कोरबा: छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर ने हजारों घर उजाड़ दिए हैं. किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि कोई ऐसी जानलेवा लहर आएगी, जो देशभर के लाखों बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लेगी. कोरोना की ऐसी खतरनाक लहर जिसने बूढ़े मां-बाप को अपने जवान बच्चों की लाश उठाने के लिए मजबूर कर दिया. कोरोना काल की इस विपरीत परिस्थिति में प्रदेश सरकार ने कोरोना में अपने मां-बाप या दोनों में से किसी एक को खो देने वाले बच्चों के भविष्य संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. प्रदेश सरकार की 'छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना-2021' के तहत बच्चों को निःशुल्क स्कूली शिक्षा दी जाएगी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर कोरोना में बेसहारा हुए बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए यह योजना लॉन्च की गई. जिसके तहत ऐसे बच्चे जिनके परिवार से कोविड-19 की वजह से माता या पिता अथवा दोनों की मौत हो गई हो. उनके घर में कमाने वाले व्यस्क सदस्य नहीं होने के कारण अगर भरण-पोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को नि:शुल्क स्कूली शिक्षा मिलेगी.
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मुफ्त शिक्षा के साथ ही हर माह दिया जाएगा स्कॉलरशिप
'महतारी दुलार योजना' के अंतर्गत जो बच्चे स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए आयु संबंधी पात्रता रखते हैं, उन्हें कक्षा पहली से बारहवीं तक की मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, साथ ही इस योजना के तहत पात्र स्कूलों में प्रवेशित छात्रों को हर महीने छात्रवृत्ति (scholarship) भी मिलेगी. शासन हर माह कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों को 500 रुपए और कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के छात्रों को 1000 रुपए की राशि छात्रवृत्ति के तौर पर दी जाएगी.
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आगामी शिक्षण सत्र से शुरू होगा योजना का क्रियान्वयन
'छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना-2021' की शुरुआत शैक्षणिक सत्र 2021-22 से होगी. इस योजना अंतर्गत लाभार्थी को छत्तीसगढ़ का निवासी होना अनिवार्य होगा. पात्र बच्चों को प्रदेश के शासकीय स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. इन बच्चों को प्रदेश के शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश की प्राथमिकता दी जाएगी. पात्र छात्रों को स्कूली शिक्षा के बाद भी उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा. छत्तीसगढ़ शासन प्रतिभावान छात्रों को व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कोचिंग की भी सुविधा उपलब्ध कराएगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए छात्र खुद या उनके अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी को सीधे आवेदन कर सकते हैं.