कोरबा: बस्तर के सिलगेर (silger) में पुलिस कैंप का विरोध कर रहे आदिवासियों के आंदोलन के साथ ही नक्सलियों से जुड़े मोर्चे पर छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन में गृह मंत्री रहे ननकीराम कंवर (Nankiram Kanwar) ने ETV भारत से खास बातचीत की. ननकी कहते हैं कि गृहमंत्री रहने के दौरान उन्होंने नक्सलवाद (Naxalism) को खत्म करने की कई बार कोशिश की. वे बताते हैं कि जब वे गृहमंत्री (home minister) थे तब उन्होंने तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार से अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की थी. लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला. वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) प्रदेश को मांग के अनुरूप फोर्स देने को तैयार है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) नक्सलियों के मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है. कांग्रेस ही नक्सलवाद (Naxalism) के बढ़ने का कारण है.
पूर्व गृहमंत्री और वर्तमान में कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा से बीजेपी विधायक ननकीराम कंवर से बातचीत के अंश:
सवाल: बस्तर के सिलगेर (silger) में हुए आंदोलन को आप किस नजर से देखते हैं?
जवाब: सिलगेर के मामले में जो पुलिस कैंप का विरोध हो रहा है, इसे समझना होगा. जब मैं छत्तीसगढ़ का गृह मंत्री था. तब हमने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार से अतिरिक्त सुरक्षा बल की मांग की थी. लेकिन केंद्र ने ऐसी कोई मदद नहीं दी. इससे आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस का रवैया नक्सलियों के प्रति क्या है. नक्सली (Naxalite) अब बस्तर (bastar)में हावी हो चुके हैं, ग्रामीण सरकार की छोड़कर नक्सलियों की बात सुन रहे हैं. मेरा स्पष्ट आरोप है कि यह सरकार हर क्षेत्र में विफल है. मैं कई मुद्दों पर बोलना नहीं चाहता, लेकिन कांग्रेस के लोग तब और आज भी उस क्षेत्र में खुला घूमते हैं. इसका मतलब साफ है कि कहीं ना कहीं नक्सलियों से साठगांठ (nexus with naxalites) है. वैसे तो झीरम घाटी कांड (Jhiram Ghati scandal) अब अंडर ट्रायल है. लेकिन इसमें कहीं ना कहीं कांग्रेस का हाथ है. कुछ कांग्रेसी नेताओं की नक्सलियों के साथ मिलीभगत (Congress leaders in collusion with Naxalites) है.
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सवाल: आखिर ग्रामीण पुलिस कैंप का विरोध क्यों कर रहे हैं? आप क्या सोचते हैं?
जवाब: देखिए सीधी सी बात है, ग्रामीणों के मन में नक्सलियों का भय (Fear of Naxalites ) है. यदि वह उनकी बात नहीं सुनेंगे तो मौत के घाट उतार दिए जाएंगे. या तो वह नक्सलियों के हाथों मरेंगे या फिर पुलिस कर्मियों के हाथों मारे जाएंगे. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस कैंप का विरोध करते हुए जिनकी मौत हुई थी वह नक्सली हैं या ग्रामीण? लेकिन कहीं ना कहीं ग्रामीण नक्सलियों के समर्थन में है. इसे डायरेक्ट कहिए या फिर इनडायरेक्ट.
सवाल: क्या कारण है कि सरकार ग्रामीणों का भरोसा नहीं जीत पा रही है?
जवाब: मैंने आपको बताया कि मेरे गृह मंत्री रहते हुए हमने जब फोर्स मांगी थी. तब केंद्र की कांग्रेस सरकार ने हमें फोर्स नहीं दी. अब यह कांग्रेस के बड़े नेता ही जाने कि उनके और नक्सलियों के बीच क्या साठगांठ है ? किस बात को लेकर उनके बीच समझौता हुआ था. तभी तो उन्होंने हमें नक्सलियों के खात्मे के लिए फोर्स नहीं दी थी. जबकि तब उन्हें फोर्स देना चाहिए था.
सवाल: वर्तमान में यदि छत्तीसगढ़ में आप की सरकार होती है तो आप क्या करते?
जवाब: जब मैं गृहमंत्री था तब बस्तर के अंदरूनी इलाकों में भी कैंप किया करता था. हर हफ्ते, महीने में कम से कम एक दो कैंप तो करता ही था. बाजार में लोगों के बीच जाकर चर्चा करता था. उनसे कहता था कि आप नक्सलियों का साथ मत दीजिए. हमें शांतिपूर्ण बस्तर (bastar) चाहिए, हम शांति चाहते हैं और ऐसा भी नहीं है कि मैं अचानक पहुंचता था. सुनियोजित योजना के अनुसार शड्यूल के तहत मैं कैंप किया करता था. लेकिन इसे ऊपर वाले की कृपा कहिए कि कभी भी अटैक नहीं हुआ. हालांकि कई बार मुझ पर अटैक के प्लान भी बनाए गए, लेकिन नक्सली कभी सफल नहीं रहे.
सवाल: मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा शासनकाल में भी उन्हें मिलने नहीं दिया जाता था और अब कांग्रेस सरकार भी उन्हें आदिवासियों से मिलने नहीं दे रही है?
जवाब: ऐसा नहीं है, मेरे समय में झीरम कांड (jhiram scandal) हुआ था. तब मैं प्रदेश का गृहमंत्री था, लेकिन हमने तब भी किसी को मिलने से नहीं रोका. सभी आते-जाते रहे, लेकिन झीरम कांड (jhiram scandal) एक बड़ा सवाल है. जब कांग्रेसियों को कार्यक्रम करना ही था तो सभी को एक साथ जाना चाहिए था. एक उधर जा रहा है. एक इधर जा रहा है.इसमें कहीं ना कहीं षड्यंत्र था. लेकिन हमने कभी भी किसी को मिलने से नहीं रोका.
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सवाल: वर्तमान के कांग्रेस सरकार में नक्सलवाद बढ़ा है, क्या आप ऐसा मानते हैं?
जवाब: ऐसा कहना ठीक होगा कि नक्सलवाद बढ़ने का कारण ही कांग्रेस है. कांग्रेस ही नक्सलवाद बढ़ने के लिए जिम्मेदार है. जब मैं गृहमंत्री था, तब अपराध में कमी आई थी. मेरे गृह मंत्री रहते अपराध में जितनी कमी आई. उतनी पहले कभी नहीं रही. मेरे कार्यकाल में बस्तर में नक्सली घटनाओं पर विराम लगा था. आप रिकॉर्ड देख लीजिए.
सवाल: यह भी कहा जाता है कि भाजपा के राज में ही नक्सलवाद पनपा और विकराल रूप ले लिया?
जवाब: ऐसा कहना ठीक नहीं होगा. नक्सलवाद काफी पहले से ही है. भाजपा राज से और पहले से यह मौजूद है. इसे हम सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्टों से जोड़ सकते हैं. कम्युनिस्ट पार्टी से नक्सलियों का काफी गहरा संबंध रहा है. यह काफी पहले से मौजूद है.
सवाल: विधायक जी, खरीफ का सीजन नजदीक है. खुद को किसानों की सरकार कहने वाली कांग्रेस सरकार के काम से आप कितने संतुष्ट हैं?
जवाब: यह गरीब सरकार है. गरीब सरकार कहने का मतलब है कि वर्तमान सरकार ने जितना कर्ज ले लिया है. कोई भी काम नहीं कर पा रही है. कोई भी वायदों को पूरा नहीं कर पा रही है. बल्कि मैं तो एक पत्र केंद्र को लिखने वाला हूं, कि यह सरकार केंद्र की योजनाओं को भी चौपट करने पर तुली हुई है. रोजगार गारंटी के कार्यों को इन्होंने पूरी तरह से चौपट कर दिया है. सरकार ने अपनी वाहवाही लूटने के लिए गौठान बना दिए. लेकिन इसमें केंद्र सरकार का पैसा लगा है. आपात स्थिति में भी राज्य आपदा मद से पंचायतों को राशि जारी नहीं की गयी है. 14 और 15वे वित्त का पैसा पंचायत का होता है. सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि इस राशि का उपयोग करें. लेकिन सरकार ने पंचायतों के पैसे से वाहवाही लूटी है. आपदा मद की राशि भी जारी नहीं की है. मैं जल्द ही सरकार को भंग करने की मांग करुंगा. इसके लिए केंद्र और राज्यपाल को पत्र लिखूंगा.
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सवाल: आप सरकार को भंग करने की बात कर रहे हैं और इधर ढाई-ढाई साल के सीएम (CM of two and a half years) की चर्चा है?
जवाब: वह उनका अंदरूनी मामला है, फिर चाहे वह ढाई-ढाई साल रहे या 5 साल रहे? लेकिन कुल मिलाकर बात इतनी है कि यह गवर्नमेंट पूरी तरह से फ्लॉप है. किसी भी काम पर खरा नहीं उतर पाई है.
सवाल: चर्चा है कि ढाई साल पूरे होने पर भूपेश जाएंगे और बाबा आएंगे?
जवाब: मैं तो कहता हूं यह दोनों ही जाएंगे. भूपेश बघेल (bhupesh baghel) जाएंगे तो टीएस सिंहदेव (ts singhdeo) बाबा भी कहां रहेंगे? मैं सरकार को भंग करने की मांग कर रहा हूं. इस सरकार को बने रहने का अधिकार नहीं है. सरकारी योजनाओं की इससे बड़ी दुर्दशा क्या हो सकती है कि केंद्र के चावल का वितरण भी सरकार नहीं कर पा रही है. मेरे पास आदेश है कि आपदा काल में प्रति व्यक्ति को 10 किलो चावल लोगों को देना है. नीतिगत फैसलों को भी यह सरकार लागू नहीं कर पा रही है. केंद्र के चावल को ना बांटना दुर्भाग्य जनक है.
सवाल: जिले में प्रदूषण का स्तर दिनों-दिन बढ़ रहा है. इस पर कैसे नियंत्रण होगा?
जवाब: देखिए मैं आपको बता रहा हूं. मैं जिले में साल 1970 से निवास कर रहा हूं. पहले सर्दी-खांसी भी नहीं होती थी, लेकिन अब तो मैं कोशिश करता हूं कि हल्दी वाला दूध पीता रहूं.
मेरे आम के बगीचे में 50 फीसदी आम इस साल खराब हो गए. मैं उसकी भरपाई के लिए सरकार से क्लेम करने वाला हूं. लेकिन छोड़िए ये सरकार मुझे क्या दे पाएगी. लेकिन इस सरकार को मैं बताऊंगा, कम से कम इन्हें स्थिति से अवगत कराऊंगा. प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ तो विचार किया जाना बेहद जरूरी है.