कोरबा : किसान विरोध दिवस पर किसानों, भू-विस्थापितों और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान लगभग 300 किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े संगठनों ने एक साथ विरोध-प्रदर्शन किया.
बता दें कि स्थानीय मांगों को लेकर कोरबा में 50 अलग-अलग जगहों पर भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन किया गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया. ग्रामीणों ने पोस्टर्स के जरिए अपनी मांगें और अपने सवाल सरकार के सामने रखे हैं. आसपास के गांव से कई जनप्रतिनिधि और ग्रामीण शामिल हुए हैं.
भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि भू-विस्थापितों और किसानों को उचित राहत देने में केंद्र और राज्य सरकार विफल रही है. कोरोना आपदा के कारण लॉकडाउन में समस्याएं सामने आ रही हैं. प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद ग्रामीण अंचल में भयावह स्थिति बन चुकी है. उन्होंने कहा कि SECL सहित अन्य संस्थाएं लॉकडाउन का फायदा उठाकर प्रभावितों की मांगों अनसुना कर रही है. ये सभी केवल अपने संगठन के विस्तार में लगे हैं.
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केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए किसानों ने कहा कि इस विपरित परिस्थिति में भी सरकार ने जनता को बेसहारा छोड़ दिया और आत्मनिर्भर बनने की बात कर रही है. इसका हमारा संगठन कड़ी आलोचना करता है. इस विरोध-प्रदर्शन में देशव्यापी मांगों के साथ स्थानीय मांगों को भी शामिल किया गया है.
किसानों की मांगें-
- लॉकडाउन के दौरान खदान विस्तार पर रोक लगाई जाए.
- भू-विस्थापितों की मांग को पहले पूरा किया जाए. ट्रांसपोर्टेशन में भू-विस्थापितों को 20 फीसदी काम मिले.
- स्थानीय बेरोजगारों और भू-विस्थापितों को ठेका रोजगार में प्राथमिकता दी जाए. DMF फंड को भू-विस्थापित और प्रभावितों पर खर्च किया जाए.
- पूर्व में अधिग्रहित जमीन मूल खातेदारों को वापस किए जाएं.
- पुनर्वास ग्रामों को मॉडल बनाएं और सारी सुविधाएं बहाल की जाए.
- कृषि कार्यों को मनरेगा से जोड़ा जाए.
- रबी फसलों, वनोपजों, सब्जियों और दूध को लाभकारी समर्थन मूल्य मिले.
- स्वामीनाथन आयोग के सी-2 लागत का डेढ़ गुणा ज्यादा समर्थन मूल्य दिया जाए.