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ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट: फेल हो रहा भूपेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट, गौठानों में छाई वीरानी - कोनकोना ग्राम पंचायत

राज्य सरकार की गौठान और गोधन न्याय योजना जमीनी स्तर पर फेल होती नजर आ रही है. कोरबा के कोनकोना के गौठान में न तो मवेशी दिख रहे हैं और न ही गोबर की खरीदी हो रही है.

Ground Report on Gothan
खाली पड़ा गौठान
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Published : Nov 11, 2020, 9:02 PM IST

Updated : Nov 12, 2020, 12:55 PM IST

कोरबा: राज्य सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरुवा बाड़ी के साथ ही गोधन न्याय योजना की शुरुआत तो बड़े जोर-शोर से की थी. लेकिन उसको लागू करने में इसका ध्यान रखना शायद सरकार भूल गई है. कागजों पर तो ये योजनाएं बहुत अच्छी हैं. इससे मवेशियों के साथ-साथ लोगों को भी फायदा हो रहा है. लेकिन धरातल पर दम तोड़ रही इन योजनाओं की हकीकत कुछ और ही है.

खाली पड़े गौठान

आंकड़ों की बाजीगरी को दरकिनार किया जाए तो असल में सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल इस योजना की पोल खुल रही है. कोरबा के वनांचल क्षेत्र में बसे पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के कोनकोना ग्राम पंचायत का गौठान मवेशियों के लिए किसी काम का नहीं रह गया है और न ही इन गौठानों से ग्रामीणों को कोई फायदा हो रहा है. यहां गोबर की खरीदी भी नहीं हो रही है. इतना ही नहीं यहां के ग्रामीण अपने मवेशियों को इन गौठानों में भेजना भी पसंद नहीं कर रहे हैं.

अब तक शुरू नहीं हुआ गौठान

प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो कोनकोना में गौठान का संचालन बड़े अच्छे और व्यवस्थित तरीके से हो रहा है. यहां नियमित रुप से गोबर की खरीदी हो रही है. गौठान में कुछ काम अब भी चल रहे हैं. जो लगभग पूरे हो चुके हैं.

गौठान में नहीं है कोई इंतजाम

ETV भारत ने जब किसानों से इस बारे में बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि गौठान में ताला लटका रहता है. इसे चालू ही नहीं किया गया है. इसलिए हम अपने मवेशियों को यहां नहीं भेजते. किसानों का कहना है कि गौठान में चारे-पानी का भी कोई इंतजाम नहीं है. न ही यहां गोबर की खरीदी हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि वह गौठान में गोबर बेचने की बजाय अपने खेतों में ही डंप कर देते हैं. कोनकोना के गौठान से उन्हें किसी भी तरह का कोई भी फायदा नहीं मिल रहा है.

कोरिया: हल्दी की खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत, गौठान समितियों को होगा फायदा

जिम्मेदार बेसुध

ETV भारत ने जब कोनकोना के गौठान का जायजा लिया तो वहां मवेशी नदारद दिखे. गौठानों के संचालन के लिए स्थानीय तौर पर चरवाहे और गौठान समिति का भी गठन किया गया है. ग्राम पंचायत सचिव से लेकर जनपद पंचायतों के सीईओ को सुचारू रुप से गौठान के क्रियान्वयन की जवाबदेही सौंपी गई है. लेकिन धरातल पर इस योजना की प्रगति नहीं दिख रही है.

जिले भर में 354 गौठान

पंचायत विभाग के 288 और वन विभाग के 66 गौठानों को मिलाकर जिले में कुल 354 गौठान स्थापित किए गए हैं. इन सभी में सुचारू रूप से गोबर खरीदी का काम भी शुरू करने के निर्देश हैं. लेकिन वर्तमान में करीब ढाई सौ गौठानों में ही गोबर की खरीदी की जा रही है. बाकी बचे गौठानों में प्रशासन अब तक गोबर खरीदी की योजना को शुरू नहीं कर सका है. प्रशासन के आंकड़ों में सब कुछ ठीक है. लेकिन धरातल पर जाते ही बदहाली की तस्वीर सामने आती है.

कोरबा: राज्य सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरुवा बाड़ी के साथ ही गोधन न्याय योजना की शुरुआत तो बड़े जोर-शोर से की थी. लेकिन उसको लागू करने में इसका ध्यान रखना शायद सरकार भूल गई है. कागजों पर तो ये योजनाएं बहुत अच्छी हैं. इससे मवेशियों के साथ-साथ लोगों को भी फायदा हो रहा है. लेकिन धरातल पर दम तोड़ रही इन योजनाओं की हकीकत कुछ और ही है.

खाली पड़े गौठान

आंकड़ों की बाजीगरी को दरकिनार किया जाए तो असल में सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल इस योजना की पोल खुल रही है. कोरबा के वनांचल क्षेत्र में बसे पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के कोनकोना ग्राम पंचायत का गौठान मवेशियों के लिए किसी काम का नहीं रह गया है और न ही इन गौठानों से ग्रामीणों को कोई फायदा हो रहा है. यहां गोबर की खरीदी भी नहीं हो रही है. इतना ही नहीं यहां के ग्रामीण अपने मवेशियों को इन गौठानों में भेजना भी पसंद नहीं कर रहे हैं.

अब तक शुरू नहीं हुआ गौठान

प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो कोनकोना में गौठान का संचालन बड़े अच्छे और व्यवस्थित तरीके से हो रहा है. यहां नियमित रुप से गोबर की खरीदी हो रही है. गौठान में कुछ काम अब भी चल रहे हैं. जो लगभग पूरे हो चुके हैं.

गौठान में नहीं है कोई इंतजाम

ETV भारत ने जब किसानों से इस बारे में बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि गौठान में ताला लटका रहता है. इसे चालू ही नहीं किया गया है. इसलिए हम अपने मवेशियों को यहां नहीं भेजते. किसानों का कहना है कि गौठान में चारे-पानी का भी कोई इंतजाम नहीं है. न ही यहां गोबर की खरीदी हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि वह गौठान में गोबर बेचने की बजाय अपने खेतों में ही डंप कर देते हैं. कोनकोना के गौठान से उन्हें किसी भी तरह का कोई भी फायदा नहीं मिल रहा है.

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जिम्मेदार बेसुध

ETV भारत ने जब कोनकोना के गौठान का जायजा लिया तो वहां मवेशी नदारद दिखे. गौठानों के संचालन के लिए स्थानीय तौर पर चरवाहे और गौठान समिति का भी गठन किया गया है. ग्राम पंचायत सचिव से लेकर जनपद पंचायतों के सीईओ को सुचारू रुप से गौठान के क्रियान्वयन की जवाबदेही सौंपी गई है. लेकिन धरातल पर इस योजना की प्रगति नहीं दिख रही है.

जिले भर में 354 गौठान

पंचायत विभाग के 288 और वन विभाग के 66 गौठानों को मिलाकर जिले में कुल 354 गौठान स्थापित किए गए हैं. इन सभी में सुचारू रूप से गोबर खरीदी का काम भी शुरू करने के निर्देश हैं. लेकिन वर्तमान में करीब ढाई सौ गौठानों में ही गोबर की खरीदी की जा रही है. बाकी बचे गौठानों में प्रशासन अब तक गोबर खरीदी की योजना को शुरू नहीं कर सका है. प्रशासन के आंकड़ों में सब कुछ ठीक है. लेकिन धरातल पर जाते ही बदहाली की तस्वीर सामने आती है.

Last Updated : Nov 12, 2020, 12:55 PM IST
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