कोरबा: गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) ने छत्तीसगढ़ में हुए चुनावों में जीत भले ही कभी भी हासिल ना की हो लेकिन किसी भी प्रत्याशी का वोट काटने का माद्दा ये रखते हैं. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में गोंगपा 90 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा कर मजबूती से चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. हालांकि इस बार पार्टी अपने सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम के बगैर चुनाव में अपना दम दिखाएगी. हीरा सिंह मरकाम का निधन 28 अक्टूबर साल 2020 में हो गया था. मरकाम के निधन के बाद अब गोंगपा के जनाधार वाली सीटों और उसके वोट बैंक पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजर है.
इन सीटों पर है गोंगपा का अच्छा खासा जनाधार : छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में गोंगपा का अच्छा खासा जनाधार है. सरगुजा और बिलासपुर संभाग की सीटों पर उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. वह भले ही किसी सीट पर चुनाव ना जीतें, लेकिन किसी प्रत्याशी की हार में कारगर भूमिका निभाते हैं. इसी वजह से कोरबा के पालीतानाखार विधानसभा सीट पर भाजपा तीसरे नंबर पर खिसकी हुई है. पिछले तीन चुनाव से भाजपा की लगभग यही स्थिति रही है. पाली तानाखार विधानसभा सीट के अलावा भरतपुर सोनहत, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर, प्रेमनगर, प्रतापपुर, मरवाही और कोटा की सीटों पर गोंगपा का प्रभाव है. विधानसभा चुनाव 2018 में इन 8 विधानसभा सीटों पर वोटर्स की कुल संख्या 14 लाख 64 हजार 234 थी. जिसमें से 10 लाख 98 हजार 168 वोट आदिवासियों के थे. गोंगपा पार्टी को इस चुनाव में इन 8 विधानसभा सीटों में 2 लाख 30 हजार वोट मिले थे. इन सभी सीटों पर आदिवासी वोटर्स की संख्या 75 प्रतिशत या इससे ज्यादा है.
भाजपा की नजर आदिवासी वोट बैंक पर: गोंडवाना पार्टी जहां मजबूती से चुनाव लड़ने का दावा कर रही है तो वहीं भाजपा कांग्रेस आदिवासियों के वोट अपने पाले में करने की कोशिश में है. भाजपा का दावा है कि आदिवासियों का सम्मान सिर्फ उनकी पार्टी में होता है. भाजपा में आदिवासी कई ऊंचे पदों पर हैं.
''देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब आदिवासी वर्ग की महिला देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति के पद पर है. रामदयाल उइके पहले कांग्रेस के विधायक थे. उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया था. इसका लाभ भाजपा को मिलेगा.'' - मनोज मिश्रा, मीडिया प्रभारी, भाजपा
कांग्रेस की भी गोंगपा के वोट बैंक पर नजर : कांग्रेस खुद को आदिवासी हितैषी बताते हुए आदिवासियों के लिए शुरू की गई योजनाएं गिना रही है. कांग्रेस का कहना है कि गोंगपा सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम जब तक जीवित रहे, तब तक जल जंगल जमीन के साथ ही आदिवासियों के अधिकार की बात करते रहे. अब कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए यह काम पूरा कर दिया है.
''आदिवासियों का दूसरी पार्टी में जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. पिछले साढ़े 4 साल में कांग्रेस ने जो काम किया है, उसने आदिवासियों का दिल जीत लिया है. इसलिए न सिर्फ गोंगपा बल्कि अन्य छोटी मोटी पार्टियों के वोट भी कांग्रेस में कन्वर्ट होंगे.'' -सुरेंद्र प्रताप जायसवाल, अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण
नेतृत्व की कमी नहीं, इस बार भी ठोकेंगे ताल : पार्टी सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम के निधन के बाद गोंगपा नेतृत्वकर्ता की तलाश में है. पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी दबी जुबान में यह बात कहते हैं. हालांकि पार्टी के पदाधिकारी मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. कुछ कहते हैं दादा के निधन के बाद पार्टी कमजोर हो चुकी है. कुछ मानते हैं कि गोंगपा के कार्यकर्ता ही पार्टी की ताकत हैं. आने वाले चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी(गोंगपा) 90 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करने की बात कह रही है. गोंगपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य गणेशराम मरपच्ची बताते हैं कि गोंगपा में नेतृत्व करने वालों की कमी नहीं है.
''दादा के जाने के बाद जैसे एक वृक्ष से उत्पन्न बीज से कई पौधे उगते हैं. ठीक वैसे ही उनके द्वारा बोए बीज अब पौधे बन रहे हैं. कार्यकर्ता ही हमारी पार्टी की ताकत हैं. हमारे कार्यकर्ता अपने संसाधन से चुनाव लड़ते हैं. बाकी दल चंदे पर निर्भर रहते हैं. हमारे कार्यकर्ता अपने घर के पैसे लगाकर चुनाव लड़ते हैं और राष्ट्रीय पार्टियों को पीछे धकेलते हुए कई सीटों पर दूसरे पायदान पर रहते हैं. लोगों की यह भी समझना होगा कि पार्टी सिर्फ एसटी, एससी तक सीमित नहीं है. इसका अर्थ गोंडवाना लैंड से है.'' -गणेशराम मरपच्ची, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, गोंगपा
आदिवासी वोट बैंक कितना अहम: छत्तीसगढ़ में कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जीत का पूरा दारोमदार आदिवासियों पर ही है. आदिवासी वोट बैंक जिसका होगा, जीत उसी की होगी. सत्ता में बैठी कांग्रेस और भाजपा दोनों को ये बात पता है. कोरबा में गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी की मजबूती को भी दोनों ही पार्टियां मान रही है. इसलिए बीते दिनों कोरबा दौरे पर आए अमित शाह ने भी गोंगपा पार्टी का जिक्र किया था.
अजीत जोगी ने दिया था गठबंधन का ऑफर: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी गोंगपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे लेकिन पार्टी सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम ने अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया. हीरा सिंह मरकाम खुद चुनाव जीतने में पिछली बार भी चूक गए थे. लेकिन जिस रामदयाल उइके से वह चुनाव हारते रहे, उन्हें पिछले चुनाव(2018) में मरकाम ने तीसरे नंबर पर जरूर धकेल दिया था. अब हीरा सिंह मरकाम की मौत के बाद पार्टी किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, इसका खुलासा फिलहाल नहीं हुआ है. हालांकि पार्टी सभी सीटों पर दमदारी से चुनाव लड़ने का दावा कर रही है.