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खरीदी में आनाकानी : धान में नमी और कंकड़ बताकर वापस लौटाने से किसान मायूस

किसानों के मुद्दे को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस की भूपेश सरकार से अब किसान परेशान हैं. धान खरीदी के मापदंडों को इतना कड़ा कर दिया गया है कि किसान धान बेचने से ही कतराने आने लगे हैं.

Farmers returning in desperation from paddy procurement centers in Korba
धान वापसी से मायूस किसान
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Published : Jan 2, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 7:46 PM IST

कोरबा: एक किसान पूरे 4 से 5 महीने तक अपने खून पसीने से फसलों को सींचता है. इसके बाद फसल की कटाई और समिति तक लाने के लिए ट्रैक्टर और मजदूरों का खर्च भी वहन करता है. इसके बाद जब मंडी से उन्हें धान वापस ले जाने को कहा जा रहा है, तब किसान न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान हो रहा है.

धान वापसी से मायूस किसान

किसानों का कहना है कि पहले बिना टालमटोल के उनसे धान की खरीदी की जाती थी, लेकिन इस बार गुणवत्तायुक्त और साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है. किसानों का कहना है कि धान में कंकड़, लाई या हल्की नमी होने पर धान को वापस ले जाने को कहा जा रहा है.

ETV भारत ने की किसानों से बातचीत

ETV भारत की टीम ने पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के वनांचल क्षेत्र स्थित धान खरीदी केंद्र बिंझरा का जायजा लिया. यहां कई ऐसे किसान मिले, जिनसे धान की खरीदी करने के बजाए उन्हें धान वापस ले जाने को कह दिया गया.

क्या कहते हैं किसान

  • समिति पहुंचे किसान संदीप कंवर का कहना है कि फड़ प्रभारी ने कहा कि धान में लाई लगी है इसलिए मैं अपना धान ट्रैक्टर में वापस लादकर घर ले जा रहा हूं. अब इसे साफ करके फिर बेचने आऊंगा, जिससे मुझे 3 से 5 हजार रुपयों का अतिरिक्त नुकसान होगा.
  • मल्दा गांव से मंडी पहुंचे मासूम कुरैशी का कहना है कि लाई लगने की समस्या के कारण मुझे धान साफ करके लाने को कहा गया है. 40 क्विंटल धान की सफाई करना संभव नहीं है. पहले ऐसा नहीं होता था. सरकार पहले लाई लगे हुए धान की भी खरीदी करती थी, लेकिन इस बार किसानों को परेशान किया जा रहा है.
  • मोहर सिंह भी अपना ध्यान बेचने मंडी पहुंचे थे, जिनका कहना है कि मेरे धान में कंकड़ होने के कारण इसे वापस कर दिया गया.
  • किसान सालिक राम इतने घबराए हुए हैं कि वह अपना धान लेकर पहले तो इसकी जांच कराने मंडी पहुंचे थे. सालिक का कहना है कि गांव के किसान कह रहे हैं कि अधिकतर किसानों के धान वापस हो जा रहे हैं इसलिए मैं ट्रैक्टर का भाड़ा बचाने के लिए पहले अपना धान लेकर इसकी जांच कराने आया हूं. यदि जांच में फड़ प्रभारी इसे पास करते हैं, तभी मैं अपना धान लेकर यहां आऊंगा.

भुगतान में भी देरी: बलदेव
सरकारी उपभोक्ता समिति बिंझरा के अध्यक्ष बलदेव सिंह पोर्ते का कहना है कि पहले ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं रही. मैंने भी पिछले महीने की 13 तारीख को धान भेजा था, लेकिन उसका भुगतान अब तक मुझे नहीं किया गया है. पहले भुगतान भी जल्दी होता था और धान खरीदी की प्रक्रिया भी इतनी जटिल नहीं थी.

सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश: फड़ प्रभारी
बिंझर फड़ प्रभारी और समिति प्रबंधक राजाराम भारद्वाज का कहना है कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं, उसी के तहत धान खरीदा जा रहा है. इस साल साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है. सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. यदि हम लाई, कंकड़युक्त धान रख भी लेते हैं, तो राइस मिलर्स इसे वापस कर देंगे. ऐसे में हमारी मुसीबत बढ़ जाएगी. इसलिए किसानों को धान साफ करके लाने की बात कहीं जा रही है.

टारगेट प्राप्त करना भी होगा मुश्किल: राजाराम
पिछले साल हमने बिंझरा में 2800 क्विंटल धान की खरीदी की थी. इस वर्ष 15 फरवरी तक खरीदी होनी है. अब तक आधे धान की भी खरीदी नहीं हो सकी है. टारगेट प्राप्त करना इस बार मुश्किल लग रहा है.

कोरबा: एक किसान पूरे 4 से 5 महीने तक अपने खून पसीने से फसलों को सींचता है. इसके बाद फसल की कटाई और समिति तक लाने के लिए ट्रैक्टर और मजदूरों का खर्च भी वहन करता है. इसके बाद जब मंडी से उन्हें धान वापस ले जाने को कहा जा रहा है, तब किसान न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान हो रहा है.

धान वापसी से मायूस किसान

किसानों का कहना है कि पहले बिना टालमटोल के उनसे धान की खरीदी की जाती थी, लेकिन इस बार गुणवत्तायुक्त और साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है. किसानों का कहना है कि धान में कंकड़, लाई या हल्की नमी होने पर धान को वापस ले जाने को कहा जा रहा है.

ETV भारत ने की किसानों से बातचीत

ETV भारत की टीम ने पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के वनांचल क्षेत्र स्थित धान खरीदी केंद्र बिंझरा का जायजा लिया. यहां कई ऐसे किसान मिले, जिनसे धान की खरीदी करने के बजाए उन्हें धान वापस ले जाने को कह दिया गया.

क्या कहते हैं किसान

  • समिति पहुंचे किसान संदीप कंवर का कहना है कि फड़ प्रभारी ने कहा कि धान में लाई लगी है इसलिए मैं अपना धान ट्रैक्टर में वापस लादकर घर ले जा रहा हूं. अब इसे साफ करके फिर बेचने आऊंगा, जिससे मुझे 3 से 5 हजार रुपयों का अतिरिक्त नुकसान होगा.
  • मल्दा गांव से मंडी पहुंचे मासूम कुरैशी का कहना है कि लाई लगने की समस्या के कारण मुझे धान साफ करके लाने को कहा गया है. 40 क्विंटल धान की सफाई करना संभव नहीं है. पहले ऐसा नहीं होता था. सरकार पहले लाई लगे हुए धान की भी खरीदी करती थी, लेकिन इस बार किसानों को परेशान किया जा रहा है.
  • मोहर सिंह भी अपना ध्यान बेचने मंडी पहुंचे थे, जिनका कहना है कि मेरे धान में कंकड़ होने के कारण इसे वापस कर दिया गया.
  • किसान सालिक राम इतने घबराए हुए हैं कि वह अपना धान लेकर पहले तो इसकी जांच कराने मंडी पहुंचे थे. सालिक का कहना है कि गांव के किसान कह रहे हैं कि अधिकतर किसानों के धान वापस हो जा रहे हैं इसलिए मैं ट्रैक्टर का भाड़ा बचाने के लिए पहले अपना धान लेकर इसकी जांच कराने आया हूं. यदि जांच में फड़ प्रभारी इसे पास करते हैं, तभी मैं अपना धान लेकर यहां आऊंगा.

भुगतान में भी देरी: बलदेव
सरकारी उपभोक्ता समिति बिंझरा के अध्यक्ष बलदेव सिंह पोर्ते का कहना है कि पहले ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं रही. मैंने भी पिछले महीने की 13 तारीख को धान भेजा था, लेकिन उसका भुगतान अब तक मुझे नहीं किया गया है. पहले भुगतान भी जल्दी होता था और धान खरीदी की प्रक्रिया भी इतनी जटिल नहीं थी.

सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश: फड़ प्रभारी
बिंझर फड़ प्रभारी और समिति प्रबंधक राजाराम भारद्वाज का कहना है कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं, उसी के तहत धान खरीदा जा रहा है. इस साल साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है. सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. यदि हम लाई, कंकड़युक्त धान रख भी लेते हैं, तो राइस मिलर्स इसे वापस कर देंगे. ऐसे में हमारी मुसीबत बढ़ जाएगी. इसलिए किसानों को धान साफ करके लाने की बात कहीं जा रही है.

टारगेट प्राप्त करना भी होगा मुश्किल: राजाराम
पिछले साल हमने बिंझरा में 2800 क्विंटल धान की खरीदी की थी. इस वर्ष 15 फरवरी तक खरीदी होनी है. अब तक आधे धान की भी खरीदी नहीं हो सकी है. टारगेट प्राप्त करना इस बार मुश्किल लग रहा है.

Intro:कोरबा। किसानों के कर्जमाफी के मुद्दे को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस की भूपेश सरकार से अब किसान परेशान हैं। धान खरीदी के मापदंडों को इतना कड़ा कर दिया गया है कि किसान धान बेचने से ही कतराने आने लगे हैं। किसानों का कहना है कि पहले बिना टालमटोल के उनसे धान की खरीदी की जाती रही है।
लेकिन इस वर्ष गुणवत्ता युक्त साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है। यदि धान में जरा सी भी कंकड़ की मात्रा पायी गयी, लाई या फिर हल्की नमी जैसी कोई खामी दिखे, तो सीधे-सीधे धान खरीदने के बजाय इसे वापस ले जाने को कहा जा रहा है।


Body:ईटीवी भारत की टीम ने पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के वनांचल क्षेत्र में स्थित धान खरीदी केंद्र बिंझरा का जायजा लिया।
यहां कई ऐसे किसान मिले जिन से धान की खरीदी करने के बजाए उन्हें धान वापस ले जाने को कह दिया गया।
एक किसान पूरे 4 से 5 महीने तक अपने खून पसीने से फसलों को सींचता है। इसके बाद फसल की कटाई और समिति तक लाने के लिए ट्रैक्टर व मजदूरों का खर्च भी वहन करना पड़ता है।

अब जब मंडी से उन्हें धान वापस ले जाने को कहा जा रहा है। तब किसान न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान हो रहा है। किसानों की पीड़ा समझने वाला फिलहाल कोई भी नहीं है। किसान अपने खून पसीने से सींचे गए फसलों को लेकर पहले समिति तक आ रहे हैं, फिर यहां से इसे वापस ले जा रहे हैं।

क्या कहते हैं किसान
समिति पहुंचे किसान संदीप कंवर का कहना है कि फड़ प्रभारी ने कहा कि धान में लाई लगी है, इसलिए मैं अपना धान ट्रैक्टर में वापस लादकर घर ले जा रहा हूं। अब इसे साफ करके फिर बेचने आऊंगा जिससे मुझे 3 से 5 हजार रुपयों का अतिरिक्त नुकसान होगा।
ग्राम मल्दा से मंडी पहुंचे मासूम कुरैशी का कहना है कि लाई लगने की समस्या के कारण मुझे धान साफ करके लाने को कहा गया है। 40 क्विंटल धान की सफाई करना संभव नहीं है। पहले ऐसा नहीं होता था।
पूर्व के वर्षों में लाई लगे हुए धान की भी खरीदी सरकार करती थी। लेकिन इस वर्ष किसानों को परेशान किया जा रहा है। किसान धान बेचने से भी कतरा रहे हैं। फायदा तो दूर वास्तविक लागत निकल जाए वही बहुत है।
मोहर सिंह भी अपना ध्यान बेचने मंडी पहुंचे थे जिनका कहना है कि मेरे धान में कंकड़ होने के कारण इसे वापस कर दिया गया।

जबकि सालिक राम इतने घबराए हुए हैं कि वह अपना धान लेकर पहले तो इसकी जांच कराने मंडी पहुंचे थे। सालिक का कहना है कि गांव के किसान कह रहे हैं कि अधिकतर किसानों के धान वापस हो जा रहे हैं। इसलिए मैं ट्रैक्टर का भाड़ा बचाने के लिए पहले अपनी धान लेकर इसकी जांच कराने आया हूं। यदि जांच में फड़ प्रभारी इसे पास करते हैं, तभी मैं अपना धान लेकर यहां आऊंगा। ऐसी परिस्थितियों में हम बेहद परेशान हैं। खून पसीने से सींचे हुए धान की मेहनताने के लिए हम दर-दर भटक रहे हैं।


Conclusion:भुगतान में भी देरी
सरकारी उपभोक्ता समिति, बिंझरा के अध्यक्ष बलदेव सिंह पोर्ते का कहना है कि पहले ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं रही। मैंने भी पिछले महीने की 13 तारीख को धान भेजा था। लेकिन उसका भुगतान अब तक मुझे नहीं किया गया है। पहले भुगतान भी जल्दी होता था, और धान खरीदी की प्रक्रिया भी इतनी जटिल नहीं थी। धान उगाने के बाद अब किसान बेहद परेशान हैं। कई किसान ऐसे हैं जो धान बेचना ही नहीं चाहते।

टारगेट प्राप्त करना भी होगा मुश्किल
फड़ प्रभारी या समिति प्रबंधक, बिंझर राजाराम भारद्वाज का कहना है कि सरकार ने जो नियम बनाए हैं। उसी के तहत धान की खरीदी की जा रही है। इस वर्ष साफ-सुथरे धान की मांग की जा रही है। सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। यही हम लाई, कंकड़ युक्त धान रख भी लेते हैं, तो राइस मिलर्स इसे वापस कर देंगे। ऐसे में मेरी मुसीबत बढ़ जाएगी। इसलिए किसानों को धान साफ करके लाने की बात कहीं जा रही है। पिछले वर्ष हमने बिंझरा में 2800 क्विंटल धान की खरीदी की थी। इस वर्ष 15 फरवरी तक खरीदी होनी है। अब तक इसके आधे धान की भी खरीदी नहीं हो सकी है। टारगेट प्राप्त करना इस बार मुश्किल लग रहा है।


बाइट
सभी किसान
संदीप कुमार क्रीम कलर के शर्ट में
मासूम कुरेशी दाढ़ी वाले
मोहर सिंह सफेद गमछा ओढ़े हुए
सालिक राम कोट पहने हुए

-बलदेव सिंह पोर्ते, अध्यक्ष सहकारी समिति बिंझरा टोपी पहने हुए

-राजाराम भारद्वाज, समिति प्रबंधक, बिंझरा कोट पहने हुए कुर्सी पर बैठे हैं
Last Updated : Jan 2, 2020, 7:46 PM IST
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