कोरबा: शहर में सरकारी होर्डिंग नीति का पालन नहीं हो रहा है. राजनीतिक से लेकर व्यवसायिक अवैध होर्डिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. लोग अपनी सुविधानुसार बांस बल्ली लगाकर फ्लैक्स तान रहे हैं. निगम का अमला इन पर कार्रवाई करने से भी गुरेज कर रहा है. राजनीतिक रसूख और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की मनमानी पर निगम कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. शहर में लोग धड़ल्ले से अवैध होर्डिंग लगा रहे हैं. नगर निगम को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है.
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जोन वार निविदा मंगाने का है नियम
बिना अनुमति लिए किसी भी तरह का प्रचार करना, होर्डिंग और फ्लैक्स अवैध विज्ञापन की श्रेणी में आते हैं. शहर में फ्लैक्स लगाने के लिए नगर निगम आयुक्त टेंडर जारी करता है. आयुक्त जोन को भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है. कुछ क्षेत्रों को विज्ञापन मुक्त क्षेत्रों के तहत चिन्हित किया जाता है. यहां किसी भी तरह के विज्ञापन की अनुमति नहीं दी जाती है. बावजूद लोग बिजली के खंभों में बांस बल्ली लगाकर फ्लैक्स लगाकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.
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होर्डिंग के प्रकार निश्चित कर टेंडर आमंत्रित
आयुक्त हर जोन के लिए होर्डिंग की अधिकतम संख्या और होर्डिंग के प्रकार निश्चित कर टेंडर निकाला जाता है. टेंडर में जोनवार हार्डिंग की अधिकतम संख्या की जानकारी दी जाती है. सर्वश्रेष्ठ निविदा भरने वाले को ही निगम से ठेका मिलता है. टेंडर के अनुसार किसी भी तरह के विज्ञापनों का प्रदर्शन किया जाता है.
अवैध विज्ञापन के लिए कार्रवाई का प्रावधान
निगम क्षेत्र में बिना अनुमति या अवैध रूप से विज्ञापन को बढ़ावा देना छत्तीसगढ़ शासन की होर्डिंग नीति का खुले तौर पर उल्लंघन है. अधिनियम की धारा 248 के तहत इसे दंडनीय भी माना गया है. निगम अमले को अवैध बांस बल्ली, फ्लैक्स, पोस्टर को जब्त करने का भी अधिकार है. निगम कार्रवाई करने में असफल है.
कोरोना काल में नहीं मंगाई गई निविदा
निगम क्षेत्र में जोनवार विज्ञापन करने के लिए होर्डिंग्स की निविदा मंगाई जाती है. इसके लिए होर्डिंग को नीलाम किया जाता है. मजे की बात यह है कि पिछले वर्ष कोरोना काल के ठीक पहले निगम क्षेत्र के होर्डिंग की निविदा समाप्त हो चुकी है. इसके बाद नई निविदाएं मंगाई ही नहीं गई है. शहर में अवैध होर्डिंग की बाढ़ सी आ गई है.
10 लाख रुपए की कमाई सालाना
नियमानुसार और विधिवत नीलामी के बाद होर्डिंग से नगर पालिक निगम को सालाना लाखों रुपए की आमदनी होती है. अफसरों की मानें तो कम से कम 10 लाख रुपये की सालाना आय है. निगम को सिर्फ होर्डिंग के जरिए लाखों की कमाई होती है. अब निविदा नहीं होने से निगम को नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही अवैध होर्डिंग को बढ़ावा मिल रहा है.