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कोरोना का नया स्ट्रेन कितना खतरनाक और कैसे बरतें सावधानी ?

देश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां हालात बेकाबू हो गए हैं. इसे लेकर सरकार के साथ-साथ आम लोग भी चिंता में हैं. कोरोना के नए स्ट्रेन (corona new strain) और वैक्सीनेशन (vaccination) से जुड़ी भ्रांतियों को किस तरह दूर किया जाए. नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है ? किस तरह के सावधानियां बरती जानी चाहिए ? तमाम सवालों के बीच ETV भारत ने कोरबा मेडिकल कॉलेज (korba medical college) के डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत की.

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कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. वाईडी बड़गईया
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Published : Apr 7, 2021, 9:17 PM IST

कोरबा: देश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां हालात बेकाबू हो गए हैं. इसे लेकर सरकार के साथ-साथ आम लोग भी चिंता में हैं. कोरोना के नए स्ट्रेन (corona new strain) और वैक्सीनेशन (vaccination) से जुड़ी भ्रांतियों को किस तरह दूर किया जाए. नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है ? किस तरह के सावधानियां बरती जानी चाहिए ? तमाम सवालों के बीच ETV भारत ने कोरबा मेडिकल कॉलेज (korba medical college) के डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत की.

कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत

सवाल: नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है, क्या वायरस का Mutation( उत्परिवर्तन) भी हुआ है?

डॉ. बड़गईया: नया स्ट्रेन (new strain) खतरनाक तो है, यह तेजी से फैल रहा है. जहां तक वायरस के म्यूटेट (mutate) होने की बात है तो हां इसका म्यूटेशन (mutation) भी हुआ है. लेकिन इसमें एक बात पर गौर करना होगा कि वायरस जितना ज्यादा म्यूटेट होता है, वह उतना ही कमजोर होता चला जाता है. जो सबसे खतरनाक वायरस है, जिसने लोगों को मार दिया. वह तो मृतक के शरीर के साथ ही चला जाता है. फैल नहीं पता, लेकिन जो वायरस मारता नहीं सिर्फ बीमार करता है, वह तेजी से फैल रहा है. अक्सर यह देखा गया है कि वायरस जितना अधिक म्यूट होता है. वह उतना कमजोर होता चला जाता है. कई तरह के म्यूटेशन हुए हैं, कुछ स्पाइक म्यूटेशन हैं, न्यूक्लियर म्यूटेशन हैं. कुछ मामलों में तो ईप्रोटीन भी म्यूटेट हो चुके हैं. लेकिन यह सब खतरनाक नहीं हैं. संक्रमण की जहां तक बात की जाए तो, हां संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हमने पिछली बार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन इसमें यह भी देखना होगा कि डेथ रेट कम है. हमारे आरटीपीसीआर टेस्ट में मरीज पॉजिटिव मिल रहे हैं. ज्यादा खतरनाक स्थिति तब होगी जब यह वायरस इतना म्यूटेट हो जाए की वह डायग्नोज भी ना हो, लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है. फिलहाल स्थिति बेहतर है. हमारे टेस्ट भी पूरी तरह से कारगर हैं.

सवाल: वायरस में बदलाव आने के बाद, सवाल यह भी उठता है कि अब वैक्सीन कितनी कारगर है? क्योंकि वैक्सीन का निर्माण पूर्व के वायरस के आधार पर हुआ था.

डॉ. बड़गईया: देखिए वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है. अभी वायरस का प्रोटीन इतना नहीं बदला है कि वैक्सीन कारगर ना साबित हो. हमारे पास फिलहाल दो वैक्सीन हैं कोवैक्सीन और कोविशिल्ड दोनों ही बेहद कारगर हैं. हालांकि हमें अभी पूरी तरह से यह नहीं मालूम है कि वैक्सीन कितनी कारगर है या कितनी असरदार है, लेकिन अभी तक जितने भी रिसर्च हुए हैं. जितना हमें मालूम है, उसके आधार पर हम यह पुख्ता तौर पर प्रमाणित कर सकते हैं कि वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है और यह असर भी कर रही है.

सवाल: वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में अब भी कई तरह के सवाल है यह भ्रांतियां कैसे दूर होंगी?

डॉ. बड़गईया: वैक्सीन को लेकर जो मोटी-मोटी समझने वाली बात यह है कि इससे एंटीबॉडीज बन रही है. दो तरह के एंटीबॉडी बनती है. एक टी सेल एंटीबॉडी जिसे न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है और दूसरी आईजीजी. हो सकता है कि आईजीजी एंटीबॉडी ना बन रही हो, लेकिन जो टी सेल वाली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी है यह बन रही है. यही ज्यादा जरूरी है. वैक्सीन लेने के बाद न्यूट्रलाइजिंग एन्टीबॉडी बन रही है. वैक्सीन इसे बनाने में सहायता करता है. वैक्सीन से न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का हमारे शरीर में प्रसार होता है. ऐसे रिसर्च हमें मिले हैं जिससे हमें पता चला है कि वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत इतनी नहीं बिगड़ती जितना कि वैक्सीन ना लेने वाले व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जा रही है. अगर आपने वैक्सीन लगवा लिया है तो यह निश्चित है कि आपकी कंडीशन इतनी ज्यादा खराब नहीं होगी कि आप मौत की स्थिति तक पहुंच जाएं. मुझे पूरा विश्वास है और इसका प्रमाण भी हमें मिला है कि लोगों को शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बन रही है. जिसके कारण ही वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत उतनी नहीं बिगड़ रही, जितना कि उनकी तबीयत बिगड़ रही है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेना चाहिए.

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सवाल: ऐसी परिस्थितियों में छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को कितनी सावधानी बरतनी चाहिए?

डॉ. बड़गईया: यह अपने अच्छा सवाल पूछा है. पिछली बार जो पहले चरण का संक्रमण था उसमें हमने देखा था कि बच्चों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं. उन्हें यह अपनी चपेट में नहीं ले रहा था, लेकिन दूसरे चरण के नए इस नए स्ट्रेन में कोरोना छोटे बच्चों और कम उम्र वालों को भी असर कर रहा है. उनके लिए भी यह खतरनाक है. यह साबित हो चुका है, इसलिए स्कूल, कॉलेजों को बंद किया गया है. कई तरह की सावधानिया भी बरती जा रही हैं, तो छोटे बच्चों को भी बचना होगा. गर्भवती महिलाओं के बारे में भी अभी हमें यह स्पष्ट तौर पर नहीं पता है कि उन्हें यह कितना ही नुकसान करेगा, लेकिन वायरस का जो रिसर्च है, उसमें यह बातें आई है कि कई वायरस गर्भवती महिलाओं के गर्भ को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. अतिरिक्त सावधानी का मतलब यह भी नहीं है कि कोई बहुत ज्यादा काम करना पड़ेगा, उन्हें सिर्फ करना यह है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना है.

सवाल: AC और कूलर का उपयोग कोरोना संक्रमण के दौरान कितना सही है?

डॉ. बड़गईया: बंद कमरे में फिलहाल सबसे ज्यादा खतरा है. लोगों को अब AC कल्चर छोड़कर कूलर वाले कल्चर में लौटना होगा. कूलर बाहर से ताजी हवा को रूम के अंदर भेजता है. जबकि AC एक ही हवा को रोटेट करता है, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. घर में भी रहे तो वेंटिलेशन का पर्याप्त इंतजाम रखें. बंद कमरों में ना सोएं. बंद कमरे में जाने से बचें. बल्कि सिर्फ गर्भवती महिलाओं नहीं अब आम लोगों को भी समझना चाहिए कि अब AC को छोड़कर कूलर के कल्चर को अपनाना होगा.कूलर AC से काफी बढ़िया है. मैंने खुद भी अपने कमरे में कूलर लगाया हुआ है. कूलर की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि बाहर की ताजा हवा को अंदर लाता है. जबकि एसी बंद कमरे में ही हवा को रोटेट करता रहता है. यह बेहद खतरनाक है, अभी की परिस्थितियों में बंद कमरे में रहना सबसे खतरनाक बात है. तो पर्याप्त इंतजाम रखें खिड़कियां खुली रखें. रात को सोते समय भी खिड़की दरवाजे पूरी तरह से बंद ना रखें. खुले वातावरण में अपने आप को रखें. यह कोरोना से बचने का फिलहाल सर्वोत्तम उपाय है. लोग चुनाव को लेकर भी सवाल उठाते हैं, लेकिन चुनाव में लोग खुले में रहते हैं. यह भी समझ लेना चाहिए कि खुले में इस दौरान वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा सबसे कम है.

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सवाल: वैक्सीन की कमी होने की बा भी कही जा रही है, लोग केंद्रों से वापस लौट रहे हैं?

डॉ. बड़गईया: इस विषय में फिलहाल मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन जहां तक वैक्सीन की बात है. हम तो दूसरों को बांट रहे हैं, हमारे देश में वैक्सीनेशन की कोई कमी नहीं है, हां सप्लाई चेन में जरूर कोई गड़बड़ी होगी, लेकिन वैक्सीन की कमी होगी ऐसा नहीं हो सकता. फिलहाल हमारे पास दो वैक्सीन हैं. उच्चाधिकारियों से मेरी बात हो रही थी, जल्द ही मार्केट में तीन से चार और नए वैक्सीन आने वाले हैं. आने वाले दिनों में भी वैक्सीन की कमी नहीं होगी.

सवाल: 45 वर्ष से कम आयु वालों को वैक्सीन कब तक मिलेगी?

डॉ. बड़गईया: देखिए, इस आयु वर्ग को वैक्सीन कब तक मिलेगी यह कह पाना तो फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन सरकार ने 60 से 45 कर दिया है. अब जल्द ही 45 वर्ष से कम आयु वाले लोगों को भी वैक्सीन लगने लगेगी. अधिकतम इसमें 1 महीने का समय और लगेगा. फिर 45 से कम उम्र वाले लोगों को भी वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगा.

कोरबा: देश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां हालात बेकाबू हो गए हैं. इसे लेकर सरकार के साथ-साथ आम लोग भी चिंता में हैं. कोरोना के नए स्ट्रेन (corona new strain) और वैक्सीनेशन (vaccination) से जुड़ी भ्रांतियों को किस तरह दूर किया जाए. नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है ? किस तरह के सावधानियां बरती जानी चाहिए ? तमाम सवालों के बीच ETV भारत ने कोरबा मेडिकल कॉलेज (korba medical college) के डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत की.

कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डीन डॉ. वाईडी बड़गईया से खास बातचीत

सवाल: नया स्ट्रेन कितना खतरनाक है, क्या वायरस का Mutation( उत्परिवर्तन) भी हुआ है?

डॉ. बड़गईया: नया स्ट्रेन (new strain) खतरनाक तो है, यह तेजी से फैल रहा है. जहां तक वायरस के म्यूटेट (mutate) होने की बात है तो हां इसका म्यूटेशन (mutation) भी हुआ है. लेकिन इसमें एक बात पर गौर करना होगा कि वायरस जितना ज्यादा म्यूटेट होता है, वह उतना ही कमजोर होता चला जाता है. जो सबसे खतरनाक वायरस है, जिसने लोगों को मार दिया. वह तो मृतक के शरीर के साथ ही चला जाता है. फैल नहीं पता, लेकिन जो वायरस मारता नहीं सिर्फ बीमार करता है, वह तेजी से फैल रहा है. अक्सर यह देखा गया है कि वायरस जितना अधिक म्यूट होता है. वह उतना कमजोर होता चला जाता है. कई तरह के म्यूटेशन हुए हैं, कुछ स्पाइक म्यूटेशन हैं, न्यूक्लियर म्यूटेशन हैं. कुछ मामलों में तो ईप्रोटीन भी म्यूटेट हो चुके हैं. लेकिन यह सब खतरनाक नहीं हैं. संक्रमण की जहां तक बात की जाए तो, हां संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हमने पिछली बार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन इसमें यह भी देखना होगा कि डेथ रेट कम है. हमारे आरटीपीसीआर टेस्ट में मरीज पॉजिटिव मिल रहे हैं. ज्यादा खतरनाक स्थिति तब होगी जब यह वायरस इतना म्यूटेट हो जाए की वह डायग्नोज भी ना हो, लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है. फिलहाल स्थिति बेहतर है. हमारे टेस्ट भी पूरी तरह से कारगर हैं.

सवाल: वायरस में बदलाव आने के बाद, सवाल यह भी उठता है कि अब वैक्सीन कितनी कारगर है? क्योंकि वैक्सीन का निर्माण पूर्व के वायरस के आधार पर हुआ था.

डॉ. बड़गईया: देखिए वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है. अभी वायरस का प्रोटीन इतना नहीं बदला है कि वैक्सीन कारगर ना साबित हो. हमारे पास फिलहाल दो वैक्सीन हैं कोवैक्सीन और कोविशिल्ड दोनों ही बेहद कारगर हैं. हालांकि हमें अभी पूरी तरह से यह नहीं मालूम है कि वैक्सीन कितनी कारगर है या कितनी असरदार है, लेकिन अभी तक जितने भी रिसर्च हुए हैं. जितना हमें मालूम है, उसके आधार पर हम यह पुख्ता तौर पर प्रमाणित कर सकते हैं कि वैक्सीन पूरी तरह से कारगर है और यह असर भी कर रही है.

सवाल: वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में अब भी कई तरह के सवाल है यह भ्रांतियां कैसे दूर होंगी?

डॉ. बड़गईया: वैक्सीन को लेकर जो मोटी-मोटी समझने वाली बात यह है कि इससे एंटीबॉडीज बन रही है. दो तरह के एंटीबॉडी बनती है. एक टी सेल एंटीबॉडी जिसे न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है और दूसरी आईजीजी. हो सकता है कि आईजीजी एंटीबॉडी ना बन रही हो, लेकिन जो टी सेल वाली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी है यह बन रही है. यही ज्यादा जरूरी है. वैक्सीन लेने के बाद न्यूट्रलाइजिंग एन्टीबॉडी बन रही है. वैक्सीन इसे बनाने में सहायता करता है. वैक्सीन से न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का हमारे शरीर में प्रसार होता है. ऐसे रिसर्च हमें मिले हैं जिससे हमें पता चला है कि वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत इतनी नहीं बिगड़ती जितना कि वैक्सीन ना लेने वाले व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जा रही है. अगर आपने वैक्सीन लगवा लिया है तो यह निश्चित है कि आपकी कंडीशन इतनी ज्यादा खराब नहीं होगी कि आप मौत की स्थिति तक पहुंच जाएं. मुझे पूरा विश्वास है और इसका प्रमाण भी हमें मिला है कि लोगों को शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बन रही है. जिसके कारण ही वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की तबीयत उतनी नहीं बिगड़ रही, जितना कि उनकी तबीयत बिगड़ रही है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेना चाहिए.

ENT स्पेशलिस्ट बता रहे हैं कोरोना में कैसे रखें ख्याल

सवाल: ऐसी परिस्थितियों में छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को कितनी सावधानी बरतनी चाहिए?

डॉ. बड़गईया: यह अपने अच्छा सवाल पूछा है. पिछली बार जो पहले चरण का संक्रमण था उसमें हमने देखा था कि बच्चों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं. उन्हें यह अपनी चपेट में नहीं ले रहा था, लेकिन दूसरे चरण के नए इस नए स्ट्रेन में कोरोना छोटे बच्चों और कम उम्र वालों को भी असर कर रहा है. उनके लिए भी यह खतरनाक है. यह साबित हो चुका है, इसलिए स्कूल, कॉलेजों को बंद किया गया है. कई तरह की सावधानिया भी बरती जा रही हैं, तो छोटे बच्चों को भी बचना होगा. गर्भवती महिलाओं के बारे में भी अभी हमें यह स्पष्ट तौर पर नहीं पता है कि उन्हें यह कितना ही नुकसान करेगा, लेकिन वायरस का जो रिसर्च है, उसमें यह बातें आई है कि कई वायरस गर्भवती महिलाओं के गर्भ को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. अतिरिक्त सावधानी का मतलब यह भी नहीं है कि कोई बहुत ज्यादा काम करना पड़ेगा, उन्हें सिर्फ करना यह है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना है.

सवाल: AC और कूलर का उपयोग कोरोना संक्रमण के दौरान कितना सही है?

डॉ. बड़गईया: बंद कमरे में फिलहाल सबसे ज्यादा खतरा है. लोगों को अब AC कल्चर छोड़कर कूलर वाले कल्चर में लौटना होगा. कूलर बाहर से ताजी हवा को रूम के अंदर भेजता है. जबकि AC एक ही हवा को रोटेट करता है, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. घर में भी रहे तो वेंटिलेशन का पर्याप्त इंतजाम रखें. बंद कमरों में ना सोएं. बंद कमरे में जाने से बचें. बल्कि सिर्फ गर्भवती महिलाओं नहीं अब आम लोगों को भी समझना चाहिए कि अब AC को छोड़कर कूलर के कल्चर को अपनाना होगा.कूलर AC से काफी बढ़िया है. मैंने खुद भी अपने कमरे में कूलर लगाया हुआ है. कूलर की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि बाहर की ताजा हवा को अंदर लाता है. जबकि एसी बंद कमरे में ही हवा को रोटेट करता रहता है. यह बेहद खतरनाक है, अभी की परिस्थितियों में बंद कमरे में रहना सबसे खतरनाक बात है. तो पर्याप्त इंतजाम रखें खिड़कियां खुली रखें. रात को सोते समय भी खिड़की दरवाजे पूरी तरह से बंद ना रखें. खुले वातावरण में अपने आप को रखें. यह कोरोना से बचने का फिलहाल सर्वोत्तम उपाय है. लोग चुनाव को लेकर भी सवाल उठाते हैं, लेकिन चुनाव में लोग खुले में रहते हैं. यह भी समझ लेना चाहिए कि खुले में इस दौरान वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा सबसे कम है.

बच्चों को कोरोना से बचाने इन बातों का रखें विशेष ध्यान

सवाल: वैक्सीन की कमी होने की बा भी कही जा रही है, लोग केंद्रों से वापस लौट रहे हैं?

डॉ. बड़गईया: इस विषय में फिलहाल मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन जहां तक वैक्सीन की बात है. हम तो दूसरों को बांट रहे हैं, हमारे देश में वैक्सीनेशन की कोई कमी नहीं है, हां सप्लाई चेन में जरूर कोई गड़बड़ी होगी, लेकिन वैक्सीन की कमी होगी ऐसा नहीं हो सकता. फिलहाल हमारे पास दो वैक्सीन हैं. उच्चाधिकारियों से मेरी बात हो रही थी, जल्द ही मार्केट में तीन से चार और नए वैक्सीन आने वाले हैं. आने वाले दिनों में भी वैक्सीन की कमी नहीं होगी.

सवाल: 45 वर्ष से कम आयु वालों को वैक्सीन कब तक मिलेगी?

डॉ. बड़गईया: देखिए, इस आयु वर्ग को वैक्सीन कब तक मिलेगी यह कह पाना तो फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन सरकार ने 60 से 45 कर दिया है. अब जल्द ही 45 वर्ष से कम आयु वाले लोगों को भी वैक्सीन लगने लगेगी. अधिकतम इसमें 1 महीने का समय और लगेगा. फिर 45 से कम उम्र वाले लोगों को भी वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगा.

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