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SPECIAL : कोरोना काल में राजस्व वसूली में पिछड़ा कोरबा नगर निगम, पार्षद निधि पर चल सकती है कैंची - कोरबा में कोरना वायरस

कोरोना ने हर व्यापार, नौकरी, उद्योग धंधों के साथ ही निगम की वसूली पर भी ग्रहण लगा दिया है. हर साल राजस्व से 500 करोड़ से ज्यादा आय कमाने वाले कोरबा निगम की स्थिति काफी खराब हालत में है.

korba municipal corporation
राजस्व वसूली में पिछड़ा कोरबा नगर निगम
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Published : Jul 7, 2020, 5:10 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 5:52 PM IST

कोरबा: कोरबा में कोरोना वायरस से उपजी विपरित परिस्थितियां अब पार्षदों के अधिकार भी छीन सकती है. राजस्व वसूली में पिछड़ी नगर निगम की वित्तीय स्थिति डगमगा गई है. जिससे हर साल पार्षदों को विकास कार्यों के लिए मिलने वाली अतिरिक्त आय पर कैंची चल सकती है. क्योंकि फिलहाल निगम की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पार्षदों को शासन से मिलने वाली पार्षद निधि के अलावा और 3-3 लाख रुपये दे सके.ऐसे में नगर पालिका निगम की वित्तीय मजबूरी पार्षदों के अधिकारों को सीमित कर सकती है.

राजस्व वसूली में पिछड़ा कोरबा नगर निगम


लॉकडाउन से पहले हर पार्षद को मिलते थे 7-7 लाख रुपये

दरअसल नगर पालिका निगम के निर्वाचित पार्षदों को राज्य शासन की ओर से 4 लाख रुपये प्रति वर्ष पार्षद निधि के तौर पर दी जाती है. ये राशि पार्षद अपने-अपने वार्डों के विकास कार्यों के लिए खर्च करते हैं. लॉकडाउन से पहले तक नगर पालिका निगम कोरबा की वित्तीय स्थिति काफी मजबूत थी. जिसके कारण पार्षदों को पार्षद निधि के तौर पर शासन से मिलने वाले 4 लाख के अलावा 3 लाख रुपए की राशि नगर पालिक निगम मद से दी जाती थी.

लॉकडाउन से पहले तक पार्षद निधि

  • पार्षद को साल भर में मिलती है 4 लाख रुपए की पार्षद निधि
  • विकास कार्यों के लिए 3 लाख की राशि अलग से मिलती थी.
  • अपने वार्ड में 7 लाख तक के कार्य कराने में स्वतंत्र थे पार्षद

कोरोना काल की स्थिति

  • कोरोना संकट के कारण राजस्व वसूली में पिछड़ा नगर निगम
  • इस साल 3 लाख की अतिरिक्त राशि देने में सक्षम नहीं नगर निगम
  • पार्षद निधि में कटौती की भनक से पार्षदों में आक्रोश
  • पार्षद निधि में कटौती नहीं करने की मांग


अब तक कोई आदेश नहीं

अधिकारियों साथ ही महापौर भी यह स्वीकार करते हैं कि नगर पालिका निगम की वित्तीय स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है. इसलिए पार्षद निधि में निगम के मद से 3 लाख रुपये तत्काल प्रदाय नहीं किया जा सकता. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा भी नहीं है कि इस राशि में कटौती तय मान ली जाए. जैसे ही राजस्व वसूली में तेजी आएगी पार्षदों को यह राशि दी जाएगी. पार्षद निधि में राशि कटौती का कोई आदेश भी नगर निगम की ओर से जारी नहीं हुआ है.

पढ़ें: कटघोरा: 'मुनगा महाअभियान' की शुरुआत, विधायक ने लगाये पौधे



2 करोड़ 1 लाख रुपयों की जरूरत

नगर निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं. जिसमें पक्ष-विपक्ष और निर्दलीय सभी शामिल हैं. कोरबा नगर निगम में महापौर कांग्रेस का है, लेकिन पार्षदों की संख्या भाजपा की अधिक है. पार्षद निधि सभी पार्षदों को एक समान रूप से दी जाती है. 67 पार्षदों को निगम मद से 3-3 लाख रुपये देने का मतलब ये होगा कि नगर निगम को कुल 2 करोड़ 1 लाख रुपये के राशि की आवश्यकता होगी. हालांकि यह राशि वार्डों के विकास कार्य में ही इस्तेमाल होंगे.

पिछला बजट 800 करोड़ का

नगर पालिक निगम के मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट भले ही बिना सामान्य सभा के लागू कर दिया गया है. लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान नगर निगम की सामान्य सभा में 800 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था. मौजूदा वित्तिय वर्ष का बजट भी 1000 करोड़ रुपये के आसपास होने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

522 करोड़ रुपए है निगम की सालाना आय

नगर पालिक निगम कोरबा की पिछले वर्षों के दौरान सालाना आय 522 करोड़ रुपये है. ये कमाई राजस्व प्राप्तियां, राजस्व क्षतिपूर्ति सहित निगम द्वारा वसूले जाने वाले विभिन्न टैक्स से होती है.

पढ़ें: रायपुर: संसदीय सचिवों सहित निगम-मंडल के नामों पर लगी मुहर, सूची का इंतजार


विभिन्न मदों से निगम की कमाई

आय का विवरण राशि(करोड़ में)
राजस्व प्राप्तियां 87.85
राजस्व क्षतिपूर्ति 23.15
निगम संपत्तियों के किराए से प्राप्ति 4.7
अनुदान प्राप्तियां 325.3
संपत्तियों के प्रीमियम से आय 4.15


इतने प्रकार के टैक्स से सालाना राशि वसूलता है नगर निगम

नामांतरण शुल्क- 1 करोड़, मनोरंजन कर- 2 करोड़, यात्री सीमा कर- 50 लाख, राज्य उत्पादन कर- 1 करोड़ 10 लाख, मुद्रांक शुल्क 2 करोड़, चुंगी क्षतिपूर्ति- 10 करोड़, आबकारी- 1 करोड़ 50 लाख, रॉयल्टी- 5 करोड़, अनुपयोगी सामानों की बिक्री से आय- 5 लाख.
इन सबके अलावा व्यवसायिक परिसर, निगम द्वारा निर्मित दुकानों, होटल कॉन्प्लेक्स का किराया, गुमटी से प्राप्त किराया, ऑफिस कॉन्प्लेक्स, आवास गृह से प्राप्त किराया, विकसित भूखंड से प्राप्त भू भाटक, जल प्रदाय, कांजी हाउस, नॉनवेज मार्केट, एटीएम स्थापना, मोबाइल टावर, भवन निर्माण अनुमति शुल्क, सेवा शुल्क जैसे कई ऐसे आय के साधन हैं. जोकि आम लोगों से लेकर विभिन्न संस्थानों से निगम द्वारा वसूला जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: जर्जर मकानों ने बढ़ाई नगर निगम की मुसीबत, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

वसूली नहीं हो पाने से निगम की नहीं हो पाई आय

कोरोना संकट के कारण इस वर्ष इन सभी आय के साधनों से जो भी टैक्स या किराया निगम द्वारा वसूला जाता है. उसकी गति बेहद धीमी है. निगम के अधिकारियों की मानें तो राजस्व वसूली इस वर्ष आधी भी नहीं हो सकी है.

कोरबा: कोरबा में कोरोना वायरस से उपजी विपरित परिस्थितियां अब पार्षदों के अधिकार भी छीन सकती है. राजस्व वसूली में पिछड़ी नगर निगम की वित्तीय स्थिति डगमगा गई है. जिससे हर साल पार्षदों को विकास कार्यों के लिए मिलने वाली अतिरिक्त आय पर कैंची चल सकती है. क्योंकि फिलहाल निगम की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पार्षदों को शासन से मिलने वाली पार्षद निधि के अलावा और 3-3 लाख रुपये दे सके.ऐसे में नगर पालिका निगम की वित्तीय मजबूरी पार्षदों के अधिकारों को सीमित कर सकती है.

राजस्व वसूली में पिछड़ा कोरबा नगर निगम


लॉकडाउन से पहले हर पार्षद को मिलते थे 7-7 लाख रुपये

दरअसल नगर पालिका निगम के निर्वाचित पार्षदों को राज्य शासन की ओर से 4 लाख रुपये प्रति वर्ष पार्षद निधि के तौर पर दी जाती है. ये राशि पार्षद अपने-अपने वार्डों के विकास कार्यों के लिए खर्च करते हैं. लॉकडाउन से पहले तक नगर पालिका निगम कोरबा की वित्तीय स्थिति काफी मजबूत थी. जिसके कारण पार्षदों को पार्षद निधि के तौर पर शासन से मिलने वाले 4 लाख के अलावा 3 लाख रुपए की राशि नगर पालिक निगम मद से दी जाती थी.

लॉकडाउन से पहले तक पार्षद निधि

  • पार्षद को साल भर में मिलती है 4 लाख रुपए की पार्षद निधि
  • विकास कार्यों के लिए 3 लाख की राशि अलग से मिलती थी.
  • अपने वार्ड में 7 लाख तक के कार्य कराने में स्वतंत्र थे पार्षद

कोरोना काल की स्थिति

  • कोरोना संकट के कारण राजस्व वसूली में पिछड़ा नगर निगम
  • इस साल 3 लाख की अतिरिक्त राशि देने में सक्षम नहीं नगर निगम
  • पार्षद निधि में कटौती की भनक से पार्षदों में आक्रोश
  • पार्षद निधि में कटौती नहीं करने की मांग


अब तक कोई आदेश नहीं

अधिकारियों साथ ही महापौर भी यह स्वीकार करते हैं कि नगर पालिका निगम की वित्तीय स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है. इसलिए पार्षद निधि में निगम के मद से 3 लाख रुपये तत्काल प्रदाय नहीं किया जा सकता. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा भी नहीं है कि इस राशि में कटौती तय मान ली जाए. जैसे ही राजस्व वसूली में तेजी आएगी पार्षदों को यह राशि दी जाएगी. पार्षद निधि में राशि कटौती का कोई आदेश भी नगर निगम की ओर से जारी नहीं हुआ है.

पढ़ें: कटघोरा: 'मुनगा महाअभियान' की शुरुआत, विधायक ने लगाये पौधे



2 करोड़ 1 लाख रुपयों की जरूरत

नगर निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं. जिसमें पक्ष-विपक्ष और निर्दलीय सभी शामिल हैं. कोरबा नगर निगम में महापौर कांग्रेस का है, लेकिन पार्षदों की संख्या भाजपा की अधिक है. पार्षद निधि सभी पार्षदों को एक समान रूप से दी जाती है. 67 पार्षदों को निगम मद से 3-3 लाख रुपये देने का मतलब ये होगा कि नगर निगम को कुल 2 करोड़ 1 लाख रुपये के राशि की आवश्यकता होगी. हालांकि यह राशि वार्डों के विकास कार्य में ही इस्तेमाल होंगे.

पिछला बजट 800 करोड़ का

नगर पालिक निगम के मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट भले ही बिना सामान्य सभा के लागू कर दिया गया है. लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान नगर निगम की सामान्य सभा में 800 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था. मौजूदा वित्तिय वर्ष का बजट भी 1000 करोड़ रुपये के आसपास होने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

522 करोड़ रुपए है निगम की सालाना आय

नगर पालिक निगम कोरबा की पिछले वर्षों के दौरान सालाना आय 522 करोड़ रुपये है. ये कमाई राजस्व प्राप्तियां, राजस्व क्षतिपूर्ति सहित निगम द्वारा वसूले जाने वाले विभिन्न टैक्स से होती है.

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विभिन्न मदों से निगम की कमाई

आय का विवरण राशि(करोड़ में)
राजस्व प्राप्तियां 87.85
राजस्व क्षतिपूर्ति 23.15
निगम संपत्तियों के किराए से प्राप्ति 4.7
अनुदान प्राप्तियां 325.3
संपत्तियों के प्रीमियम से आय 4.15


इतने प्रकार के टैक्स से सालाना राशि वसूलता है नगर निगम

नामांतरण शुल्क- 1 करोड़, मनोरंजन कर- 2 करोड़, यात्री सीमा कर- 50 लाख, राज्य उत्पादन कर- 1 करोड़ 10 लाख, मुद्रांक शुल्क 2 करोड़, चुंगी क्षतिपूर्ति- 10 करोड़, आबकारी- 1 करोड़ 50 लाख, रॉयल्टी- 5 करोड़, अनुपयोगी सामानों की बिक्री से आय- 5 लाख.
इन सबके अलावा व्यवसायिक परिसर, निगम द्वारा निर्मित दुकानों, होटल कॉन्प्लेक्स का किराया, गुमटी से प्राप्त किराया, ऑफिस कॉन्प्लेक्स, आवास गृह से प्राप्त किराया, विकसित भूखंड से प्राप्त भू भाटक, जल प्रदाय, कांजी हाउस, नॉनवेज मार्केट, एटीएम स्थापना, मोबाइल टावर, भवन निर्माण अनुमति शुल्क, सेवा शुल्क जैसे कई ऐसे आय के साधन हैं. जोकि आम लोगों से लेकर विभिन्न संस्थानों से निगम द्वारा वसूला जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: जर्जर मकानों ने बढ़ाई नगर निगम की मुसीबत, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

वसूली नहीं हो पाने से निगम की नहीं हो पाई आय

कोरोना संकट के कारण इस वर्ष इन सभी आय के साधनों से जो भी टैक्स या किराया निगम द्वारा वसूला जाता है. उसकी गति बेहद धीमी है. निगम के अधिकारियों की मानें तो राजस्व वसूली इस वर्ष आधी भी नहीं हो सकी है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 5:52 PM IST
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