कोरबा: केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर अब प्रदेश की 5 नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उठाया है. महानदी, खारुन, शिवनाथ, केलो के साथ ही ऊर्जाधानी और समस्त बिजली पैदा करने वाले पावर प्लांटों की लाइफलाइन हसदेव नदी भी इस परियोजना में शामिल है. जानकार पिछले एक दशक से हसदेव में बढ़ते प्रदूषण के लिए चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में नहीं आई थी तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, हसदेव के संरक्षण के लिए हसदेव यात्रा पर भी निकले थे. देर से ही सही सरकार ने नदियों की सफाई का बीड़ा उठाया है. कोरबा में भी काम शुरू कर दिया गया है. नैनो तकनीक से फिलहाल प्रदूषण की निगरानी के लिए दो ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं. डिस्प्ले लगाने का काम अभी शेष है. नदी के जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए कंटीन्यूअस इनफ्लूएंट मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है. जो सीधे कंट्रोल रूम को डाटा प्रेषित करेगा. दो स्थानों पर लगे स्टेशन से कंट्रोल रूम में पल-पल के पानी में व्याप्त प्रदूषण की जानकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल को मिलेगी. इसमें आठ पैरामीटर निर्धारित किए गए हैं. इससे पीएच, कंडक्टिविटी सहित टेंपरेचर की जानकारी पर्यावरण संरक्षण पर मिलेगी. इससे 8 स्तर पर प्रदूषण के निगरानी करना संभव हो सकेगा.
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क्या है नैनो तकनीक : नैनो तकनीक विज्ञान की एक खास तकनीक होती है. इस तकनीक के जरिए किसी भी पदार्थ में परमाणु, आणविक या सुपरमॉलिक्यूल स्तर पर परिवर्तन किया जा सकता है. नैनो टेक्नोलॉजी बेहद सूक्ष्म कण अणुओं और परमाणुओं की एक इंजीनियरिंग है. जो कि भौतिकी, बायोइनफॉर्मेटिक्स और बायो टेक्नोलॉजी जैसे अन्य विषयों को आपस में जोड़ती है. इस तकनीक का इस्तेमाल कर बेहद सूक्ष्मता से किसी पदार्थ का शोध या रिसर्च किया जा सकता है.
इस तरह सरकार का एक्शन प्लान : कुछ समय पहले केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की एक रिपोर्ट ने प्रदेश की पांच नदियों को प्रदूषण की चपेट में होना बताया था. जिसके बाद ही राज्य सरकार ने यहां ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम की स्थापना करने का निर्णय लिया है. पांच नदियों में 10 स्टेशन स्थापित होंगे. जो सेंसर के माध्यम से काम करेंगे और नदियों के जल में कितना प्रदूषण है इसका पता लगाएंगे. इस पर 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे. कोरबा में दो स्टेशन स्थापित करने की शुरुआत की जा चुकी है. आधा काम पूरा भी किया जा चुका है. राज्य सरकार ने नदियों को साफ करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने का निर्णय लिया है. उद्योगों से निकलने वाली गंदगी और केमिकल युक्त पानी को साफ करने के बाद ही नदी में छोड़ा जाए. इस पर ठोस कार्य योजना बनाए जाने की बात कही है. जो उद्योग ऐसा नहीं करेंगे उन पर कार्रवाई भी करने का निर्णय लिया गया है. खास तौर पर कोरबा में लगातार उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पानी को हसदेव नदी में बहा दिया जाता है. छोटी नदियों और नालों के माध्यम से होते हुए राख और प्रदूषण युक्त पानी हसदेव नदी में समाहित हो जाता है.
औद्योगिक नगरी होने के कारण हसदेव ज्यादा प्रदूषित : कोरबा जिला प्रदेश की उर्जाधानी है. यहां कोयला खदानों के साथ ही कोल वाशरी और दर्जन भर पावर प्लांट संचालित हैं. एल्युमिनियम प्लांट प्लांट से उत्सर्जित हानिकारक पदार्थों और बिजली उत्पादन के दौरान उत्सर्जित राख से हसदेव नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ा है. यही कारण है कि बांगो बांध में भी जलस्तर घटा है. नदी में सिल्ट की मात्रा भी पिछले एक दशक में काफी बढ़ गई है. नदियों के विषय में जो रिपोर्ट जारी की गई है. उसमें कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है. जो कि लोगों में कमजोरी, अल्सर, अपच, पेट में मरोड़ की समस्या का कारण बन सकता है. इसके अलावा नदियों का ऑक्सीजन लेवल भी काफी घाटा है. तय मानक के अनुसार पानी में प्रति लीटर 7 मिलीग्राम या उससे अधिक ऑक्सीजन होना चाहिए, लेकिन ऑक्सीजन लेवल इससे कम पाया गया है. पानी के पीएच मान के भी अनियंत्रित स्तर तक बढ़ने की पुष्टि रिपोर्ट ने की है. यह सभी कारण नदियों के सेहत के लिए बेहद चिंताजनक हैं. जो बैक्टीरिया नदी के पानी में व्याप्त है. वह पानी के जरिये लोगों तक पहुंचे तो कई बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं.
इसलिए हसदेव का महत्व ज्यादा : नदी को जीवनदायिनी क्यों कहा जाता है? इसे समझना है तो हसदेव के महत्व को भी समझना होगा.
- हसदेव नदी का उद्गम स्थल कोरिया जिले में है. जहां से लेकर 125 किलोमीटर बाद नदी कोरबा में प्रवेश करती है.
- हसदेव नदी पर बांगो बांध का निर्माण 1992 में पूरा हुआ था. 28 साल में इसके जलभराव की क्षमता 10% घट गई है. कुछ साल पहले किए गए सर्वे में केंद्रीय जल आयोग ने यह साफ कर दिया था कि औद्योगिक प्रदूषण के कारण नदी के जल भराव की क्षमता काफी घटी है. यह प्रदेश का सबसे ऊंचा बांध है. जिससे 1 लाख 39 हजार हेक्टेयर खरीफ फसल और 17 हजार हेक्टेयर रबी फसल की सिंचाई होती है.
- हसदेव नदी पर कुल मिलाकर 11 एनीकट निर्मित हैं. बांगो बांध से 40 किलोमीटर नीचे दर्री बराज भी स्थापित है. 12वीं एनीकट का निर्माण भी बीते वर्ष कोरबा में पूरा किया गया है. हसदेव नदी पर ही केंदई में मनोरम केंदई जलप्रपात बनता है. प्रदूषण के कारण इस जलप्रपात का मनोरम रामस्वरूप भी अब फीका पड़ गया है.
- हसदेव नदी से वेदांता समूह की बालको एलुमिनियम उत्पादन के लिए पानी प्रदाय किया जाता है. इसके अलावा महारत्न कंपनी एनटीपीसी, नवरत्न कंपनी एसईसीएल और बिजली उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी को कुल मिलाकर 539 एमसीएम पानी प्रदान किया जाता है.
- नगर पालिक निगम कोरबा के कोहड़िया स्थित 22 एमएलडी क्षमता वाले जल उपचार केंद्र में भी हसदेव से पानी सप्लाई किया जाता है. जिससे पूरे शहर की प्यास बुझती है. यहीं से शहर को पीने का पानी नगर निगम सप्लाई करता है.