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कोरबा: 20 से अधिक लोगों से 2 करोड़ रूपये की ठगी, 2 आरोपी यूपी से गिरफ्तार

देशभर में 20 से अधिक लोगों को ऑनलाइन लोन दिलाने का का लालच देकर ठगी करने के आरोप में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने लोगों से 2 करोड़ रुपये से भी अधिक की ठगी की है. दोनों आरोपियों को कोरबा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

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20 से अधिक लोगों से 2 करोड़ रूपये की ठगी
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Published : Aug 27, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 10:46 PM IST

कोरबा: ऑनलाइन लोन दिलाने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का कोरबा पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने ठगी करने के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी देशभर में 20 से अधिक लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना चुके हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में उमेश शर्मा और कपिल कुमार शामिल है.

कोरबा पुलिस ने दो लोगों को किया गिरफ्तार

कोरबा पुलिस को इस मामले में रामपुर पुलिस चौकी के माध्यम से शिकायत मिली थी. जहां आरपी नगर निवासी रविदास महंत ने रामपुर शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि जनवरी 2020 में बजाज फाइनेंस कंपनी से ऑनलाइन लोन लेने के लिए आवेदन किया था. इस बीच गौरव सावंत और प्रेम चंद कोठारी नाम के व्यक्तियों ने स्वयं को बजाज फाइनेंस कंपनी का अधिकारी बताकर अलग-अलग मोबाइल नंबरों से लोन देने के लिए फोन किया. साथ ही कई तरह की प्रक्रियाओं का पालन करने को कहा.

Korba police arrested two people on charges of cheating
कोरबा पुलिस ने ठगी के आरोप में दो लोगों को किया गिरफ्तार
  • इसके अलावा पूर्व टर्म लाइफ इंश्योरेंस कराना अनिवार्य बताया था, जिसकी प्रथम किस्त 19 हजार 765 स्टर्लिंग इंश्योरेंस कंपनी के बैंक अकाउंट में जमा कराने को कहा गया.
  • इसके बाद लोन के एग्रीमेंट के लिए 70 हजार जमा कराने को कहा गया.
  • इसके बाद लॉकडाउन होने के कारण लोन प्रक्रिया बंद होने की बात कहते हुए फिर से 18 हजार रुपए जमा कराने को कहा.
  • अपनी बातों में उलझा कर 1 करोड़ 15 लाख रुपए का लोन स्वीकृत कराने का झांसा दिया.
  • अलग-अलग किस्तों में प्रार्थी ने 26 से 30 लाख रुपए ठग लिए गए.

प्रार्थी की रिपोर्ट पर रामपुर पुलिस चौकी ने अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की. प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा और सीएसपी राहुल शर्मा के मार्गदर्शन में जांच शुरू की गई. इसके लिए स्पेशल टीम का भी गठन किया गया. टीम ने ठगी के लिए उपयोग में लाए गए मोबाइल नंबर और बैंक खातों की जानकारी एकत्र की, जिसके बाद आरोपी उमेश शर्मा और कपिल को गिरफ्तार करने में सफलता मिली.

20 मामलों में 2 करोड़ से भी ज्यादा की ठगी

पुलिस ने इन्हें उत्तर प्रदेश में जाकर गिरफ्तार किया. आरोपियों से पुलिस को यह भी पता चला कि उन्होंने इसी तरह देश के अलग-अलग राज्यों में 20 मामलों में 2 करोड़ से भी ज्यादा की ठगी की है. आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने 27 अगस्त को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है.

दोनों ही ऑनलाइन बीमा कंपनी के पूर्व कर्मचारी
गिरफ्तार किए गए आरोपी ऑनलाइन बीमा कंपनी के पूर्व कर्मचारी हैं, जोकि ग्राहकों को फोन कर बीमा पॉलिसी बेचने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. ऑनलाइन बीमा कंपनी पॉलिसी बेचने के तौर तरीके के अनुसार ही वह लोगों से ठगी करते थे. नौकरी में रहते हुए उनके अनुभव को उन्होंने ठगी के काम में इस्तेमाल कर कई लोगों को अपने जाल में फंसाया. उनसे मोटी रकम की ठगी कर ली.

हर बार नए सिम का इस्तेमाल
आरोपी हर ठगी के लिए अलग सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे. एक ठगी में प्रयुक्त हुए सिम का वह कोई डाटा मौजूद नहीं रखते थे. उसे ठगी के बाद तोड़ कर फेंक देते थे. रकम जमा होते ही वह एक खाता भी बंद कर देते थे. बैंक खातों में जमा राशि को आरोपियों ने अन्य खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर, ऑनलाइन खरीदी या नगदी आहरण कर लिया जाता था, ताकि धोखाधड़ी का पता चलने पर जांच एजेंसी रकम को फ्रीज न कर सके.

कोरबा: ऑनलाइन लोन दिलाने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का कोरबा पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने ठगी करने के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी देशभर में 20 से अधिक लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना चुके हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में उमेश शर्मा और कपिल कुमार शामिल है.

कोरबा पुलिस ने दो लोगों को किया गिरफ्तार

कोरबा पुलिस को इस मामले में रामपुर पुलिस चौकी के माध्यम से शिकायत मिली थी. जहां आरपी नगर निवासी रविदास महंत ने रामपुर शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि जनवरी 2020 में बजाज फाइनेंस कंपनी से ऑनलाइन लोन लेने के लिए आवेदन किया था. इस बीच गौरव सावंत और प्रेम चंद कोठारी नाम के व्यक्तियों ने स्वयं को बजाज फाइनेंस कंपनी का अधिकारी बताकर अलग-अलग मोबाइल नंबरों से लोन देने के लिए फोन किया. साथ ही कई तरह की प्रक्रियाओं का पालन करने को कहा.

Korba police arrested two people on charges of cheating
कोरबा पुलिस ने ठगी के आरोप में दो लोगों को किया गिरफ्तार
  • इसके अलावा पूर्व टर्म लाइफ इंश्योरेंस कराना अनिवार्य बताया था, जिसकी प्रथम किस्त 19 हजार 765 स्टर्लिंग इंश्योरेंस कंपनी के बैंक अकाउंट में जमा कराने को कहा गया.
  • इसके बाद लोन के एग्रीमेंट के लिए 70 हजार जमा कराने को कहा गया.
  • इसके बाद लॉकडाउन होने के कारण लोन प्रक्रिया बंद होने की बात कहते हुए फिर से 18 हजार रुपए जमा कराने को कहा.
  • अपनी बातों में उलझा कर 1 करोड़ 15 लाख रुपए का लोन स्वीकृत कराने का झांसा दिया.
  • अलग-अलग किस्तों में प्रार्थी ने 26 से 30 लाख रुपए ठग लिए गए.

प्रार्थी की रिपोर्ट पर रामपुर पुलिस चौकी ने अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की. प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा और सीएसपी राहुल शर्मा के मार्गदर्शन में जांच शुरू की गई. इसके लिए स्पेशल टीम का भी गठन किया गया. टीम ने ठगी के लिए उपयोग में लाए गए मोबाइल नंबर और बैंक खातों की जानकारी एकत्र की, जिसके बाद आरोपी उमेश शर्मा और कपिल को गिरफ्तार करने में सफलता मिली.

20 मामलों में 2 करोड़ से भी ज्यादा की ठगी

पुलिस ने इन्हें उत्तर प्रदेश में जाकर गिरफ्तार किया. आरोपियों से पुलिस को यह भी पता चला कि उन्होंने इसी तरह देश के अलग-अलग राज्यों में 20 मामलों में 2 करोड़ से भी ज्यादा की ठगी की है. आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने 27 अगस्त को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है.

दोनों ही ऑनलाइन बीमा कंपनी के पूर्व कर्मचारी
गिरफ्तार किए गए आरोपी ऑनलाइन बीमा कंपनी के पूर्व कर्मचारी हैं, जोकि ग्राहकों को फोन कर बीमा पॉलिसी बेचने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. ऑनलाइन बीमा कंपनी पॉलिसी बेचने के तौर तरीके के अनुसार ही वह लोगों से ठगी करते थे. नौकरी में रहते हुए उनके अनुभव को उन्होंने ठगी के काम में इस्तेमाल कर कई लोगों को अपने जाल में फंसाया. उनसे मोटी रकम की ठगी कर ली.

हर बार नए सिम का इस्तेमाल
आरोपी हर ठगी के लिए अलग सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे. एक ठगी में प्रयुक्त हुए सिम का वह कोई डाटा मौजूद नहीं रखते थे. उसे ठगी के बाद तोड़ कर फेंक देते थे. रकम जमा होते ही वह एक खाता भी बंद कर देते थे. बैंक खातों में जमा राशि को आरोपियों ने अन्य खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर, ऑनलाइन खरीदी या नगदी आहरण कर लिया जाता था, ताकि धोखाधड़ी का पता चलने पर जांच एजेंसी रकम को फ्रीज न कर सके.

Last Updated : Aug 27, 2020, 10:46 PM IST
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