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कोरबाः वन मंडल के जंगलों में लगी आग पर वन विभाग ने पाया काबू

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Published : Mar 16, 2021, 9:35 PM IST

वन मंडल कोरबा के जंगलों में भीषण आग लगी हुई थी. कोरबा वन मंडल और बालको रेंज के अजगरबहार और आस-पास के जंगलों में लगी आग पर वन विभाग ने काबू पा लिया है.

Fire in Korba Forest Division, कोरबा वन मंडल में आग
कोरबा वन मंडल में आग

कोरबाः बीते एक सप्ताह से वन मंडल बालको रेंज के अजगरबहार क्षेत्र के जंगलों में भीषण आग धधक रही थी. प्राकृतिक संपदा को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की संभावना बनी हुई थी. वहीं वन विभाग ने दावा किया है कि आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है. वन कर्मियों ने दिन रात मेहनत करके आग बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

प्रियंका पांडे, डीएफओ
वन विभाग का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए टीम ने लगातार मशक्कत की. आग जब पहाड़ों के बीच में पहुंच जाती है तो तब उस पर काबू पाना काफी मुश्किल होता है. बावजूद इसके वन विभाग की ओर से आग पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास किया गया. जिसके बाद आग को नियंत्रण में रखा जाना संभव हो सका.
FMIS से मिलती है जानकारी

छत्तीसगढ़ में वन संपदा को सुरक्षित रखने के लिए फॉरेस्ट मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (FMIS) की ओर से रिमोट सेंसिंग के जरिए वनमंडलों को सूचना दी जाती है. सैटेलाइट के जरिए आग लगने की जानकारी वन अधिकारियों को पहले ही दे दी जाती है. जिसके बाद अग्रिम तैयारी करनी होती है. मौजूदा मामले में भी (FMIS) ने कोरबा वनमंडल को आग लगने की सूचना दी थी. लेकिन सुदूर क्षेत्र और घनघोर वनों के कारण आग पर काबू पाना वन अमले के लिए बड़ी चुनौती रहती है.

प्रत्येक बीट में एक फायर मैन की तैनाती

कोरबा जिले में 40 प्रतिशत क्षेत्र वनों से ढका हुआ है. जिले का काफी बड़ा भाग घने जंगलों से घिरा हुआ है. ऐसे में प्रत्येक बीट में वन अमले के पास एक फायर मैन की तैनाती होती है. इनके अलावा (FMIS) से मिली इनपुट पर वन अफसर काम करते हैं. लेकिन इस तरह की आग लगने से अग्नि प्रहरी भी खुद को असहाय महसूस करता है. वन अमले के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते. जिससे तत्काल आग पर काबू पाया जा सके. जिसके कारण आग कई बार भयावह रूप ले लेती है.

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विभाग के पास नुकसान का नहीं आकलन

वन विभाग के पास FMIS तकनीक मौजूद है. आग लगने की जानकारी भी उन्हें मिल जाती है. लेकिन इसके बाद भी नुकसान का आकलन करने में टालमटोल किया जाता है. आग लगने से वन विभाग की ओर से किए गए पौधरोपण से लेकर औषधीय पौधे और महंगी साल, सागौन और बीजा जैसी लकड़ियों को नुकसान पहुंचता है. लेकिन आग लगने के बाद कितना नुकसान हुआ? इसका आकलन करने में वन अफसर अक्सर टालमटोल करते हैं. बालको रेंज के अजगरबहार क्षेत्र में लगी आग से नुकसान का आंकलन फिलहाल तैयार नहीं किया गया है. प्राथमिक स्तर पर भी नुकसान का कोई आंकड़ा विभाग के पास फिलहाल नहीं है.

आग बुझाने में लोग भी करे मदद

वन मंडल कोरबा डीएफओ प्रियंका पांडे ने लोगों से भी अपील की है. उन्होंने कहा आग पर काबू पाना अकेले वन विभाग के बूते संभव नहीं है. जब भी जंगल में इस तरह की आग दिखे तो अपने स्तर पर इसे तत्काल बुझाने का प्रयास करें. आग भयावह हो जाए तो बिना रुके तत्काल इसकी जानकारी वन मंडल के अधिकारियों को दें. ताकि जल्द से जल्द आग पर काबू पाया जा सके.

कोरबाः बीते एक सप्ताह से वन मंडल बालको रेंज के अजगरबहार क्षेत्र के जंगलों में भीषण आग धधक रही थी. प्राकृतिक संपदा को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की संभावना बनी हुई थी. वहीं वन विभाग ने दावा किया है कि आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है. वन कर्मियों ने दिन रात मेहनत करके आग बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

प्रियंका पांडे, डीएफओ
वन विभाग का कहना है कि आग पर काबू पाने के लिए टीम ने लगातार मशक्कत की. आग जब पहाड़ों के बीच में पहुंच जाती है तो तब उस पर काबू पाना काफी मुश्किल होता है. बावजूद इसके वन विभाग की ओर से आग पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास किया गया. जिसके बाद आग को नियंत्रण में रखा जाना संभव हो सका.FMIS से मिलती है जानकारी

छत्तीसगढ़ में वन संपदा को सुरक्षित रखने के लिए फॉरेस्ट मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (FMIS) की ओर से रिमोट सेंसिंग के जरिए वनमंडलों को सूचना दी जाती है. सैटेलाइट के जरिए आग लगने की जानकारी वन अधिकारियों को पहले ही दे दी जाती है. जिसके बाद अग्रिम तैयारी करनी होती है. मौजूदा मामले में भी (FMIS) ने कोरबा वनमंडल को आग लगने की सूचना दी थी. लेकिन सुदूर क्षेत्र और घनघोर वनों के कारण आग पर काबू पाना वन अमले के लिए बड़ी चुनौती रहती है.

प्रत्येक बीट में एक फायर मैन की तैनाती

कोरबा जिले में 40 प्रतिशत क्षेत्र वनों से ढका हुआ है. जिले का काफी बड़ा भाग घने जंगलों से घिरा हुआ है. ऐसे में प्रत्येक बीट में वन अमले के पास एक फायर मैन की तैनाती होती है. इनके अलावा (FMIS) से मिली इनपुट पर वन अफसर काम करते हैं. लेकिन इस तरह की आग लगने से अग्नि प्रहरी भी खुद को असहाय महसूस करता है. वन अमले के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते. जिससे तत्काल आग पर काबू पाया जा सके. जिसके कारण आग कई बार भयावह रूप ले लेती है.

वन मंडल कोरबा के जंगलों में भीषण आग, ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ETV भारत


विभाग के पास नुकसान का नहीं आकलन

वन विभाग के पास FMIS तकनीक मौजूद है. आग लगने की जानकारी भी उन्हें मिल जाती है. लेकिन इसके बाद भी नुकसान का आकलन करने में टालमटोल किया जाता है. आग लगने से वन विभाग की ओर से किए गए पौधरोपण से लेकर औषधीय पौधे और महंगी साल, सागौन और बीजा जैसी लकड़ियों को नुकसान पहुंचता है. लेकिन आग लगने के बाद कितना नुकसान हुआ? इसका आकलन करने में वन अफसर अक्सर टालमटोल करते हैं. बालको रेंज के अजगरबहार क्षेत्र में लगी आग से नुकसान का आंकलन फिलहाल तैयार नहीं किया गया है. प्राथमिक स्तर पर भी नुकसान का कोई आंकड़ा विभाग के पास फिलहाल नहीं है.

आग बुझाने में लोग भी करे मदद

वन मंडल कोरबा डीएफओ प्रियंका पांडे ने लोगों से भी अपील की है. उन्होंने कहा आग पर काबू पाना अकेले वन विभाग के बूते संभव नहीं है. जब भी जंगल में इस तरह की आग दिखे तो अपने स्तर पर इसे तत्काल बुझाने का प्रयास करें. आग भयावह हो जाए तो बिना रुके तत्काल इसकी जानकारी वन मंडल के अधिकारियों को दें. ताकि जल्द से जल्द आग पर काबू पाया जा सके.

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