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मैन्युअल के बाद कम्युनिटी सर्विलेंस का ऑनलाइन सर्वे होने से क्यों दुखी हैं कर्मचारी

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Published : May 14, 2020, 5:53 PM IST

Updated : May 14, 2020, 8:08 PM IST

कोरोना संक्रमण की जानकारी इकट्ठा करने और सामुदायिक सर्विलेंस के लिए बनाए गए एप से कर्मचारियों का दोबारा सर्वे करना होगा. जिसे लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है. कर्मचारियों ने संक्रमण के खतरे के बीच डोर टू डोर मैनुअल सर्वे किया था. जिसके बाद ऑनलाइन सर्वे करने की बात की जा रही है.

Anger among employees due to double survey
डबल सर्वे से कर्मचारियों में गुस्सा

कोरबा: सरकार के फरमान से कर्मचारी खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं. शिक्षक संघ का आरोप है कि 'सरकार ने एक बार मैनुअल सर्वे करा लिया है, तो फिर उन्हें ऑनलाइन सर्वे करने के लिए क्यों कहा जा रहा है. यदि बेहतर तरीके से प्लानिंग की गई होती, तो दोबारा सर्वे करने की जरूरत नहीं पड़ती'. कर्मचारियों का यह भी कहना है कि 'सर्वे के दौरान वह गली, मोहल्लों और बस्तियों में जा रहे हैं, जिससे उन्हें संक्रमण का भी खतरा है'.

डबल सर्वे से कर्मचारियों में गुस्सा

कर्मचारियों का कहना है कि, 'जब उन्होंने उच्चाधिकारियों से मास्क, सैनिटाइजर जैसे उपकरणों की मांग कि, तो उन्हें यह भी उपलब्ध नहीं कराया गया'. इसी वजह से निचले स्तर पर सर्वे करने वाले कर्मचारी नाराज हैं. जिले में प्रदेश के सर्वाधिक 28 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे. जिले के कटघोरा क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित किया गया था. पिछले 28 दिनों से जिले में कोई भी पॉजिटिव मरीज सामने नहीं आया है. फिलहाल जिला ऑरेंज जोन में है. अब जिले की सुरक्षा और भी पुख्ता करने के लिए नगर निगम प्रशासन ने क्षेत्र में सक्रिय सामुदायिक सर्विलेंस का कार्य शुरू किया है, जिसके तहत नगर पालिक निगम के सभी 67 वार्ड में सरकारी कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया. इस कार्य के लिए प्रशासन ने मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पटवारी सहित जमीनी स्तर के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है. इसके साथ ही शिक्षकों को भी सर्वे टीम में शामिल किया गया है. 67 वार्ड के लिए कुल 201 टीमें बनाई गई हैं.

कर्मचारियों की माने तो डोर टू डोर जाकर सर्वे का काम वह लगभग पूरा कर चुके हैं. कम्युनिटी सर्विलेंस के लिए शासन से मिले प्रपत्र में मैनुअल जानकारी प्रविष्ट की जानी थी, जिसमें परिवार के प्रत्येक सदस्य के मेडिकल और ट्रैवल हिस्ट्री के विषय में उल्लेख करना था. अगर किसी को खांसी, सर्दी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो इसका विशेष तौर पर पत्र में उल्लेख किया जाना था. लेकिन अब इस काम को फिर से करने के लिए कहा जा रहा है. इस बार सर्वे मोबाइल एप के माध्यम से करने कहा गया है. कर्मचारी इस बात से परेशान हैं कि जिन घरों में वह एक बार जाकर जानकारी एकत्र कर चुके हैं. अब उसी घर में दोबारा जाकर वही जानकारी फिर से मोबाइल एप के माध्यम से इकट्ठा करनी होगी.

कई लोगों के पास मोबाइल नहीं, ऑपरेट करने में भी परेशानी

जिला शिक्षक संघ का कहना है कि, 'सर्वे में मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी ड्यूटी लगाई गई है. मितानिनों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है. अगर है भी तो वह ठीक तरह से ऑपरेट करना नहीं जानती. इस तरह कुछ उम्र दराज शिक्षक भी सर्वे का काम कर रहे हैं. जो कि ठीक तरह से मोबाइल का उपयोग नहीं कर पाते हैं. मोबाइल एप डाउनलोड कर इसे ऑपरेट करने में कई तरह की परेशानी आ रही है और इससे सर्वे करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन परेशानियों को दूर करने के लिए एक ग्रुप बनाया गया है. लेकिन परेशानियां बनी हुई हैं.

24 घंटे में छत्तीसगढ़ में जानकारी छुपाने और क्वॉरेंटाइन उल्लंघन पर 16 केस दर्ज

ऐप से सर्वे के कई फायदे

इस विषय में एडीएम संजय अग्रवाल का कहना है कि 'सर्वे पहले मैनुअल तरीके से कराया गया था, लेकिन अब शासन के निर्देश पर मोबाइल एप के माध्यम से सर्वे कराया जा रहा है. कोरोना वायरस से संबंधित या कोई भी संदिग्ध मरीज गली, मोहल्ले बस्ती में मौजूद है, तो एप से सर्वे के दौरान उसकी जानकारी दर्ज होते ही प्रशासन को तुरंत इसका पता चल जाएगा. जिससे संदिग्धों का पता लगाने और उनका इलाज करने में तत्काल सक्रियता दिखाई जा सकेगी. इसलिए दोबारा सर्वे कराए जाने को लेकर किसी को भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. महामारी से लड़ने के लिए एप से सर्वे एक कारगर कदम है'.

कोरबा: सरकार के फरमान से कर्मचारी खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं. शिक्षक संघ का आरोप है कि 'सरकार ने एक बार मैनुअल सर्वे करा लिया है, तो फिर उन्हें ऑनलाइन सर्वे करने के लिए क्यों कहा जा रहा है. यदि बेहतर तरीके से प्लानिंग की गई होती, तो दोबारा सर्वे करने की जरूरत नहीं पड़ती'. कर्मचारियों का यह भी कहना है कि 'सर्वे के दौरान वह गली, मोहल्लों और बस्तियों में जा रहे हैं, जिससे उन्हें संक्रमण का भी खतरा है'.

डबल सर्वे से कर्मचारियों में गुस्सा

कर्मचारियों का कहना है कि, 'जब उन्होंने उच्चाधिकारियों से मास्क, सैनिटाइजर जैसे उपकरणों की मांग कि, तो उन्हें यह भी उपलब्ध नहीं कराया गया'. इसी वजह से निचले स्तर पर सर्वे करने वाले कर्मचारी नाराज हैं. जिले में प्रदेश के सर्वाधिक 28 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे. जिले के कटघोरा क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित किया गया था. पिछले 28 दिनों से जिले में कोई भी पॉजिटिव मरीज सामने नहीं आया है. फिलहाल जिला ऑरेंज जोन में है. अब जिले की सुरक्षा और भी पुख्ता करने के लिए नगर निगम प्रशासन ने क्षेत्र में सक्रिय सामुदायिक सर्विलेंस का कार्य शुरू किया है, जिसके तहत नगर पालिक निगम के सभी 67 वार्ड में सरकारी कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया. इस कार्य के लिए प्रशासन ने मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पटवारी सहित जमीनी स्तर के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है. इसके साथ ही शिक्षकों को भी सर्वे टीम में शामिल किया गया है. 67 वार्ड के लिए कुल 201 टीमें बनाई गई हैं.

कर्मचारियों की माने तो डोर टू डोर जाकर सर्वे का काम वह लगभग पूरा कर चुके हैं. कम्युनिटी सर्विलेंस के लिए शासन से मिले प्रपत्र में मैनुअल जानकारी प्रविष्ट की जानी थी, जिसमें परिवार के प्रत्येक सदस्य के मेडिकल और ट्रैवल हिस्ट्री के विषय में उल्लेख करना था. अगर किसी को खांसी, सर्दी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो इसका विशेष तौर पर पत्र में उल्लेख किया जाना था. लेकिन अब इस काम को फिर से करने के लिए कहा जा रहा है. इस बार सर्वे मोबाइल एप के माध्यम से करने कहा गया है. कर्मचारी इस बात से परेशान हैं कि जिन घरों में वह एक बार जाकर जानकारी एकत्र कर चुके हैं. अब उसी घर में दोबारा जाकर वही जानकारी फिर से मोबाइल एप के माध्यम से इकट्ठा करनी होगी.

कई लोगों के पास मोबाइल नहीं, ऑपरेट करने में भी परेशानी

जिला शिक्षक संघ का कहना है कि, 'सर्वे में मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी ड्यूटी लगाई गई है. मितानिनों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है. अगर है भी तो वह ठीक तरह से ऑपरेट करना नहीं जानती. इस तरह कुछ उम्र दराज शिक्षक भी सर्वे का काम कर रहे हैं. जो कि ठीक तरह से मोबाइल का उपयोग नहीं कर पाते हैं. मोबाइल एप डाउनलोड कर इसे ऑपरेट करने में कई तरह की परेशानी आ रही है और इससे सर्वे करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन परेशानियों को दूर करने के लिए एक ग्रुप बनाया गया है. लेकिन परेशानियां बनी हुई हैं.

24 घंटे में छत्तीसगढ़ में जानकारी छुपाने और क्वॉरेंटाइन उल्लंघन पर 16 केस दर्ज

ऐप से सर्वे के कई फायदे

इस विषय में एडीएम संजय अग्रवाल का कहना है कि 'सर्वे पहले मैनुअल तरीके से कराया गया था, लेकिन अब शासन के निर्देश पर मोबाइल एप के माध्यम से सर्वे कराया जा रहा है. कोरोना वायरस से संबंधित या कोई भी संदिग्ध मरीज गली, मोहल्ले बस्ती में मौजूद है, तो एप से सर्वे के दौरान उसकी जानकारी दर्ज होते ही प्रशासन को तुरंत इसका पता चल जाएगा. जिससे संदिग्धों का पता लगाने और उनका इलाज करने में तत्काल सक्रियता दिखाई जा सकेगी. इसलिए दोबारा सर्वे कराए जाने को लेकर किसी को भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. महामारी से लड़ने के लिए एप से सर्वे एक कारगर कदम है'.

Last Updated : May 14, 2020, 8:08 PM IST
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