कही बात: कोरबा के पावर प्लांट में काम करने वाले मजदूर अपने मुद्दे को लेकर हमेशा लड़ाई लड़ते हैं. हर समय आंदोलन की स्थिति बनी रहती है. मजदूर अपने हितों की लड़ाई लड़ते रहते हैं. मजदूरों की केवल इतनी ही मांग रहती है कि अपने हितों के लिए उन्हें आंदोलन करने की जरूरत ना पड़े. बिना आंदोलन के ही उन्हें उनका अधिकार और सुविधाएं दी जानी चाहिए. इस दिशा में भी जनप्रतिनिधियों को काम करने की जरूरत है.
ट्रेड यूनियन को मिले प्राथमिकता: कोरबा के मजदूर यूनियन से जुड़े कर्मचारियों का मानना है कि कई बार प्रबंधन ट्रेड यूनियन को समझ नहीं पाते हैं. उनका मानना है कि ट्रेड यूनियन को जब मजबूती मिलेगी, तब मजदूरों के हालात में बदलाव आएगा. उन्हें उम्मीद रहती है कि जनप्रतिनिधी ट्रेड यूनियन को मजबूत करेंगे. मजदूरों मानते हैं कि जब ट्रेड यूनियन को तवज्जो दिया जाएगा, तो उनकी बातों को भी तवज्जो मिलेगी. ऐसा होने पर मजदूरों के हालात में अपने आप बदलाव आएगा और मजदूर मजबूत होगा.