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एसईसीएल के खिलाफ विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन

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Published : Aug 27, 2022, 8:18 PM IST

कोरबा में एसईसीएल के खिलाफ विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन किया गया. विस्थापितों ने अर्धनग्न होकर एसईसीएल के विरोध में जमकर नारे लगाते हुए स्थायी रोजगार की मांग की है.

विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन
विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन

कोरबा: स्थायी रोजगार, पुनर्वास और मुआवजे के लिए भू विस्थापित एसईसीएल के खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं. शनिवार को एसईसीएल के कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय Kusmunda General Manager Office के सामने विस्थापितों ने प्रदर्शन किया. बड़ी तादात में विस्थापितों ने अर्धनग्न होकर एसईसीएल के विरोध में जमकर नारे लगाए. प्रमुख मांग स्थायी रोजगार की है.

कोरबा में विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन

यह भी पढ़ें: Amit Shah Chhattisgarh visit लाल आतंक पर अमित शाह का प्रहार, बोले NIA का और होगा विस्तार

शत प्रतिशत रोजगार की मांग: छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100 फीसदी रोजगार उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. इस संबंध में दीपका, गेवरा, कुसमुंडा प्रबंधन से लगातार बातचीत की जा रही है. वहीं विस्थापितों का मानना है कि प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर नहीं है.

अब 7 सितंबर को तालाबंदी की चेतावनी: किसान सभा द्वारा प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग को लेकर कुसमुंडा कार्यालय के सामने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. कुसमुंडा महाप्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपकर 7 सितंबर को कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय में तालाबंदी के साथ अर्धनग्न प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

आश्वासन नहीं रोजगार चाहिए : किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि "एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है. अब प्रभावित गांव के सभी बेरोजगारों को केवल रोजगार चाहिए. एसईसीएल में जमीन जाने के बाद गांव के बेरोजगार, रोजगार के लिए भटक रहे हैं. जिसके जिम्मेदार एसईसीएल के अधिकारी है. प्रबंधन और आऊट सोर्सिंग कंपनी आपस में साठगांठ कर रोजगार बेचने का काम कर रही है.

विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है. किसान सभा ने रोजगार के साथ आउट सोर्सिंग कंपनी में कार्य कर रहे ड्राइवर, हेल्पर, सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारियों ने नाम गांव को सार्वजनिक करने की मांग की है. जिससे पता चले कि किस गांव से कितने बेरोजगारों को रोजगार दिया गया है."

300 दिनों से जारी है आंदोलन: रोजगार एकता संघ के रेशम यादव और दामोदर श्याम ने कहा की "एसईसीएल में जिनकी जमीन गई उनके स्थाई रोजगार की मांग को लेकर 300 दिनों से आंदोलन लगातार जारी है। और प्रभावित गांव के सभी अन्य भू विस्थापित युवाओं को आउट सोर्सिंग कार्यों में सत प्रतिसत रोजगार उपलब्ध कराना एस ई सी एल प्रबंधन की जिम्मेदारी है। रोजगार एकता संघ सभी बेरोजगारों के आंदोलन में साथ खड़ी रहेगी"।

कोरबा: स्थायी रोजगार, पुनर्वास और मुआवजे के लिए भू विस्थापित एसईसीएल के खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं. शनिवार को एसईसीएल के कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय Kusmunda General Manager Office के सामने विस्थापितों ने प्रदर्शन किया. बड़ी तादात में विस्थापितों ने अर्धनग्न होकर एसईसीएल के विरोध में जमकर नारे लगाए. प्रमुख मांग स्थायी रोजगार की है.

कोरबा में विस्थापितों का अर्धनग्न प्रदर्शन

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शत प्रतिशत रोजगार की मांग: छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100 फीसदी रोजगार उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. इस संबंध में दीपका, गेवरा, कुसमुंडा प्रबंधन से लगातार बातचीत की जा रही है. वहीं विस्थापितों का मानना है कि प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर नहीं है.

अब 7 सितंबर को तालाबंदी की चेतावनी: किसान सभा द्वारा प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग को लेकर कुसमुंडा कार्यालय के सामने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. कुसमुंडा महाप्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपकर 7 सितंबर को कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय में तालाबंदी के साथ अर्धनग्न प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

आश्वासन नहीं रोजगार चाहिए : किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि "एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है. अब प्रभावित गांव के सभी बेरोजगारों को केवल रोजगार चाहिए. एसईसीएल में जमीन जाने के बाद गांव के बेरोजगार, रोजगार के लिए भटक रहे हैं. जिसके जिम्मेदार एसईसीएल के अधिकारी है. प्रबंधन और आऊट सोर्सिंग कंपनी आपस में साठगांठ कर रोजगार बेचने का काम कर रही है.

विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है. किसान सभा ने रोजगार के साथ आउट सोर्सिंग कंपनी में कार्य कर रहे ड्राइवर, हेल्पर, सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारियों ने नाम गांव को सार्वजनिक करने की मांग की है. जिससे पता चले कि किस गांव से कितने बेरोजगारों को रोजगार दिया गया है."

300 दिनों से जारी है आंदोलन: रोजगार एकता संघ के रेशम यादव और दामोदर श्याम ने कहा की "एसईसीएल में जिनकी जमीन गई उनके स्थाई रोजगार की मांग को लेकर 300 दिनों से आंदोलन लगातार जारी है। और प्रभावित गांव के सभी अन्य भू विस्थापित युवाओं को आउट सोर्सिंग कार्यों में सत प्रतिसत रोजगार उपलब्ध कराना एस ई सी एल प्रबंधन की जिम्मेदारी है। रोजगार एकता संघ सभी बेरोजगारों के आंदोलन में साथ खड़ी रहेगी"।

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