कोरबा: प्रथम पूजनीय विघ्नहर्ता की भक्ति पर इस साल कोरोना से ग्रहण लगा दिया है. शहर के नामचीन और अपनी भव्यता के लिए विख्यात गणेश पंडाल वीरान और गणपति की भक्ति में 9 से 11 दिनों तक लीन रहने वाले भक्त मायूस हैं. वैश्विक महामारी कोरोना ने ऐसे हालात बना दिए हैं कि, अब लोगों की आस्था पर भी पाबंदी है. गणेश पूजा की भक्ति में लगने वाले आस्था के मेले और उत्सव की धूम इस बार महामारी की चपेट में हैं.
आमतौर पर गणेश चतुर्थी पर शहर के कोने-कोने में गणेश पंडालों से उत्सव के धुन सुनाई देती थी, लेकिन इस बार सुनाई दे रही है तो सिर्फ प्रशासन की मुनादी. जिसमें लाउडस्पीकर के माध्यम से कहा जा रहा है कि घर से बाहर ना निकलें घर में रहे और सुरक्षित रहें.
गणेश पूजा को लेकर प्रशासन ने गाइडलाइन जारी की है. इन गाइडलाइन का पालन करते हुए गणेश पूजा करना या सार्वजनिक स्थानों पर गणेश की प्रतिमा स्थापित करना समितियों के लिए बेहद कठिनाइयों भरा है. इसके कारण गणेश पूजा करने वाली स्थानीय समितियों ने पंडालों में गणेश स्थापना नहीं की है. शहर के बड़े-बड़े पंडाल भी वीरान हैं, जहां किसी तरह का कोई उत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा है.
प्रशासन की ओर से जारी की गई गाइडलाइन-
- 5000 वर्ग फीट की खुली जगह अनिवार्य
- रजिस्टर में नाम, पता नोट करने के भी निर्देश
- किसी को कोरोना हुआ तो इलाज का खर्च समिति को उठाना होगा
- विसर्जन के लिए भी नहीं जाएंगे 4 से ज्यादा व्यक्ति
गणेश विसर्जन के लिए भी प्रशासन ने दिशा-निर्देश तय कर दिए हैं. इसके लिए बड़े वाहनों का उपयोग वर्जित किया गया है. मूर्ति विसर्जन के वाहन में किसी भी प्रकार के अतिरिक्त साज-सज्जा झांकी की अनुमति भी नहीं दी गई है. इतना ही नहीं विसर्जन के लिए केवल 4 व्यक्ति के ही मौजूद रहने का नियम है.
समितियों ने की तौबा घर में विराजे गणपति बप्पा
प्रशासन की ओर से तय किए गए नियमों के कारण समितियों ने सार्वजनिक स्थानों पर गणेश स्थापित करने से तौबा कर ली है और उन्होंने घर पर गणपति की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना किए जाने का मन बना लिया है. इसके कारण कई समितियों के पदाधिकारी मायूस हैं, लेकिन वैश्विक महामारी के कारण कोई इसका विरोध भी नहीं कर रहा है.