कोरबा: मौसम विभाग (Weather Department) आने वाले कुछ दिनों के लिए मौसम में अनियमितता बने रहने की संभावना व्यक्त की है. जानकारी के अनुसार एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा उत्तर अंदरूनी तमिलनाडु और उसके आसपास स्थित है तथा यह 3.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है. एक द्रोणिका उत्तर अंदरूनी तमिलनाडु से गंगेटिक पश्चिम बंगाल (Tamil Nadu to Gangetic West Bengal) तक आंध्र प्रदेश और उड़ीसा होते हुए 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है. जिसके प्रभाव से आगामी कुछ दिनों में जिले के कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है.
प्रशासन ने भी बना रखी है नजर
कोरबा में बदलते मौसम को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क है. कलेक्टर रानू साहू (Collector Ranu Sahu) ने सभी राजस्व अधिकारियों सहित विभिन्न विभागों के मैदानी अमले को भी हल्की बारिश से फसल क्षति के बारे में सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर ने बारिश के कारण खराब हुई फसलों की पूरी जानकारी एकत्र कर तत्काल प्रशासन को उपलब्ध कराने को भी कहा है. उन्होंने सभी राजस्व अधिकारियों को फसल क्षति की जानकारी मिलते ही मौका-मुआयना कर क्षति का आंकलन करने और किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए क्षतिपूर्ति प्रकरण तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं.
Bay of Bengal से आ रही नमी के चलते छत्तीसगढ़ के मौसम बदलाव
इस तरह के बदलाव
मौसम के इस बदलाव को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों (Agricultural Specialist) ने कोरबा में आने वाले दिनों में हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों में लगी धान की फसल को 19 नवंबर के बाद ही काटना शुरू करें. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को 19 नवंबर तक धान कटाई स्थगित रखने की सलाह दी है.
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि कट चुकी धान की फसल को तत्काल खेतों से उठाकर खलिहानों में बारिश से बचाने के उपाय करते हुए सुरक्षित रखें। कटी फसल को खलिहानों में तिरपाल आदि से ढंककर बारिश से बचाएं.
97 हजार हेक्टेयर में धान की खेती
कोरबा में लघु, सीमांत और बड़े किसानों को मिलाकर 97 हजार हेक्टेयर में धान की फसल उगाई जाती है. वर्तमान में लगभग सभी किसानों की फसल पक कर तैयार हो चुकी है. किसान अब धान कटाई की तैयारी कर रहे हैं. आने वाले 1 दिसंबर से धान खरीदी भी शुरू होगी. किसान अब इसकी तैयारी भी कर रहे हैं. लेकिन मौसम में बदलाव ने किसान के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर खींच दी है। ऐसे में किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.