कोरबा: भारत में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 8 हजार के पार हो गई. सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए सभी लोगों की जानकारी की है. तबलीगी जमात से जुड़े ये लोग भारत के विभिन्न राज्यों में पहुंचे, जानकारी छिपाई और नतीजा ये हुआ कि संक्रमण भारत में तेजी से बढ़ा. कई राज्यों ने जानकारी न देने पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी जारी कर दिया है. छत्तीसगढ़ में भी आंकड़ा जमात की वजह से 15 पर पहुंच गया है. कटघोरा हॉट स्पॉट बन गया है. यहां से मिलने वाले सभी मरीज तबलीगी जमात से ताल्लुक रखते हैं.
ETV भारत ने कोरबा के सुन्नी मुस्लिम समाज के जिला अध्यक्ष हाजी अखलाख खान से बातचीत की, जो कि छत्तीसगढ़ में मुस्लिमों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल लुथरा शरीफ के सदर (प्रमुख) भी रह चुके हैं. अखलाक खान का मानना है कि तबलीगी समाज की लापरवाही माफी के लायक नहीं है. उन्हें प्रशासन का सहयोग करना चाहिए और लोगों की जान बचानी चाहिए..
सवाल: तबलीगी जमात से आपकी क्या अपील है ?
जवाब : तबलीगी समाज के लोगों से हमने सार्वजनिक तौर पर अपील की है और उन्हें प्रशासन का सहयोग कर समर्पण करने को कहा है. आज पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है, परेशान है. पीएम नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में कोरोन पर लगभग विजय प्राप्त कर ली गई थी, जो 8-10 मरीज थे. वह भी ठीक हो गए थे. हम सब यह मान रहे थे कि अब स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन कटघोरा की पुरानी बस्ती में अचानक 8 लोगों को संक्रमित पाए जाने से अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया. यह बेहद अफसोस की बात है कि तबलीगी जमात वालों ने शासन के प्रयासों पर पानी फेरा. यदि कोई मर्ज हो गया या गलती हो गई तो, हम उनसे अपील करते हैं कि वह सामने आएं और प्रशासन का सहयोग करें, वरना प्रशासन को सख्ती बरतनी होगी. प्रशासन यदि सख्त होकर कार्रवाई करेगा, तो हम प्रशासन के साथ खड़े रहेंगे.
सवाल : क्या आप तबलीगी जमात की लापरवाही मानते हैं ?
जवाब : देखिए, तबलीगी जमात वाले हर साल ऐसा आयोजन करते हैं, दिल्ली में इनके प्रमुख मौलाना साद हैं और मुंबई में मौलाना लाड. मुंबई में मौलाना लाड ने मना कर दिया, लेकिन दिल्ली के मौलाना ने इसका आयोजन किया. जानकारी होते हुए भी कि कोरोना पूरे विश्व में फैला हुआ है. मलेशिया, इंडोनेशिया, फ्रांस अलग-अलग देशों से लोग आए और उन्होंने पूरे देश को मुसीबत में डाल दिया.
सवाल : तो क्या आप जैसे जिम्मेदार मुस्लिमों की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि आप खुलकर इनका विरोध करें ?
जवाब : हम तो शुरू से तबलीगी जमात वालों का विरोध करते हैं. हम खुले मन से इनकी मुखालिफत करते हैं. इनका यह आयोजन बंद होना चाहिए.
सवाल : ऐसी भी जानकारी है कि कोरबा में तबलीगी जमात के 9 मस्जिदें हैं और 8 से 9 हजार सदस्य ?
जवाब : कोरबा में हो भी सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है. कोरबा में जो मरकज है. वह कटघोरा पसान, दीपका, चैतमा और पाली में है. यही सबसे पुराने तबलीगी जमात के मरकज हैं. 5 से 6 हजार लोग इनसे जुड़े हुए हैं. इसलिए हम प्रशासन से भी मांग कर रहे हैं कि वह कटघोरा की जांच के साथ ही चैतमा, पसान और पाली जैसे मरकजों की भी जांच करें. हमें शंका है कि यहां भी इस तरह के कुछ मरीज मिल सकते हैं.
सवाल : सुनियोजित साजिश की भी बात कही जा रही है ?
जवाब : हां, लेकिन इतना जरूरत र है कि तबलीगी जमात के लोगों ने यह जो आयोजन किया. उन्हें नहीं करना चाहिए था, उन्हें खुद भी नहीं मालूम था कि परिस्थितियां ऐसी निर्मित हो जाएंगी. कम से कम विदेशियों पर रोक लगाना चाहिए था, यदि वह पहले ही आयोजन करके खत्म कर लेते तो देश में ऐसी परिस्थितियां पैदा नहीं हुई होती.