कोरबा: अन्नदाताओं की परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ गई है. खेतों में बुआई से लेकर धान बेचने और फिर समर्थन मूल्य हासिल करने तक किसान लगातार संघर्ष करते हैं, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उन्हें उनका मेहनताना नहीं मिल पाता.फसल उगाने के लिए प्रकृति से लड़ने वाले किसान वर्तमान में पटवारियों की हड़ताल से परेशान हैं. जिसके कारण उन्हें धान बेचने के लिए टोकन कटवाने से लेकर उत्पादन प्रमाण पत्र हासिल करने तक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.तो दूसरी तरफ रकबा सुधारने के प्रशासन के दावे भी फेल हो गए हैं.
रकबा सुधार के दावे हुए फेल
9 दिसंबर को समय सीमा की बैठक लेकर कलेक्टर ने तहसीलदारों को 3 दिन के भीतर किसानों के रकबे में त्रुटि सुधार के निर्देश दिए थे. किसानों के आवेदनों और सूचनाओं पर तत्काल कार्रवाई करते हुए पटवारियों से तत्काल जांच कराकर सत्यापन करने के निर्देश दिए गए. जिसके बाद वास्तविक रकबे की एंट्री भुइयां मॉड्यूल में सुनिश्चित करने के निर्देश थे. लेकिन, पटवारियों की हड़ताल और प्रशासन के ढीले रवैए के कारण रकबा सुधार के दावे पूरी तरह फेल हो चुके हैं.
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2 हजार ऐसे किसान, जिनके रकबे में है गड़बड़ी
जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 2000 किसान ऐसे हैं, जिनके रकबे में त्रुटि हुई है. उदाहरण के लिए इसे इस तरह समझिये कि यदि किसी किसान ने अपने 10 एकड़ खेत में फसल ली है. जिसका गड़बड़ी की वजह से रकबा 6 एकड़ दर्ज हो गया है, और अगर इस रकबे में सुधार नहीं हुआ तो मजबूरन उसे 6 एकड़ के हिसाब से ही धान बेचना होगा.इसी रकबे के धान का उसे समर्थन मूल्य मिलेगा. जबकि बाकि 4 एकड़ रकबे की जानकारी भुइयां मॉड्यूल में ठीक करके दर्ज नहीं किए जाने से शेष रकबे में उत्पादित धान को किसान समर्थन मूल्य पर सरकार को नहीं बेच सकेगा.
उत्पादन प्रमाण पत्र भी लेने में परेशानी
मौजूदा समय में किसान जब समर्थन मूल्य पर धान बेचने मंडियों में जा रहे हैं. तब फड़ प्रभारी द्वारा उनसे उत्पादन प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. यह उत्पादन प्रमाण पत्र पटवारी किसान के खेतों का मौके पर सत्यापन कर जारी करता है. सरकार इस साल प्रति एकड़ अधिकतम 15 क्विंटल धान खरीद रही है. यदि किसी किसान ने 1 एकड़ में 15 क्विंटल से ज्यादा धान उगा लिया है, तो वह अधिक पैदावार वाली धान की मात्रा भी सरकार नहीं खरीदेगी.
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व्यवस्था के आगे लाचार किसान
अब पटवारी किसी भी किसान को प्रति एकड़ 15 क्विंटल से ज्यादा धान के उत्पादन का उत्पादन प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं. वर्तमान में पटवारियों के हड़ताल के कारण उत्पादन प्रमाण पत्र भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण किसान धान बेचने के लिए टोकन नहीं कटा पा रहे हैं. किसान धान बेचने के लिए तैयार हैं, लेकिन किसान व्यवस्था के आगे लाचार हैं.
अब तक 7 हजार किसानों ने ही बेचा है धान
त्रुटिपूर्ण रकबा और उत्पादन प्रमाण पत्र जैसी औपचारिकताओं को पूरा नहीं कर पाने से किसान परेशान हैं. इस वजह से धान खरीदी शुरू होने के 18 दिन बाद भी जिले में अब तक केवल 7 हजार 459 किसानों ने ही धान बेचा है. जबकि 25 हजार 130 किसान अब भी उपार्जन केंद्रों तक नहीं पहुंचे हैं. धान खरीदी की प्रक्रिया 31 जनवरी तक जारी रहेगी. धान बेचने के लिए केवल 41 दिनों का समय बचा है. जिसमें शनिवार और रविवार को धान खरीदी नहीं होती इस दिन शासकीय अवकाश होता है.
आंकड़ों पर एक नजर-
- वर्तमान साल में जिले के 32 हजार 859 पंजीकृत किसानों से होगी धान खरीदी.
- इस वर्ष 12 लाख 85 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित.
- जिले में 49 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से हो रही धान खरीदी.
- अब तक 53 करोड़ का धान जिले में बेच चुके हैं किसान.
- 18 दिनों में जिले के 7 हजार 459 किसानों ने समितियों को बेचा धान.
- अब तक 25 हजार 13 किसान समितियों तक नहीं पहुंचे धान बेचने.