कोरबा: केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में किसान प्रदर्शन कर रहें हैं. ऊर्जाधानी कोरबा में भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के कार्यकर्ताओं ने भी किसानों को समर्थन दिया है. कार्यकर्ताओं ने कटघोरा एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर नए कृषि कानून और बिजली संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की है.
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही है. कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने तीन कानून बनाए हैं. इससे किसानों को कोई फायदा नहीं है. इस कानून से देश के किसान बर्बाद हो जाएंगे. न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह ठेका खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. कालाबाजारियों के गोदाम भरने की छूट से महंगाई बढ़ेगी. इस तरह से नई बिजली कानून भी किसानों की आर्थिक समस्याओं को बढ़ाने वाला है.
1 दिसंबर से किसान कल्याण समिति का आंदोलन
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि देशभर के किसान पिछले 26 नवंबर से दिल्ली पहुंचकर विरोध जताते हुए शांतिपूर्वक सड़कों पर डटे हुए हैं. सरकार से अपने कानून को वापस लेने की मांग कर रहें हैं. पर किसानों को सरकार दिल्ली के बाहर ही रोक रखी है. 10 लाख से ज्यादा किसान कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर बैठे हैं. लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के लोग 1 दिसंबर से लगातार किसान आंदोलन के समर्थन में जिले के कई गांवों में व्यापक आंदोलन चला रहे हैं. धन और अनाज संग्रह कर रहे हैं. जिसे आंदोलनकारी अखिल भारतीय किसान सभा को भेजा जाएगा.
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किसान आंदोलन का आज 20 वां दिन
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है. दिल्ली बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर सोमवार को करीब 32 किसान संगठनों के नेता ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में एक दिन के लिए भूख हड़ताल किया.