कोरबा : कोरबा में घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली विभाग का 200 करोड़ रुपये का बिल बकाया है, जो पूरे छत्तीसगढ़ में बकाया बिजली बिल का 40 फीसदी है. हालांकि विभाग ने अब बकायेदारों से बकाये की वसूली के लिए कनेक्शन काटने का कवायद शुरू कर दी है. विभाग की राह का सबसे बड़ा रोड़ा सरकारी विभाग ही है. एक तरफ तो विभाग 5,000 रुपये से अधिक के बिजली बिल के बकायेदारों का कनेक्शन काटने के लिए एक्शन में है, जबकि अकेले कोरबा नगर निगम पर ही 5 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है. अब देखना यह है कि इन परिस्थितियों में बिजली विभाग 200 करोड़ रुपये का बकाया कैसे वसूल कर पाता है...
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24 करोड़ बकाया रखन वाले 4030 कनेक्शन विभाग ने किये कट
बकाया बिजली बिल वसूली के लिए बिजली विभाग ने कनेक्शन काटने की कवायद शुरू कर दी है. जिले में छत्तीसगढ़ का 40 फीसदी बिजली बिल बकाया है, जो करीब 200 करोड़ रुपए है. जबकि 5 हजार रुपये से ज्यादा के बकायेदारों के कनेक्शन काटने की शुरुआत हो गई है. इसकी जानकारी बिजली विभाग ने दी है. हाल ही में बिजली विभाग ने 4 हजार 30 कनेक्शन काटे हैं. इन कनेक्शनधारियों पर कुल बकाया 24 करोड़ रुपये के करीब था.
छोटे बकायेदारों से वसूली में परेशानी नहीं, बड़े में फंसता है पेच
इसी दौरान 1 हजार 306 बड़े बकायेदारों से 4 करोड़ रुपए के बिल की वसूली भी विभाग ने की है. वहीं विद्युत वितरण विभाग के अधीक्षण अभियंता अश्वनी गोपवार ने बताया कि छोटे उपभोक्ताओं से राशि वसूलने में ज्यादा परेशानी नहीं होती, लेकिन बड़े बकायेदार खासकर नगर निगम, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों से बिल की वसूली में काफी परेशानी हो रही है. सभी को नोटिस भी जारी किया गया है. जो भी बकाये का भुगतान नहीं करेंगे उनके खिलाफ विभाग सख्त कार्रवाई करेगा.
पंचायतों में 16 करोड़ का बिल बकाया
बिजली विभाग के मुताबिक कोरबा की 412 ग्राम पंचायतों में 16 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है, जो सबसे ज्यादा है. यही हाल सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग का भी है. सरकारी विभागों में बकाया बिजली बिल की वसूली को लेकर विभाग काफी परेशान है.
ये हैं विभाग के बड़े बकायेदार
- नगर पालिक निगम- 5.63 करोड़
- नगर पालिका परिषद- 1. 73
- ग्राम पंचायतें- 16 करोड़
स्ट्रीट लाइट्स और वाटर फिल्टर प्लांट में सबसे ज्यादा खपती है बिजली
बिजली बिल बकायादारों में कोरबा का नगरपालिक निगम फिलहाल विद्युत विभाग का सबसे बड़ा बकायादार है. यहां 5 करोड़ 63 लाख रुपये का बिजली बिल बकाया है. नगर पालिक निगम सर्वाधिक बिजली का उपयोग स्ट्रीट लाइट के लिए करता है. शहर के सभी स्ट्रीट लाइट का बिल नगर निगम की ओर से ही विद्युत विभाग को चुकता किया जाता है. इसके अलावा कोहड़िया और अन्य स्थानों पर लगे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में भी बड़े पैमाने पर बिजली का उपयोग होता है. यहां हसदेव बराज व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जल को स्वच्छ कर घर-घर प्रदाय किया जाता है. नगर निगम के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में विद्युत वितरण विभाग ने 33 केवी लाइन प्रदाय की है. ट्रांसफार्मर का रेंटल शुल्क ही प्रतिमाह 25 हजार के करीब होता है.
पूर्व में भी नगर पालिक निगम और विद्युत वितरण विभाग में टकराव की स्थिति निर्मित हुई थी. कुछ साल पहले दर्री जोन की बिजली विद्युत विभाग ने कट कर दी थी. काफी विवाद के बाद इसे फिर से दोबारा जोड़ा गया था. वहीं वर्ष 2015 में भी बिजली बिल बकाया होने के कारण कनेक्शन काटने की नौबत उत्पन्न हो गई थी. दूसरी तरफ निगम के अधिकारियों और विद्युत विभाग के अफसरों में सामंजस्य का भी अभाव है. दोनों ही विभाग के अधिकारियों से बात करने पर यह भी पता चला कि कई स्थानों पर मीटर ही नहीं लगाये गए हैं. इससे बिल की गणना नहीं हो पाती और विभाग एवरेज बिल भेजता है, जिससे बिजली बिल अचानक बढ़ा हुआ दर्ज किया जाता है. इसी का नतीजा है कि अब एक साथ 25 लाख रुपए का बिल थमाया गया है.
सरकारी विभागों में बड़े पैमाने पर बकाया
सिर्फ नगर निगम ही नहीं कोरबा के सरकारी विभागों में बड़े पैमाने पर बिजली बिल बकाया है. जिले में कुल मिलाकर 300 के करीब स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं. यहां से सामान्य तौर पर 5 महीने में एक बार ही बिल जमा किया जाता है. इससे विद्युत विभाग का बकाया बढ़ जाता है. यही हाल शिक्षा विभाग का भी है. जिले में ढाई हजार से अधिक सरकारी स्कूल संचालित हैं. स्कूलों के बिजली बिल तभी जमा किये जाते हैं जब राज्य कार्यालय से आवंटन प्राप्त होता है. इधर, सिंचाई विभाग की बात करें तो यहां भी करीब 4 करोड़ रुपए का बकाया है.
बकाया वसूली भी जरूरी
दरअसल विद्युत विभाग के अधिकारियों पर भी बकाया वसूली का बेहद दबाव है. सरकार स्तर से बकाया वसूली को लेकर कड़े निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सरकारी विभागों के मामले में पेच फंसा हुआ है. अफसर आम लोगों के कनेक्शन तो काट देते हैं, लेकिन लाखों-करोड़ों रुपए के बकाया वाले सरकारी विभागों के कनेक्शन काटें या नहीं, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है. जिनका कनेक्शन काटना है, वह भी सरकारी और कार्रवाई करने वाली संस्था भी सरकारी ही है. इसलिए भी कई बार कार्रवाई नहीं हो पाती. इस कारण भी बिजली बिल की बकाया राशि बढ़ती चली जाती है.